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एन. रघुरामन का कॉलम:कॉर्पोरेट जार्गन का इस्तेमाल फैशन की तरह कहीं भीं न करें

2 महीने पहले
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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar
एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

‘ओवर द हेज’ नामक कॉर्टून स्ट्रिप में खरगोश, कछुए से कहता है, ‘मैं ‘क्वाइट क्विटिंग’ कर रहा हूं।’ मैं इसके बारे में पहले भी लिख चुका हूं। 2022 में आए इस शब्द का मतलब है, कर्मचारी द्वारा उतना ही काम करना जितना उसके लिए करना बिलकुल जरूरी है, इसके अलावा कुछ और न करना।

कछुआ, खरगोश से पूछता है, ‘तुम तो पहले ही कुछ नहीं करते थे।’ खरगोश बोला, ‘मैं खाता हूं, सोता हूं, दुनिया में सबसे ज्यादा टीवी देखता हूं।’ कछुआ झट से बोला, ‘तो तुम सब बंद कर दोगे।’ तब खरगोश को क्वाइट क्विटिंग का अर्थ समझ आया और बोला, ‘ये ऐसे शब्द क्यों बनाते हैं जो समझने में मुश्किल हों।’ तब कछुआ कहता है, ‘इंसान रहस्यमयी है।’

मुझे यह कार्टून याद आया, जब पिछले शनिवार को वंदे भारत ट्रेन में मुंबई से वडोदरा जाते हुए मैंने किसी को कहते हुए सुना, ‘आज कई पेशेवरों के लिए गुरुवार, शुक्रवार जैसा हो गया है, हमें भी काम और निजी जीवन के बीच संतुलन बनाना सीखना होगा। हम हर शनिवार, काम के लिए या काम से घर का सफ़र करने में नहीं बिता सकते।

परिवार के साथ पूरे दो दिन तो बिताने चाहिए।’ यह सुन रहे दूसरे व्यक्ति ने कहा, ‘अगर गुरुवार, अब शुक्रवार हो गए हैं तो रविवार को भी सोमवार होना होगा? क्या हम रविवार को काम करने तैयार हैं, जैसे कुछ खाड़ी देशों में रविवार से हफ्ता शुरू होता है?’ पहला व्यक्ति खरगोश की तरह चुप रहा और फिर बोला, ‘सोचना पड़ेगा।’

इस बातचीत का आधार, प्रोफ़ेशनल नेटवर्किंग साइट लिंक्डइन की बीते गुरुवार आई रिपोर्ट थी, जिसका दावा है कि सर्वे में शामिल 79% पेशेवरों को काम पर जाने के लिए शुक्रवार सबसे बुरा दिन लगता है। लगभग 50% शुक्रवार का समय परिवार और दोस्तों के साथ बिताना चाहते हैं और बाकी 50% शुक्रवार को जल्दी काम निपटाना चाहते हैं ताकि वीकेंड जल्दी शुरू कर सकें।

‘क्वाइट क्विटिंग’ की तरह कई और शब्द कॉर्पोरेट गलियारों को आम हो चले हैं। जैसे ‘लाउड लीविंग’, ‘डेस्क बॉम्बिंग’, ‘मॉन्क मोड’ और ‘चाय ब्रेक’। कॉर्पोरेट दुनिया में लोग ये शब्द इस्तेमाल करते हैं क्योंकि ये फैशनेबल लगते हैं। इनका इस्तेमाल करने से पहले, इनके सही अर्थ जान लेते हैं-

मॉन्क मोड

जब कर्मचारी कई काम की बजाय, एक बार में एक काम पूरा करते हैं। बॉस कह सकते हैं, ‘मैंने 24 घंटे के अंदर समस्या हल करने के लिए उसे मॉन्क मोड में काम करने कहा है।’

डेस्क बॉम्बिंग

अगर कोई कहे, ‘चलो आज रमेश पर डेस्क बॉम्बिंग करते हैं’ तो इसका मतलब है कि रमेश अकेला या उदास महसूस कर रहा है और बाकी कर्माचारी बारी-बारी से उसकी टेबल पर जाएंगे और उसका हौसला बढ़ाने के लिए बातचीत करेंगे। सर्वे के मुताबिक 62% लोग (60% नई पीढ़ी या जेनज़ी) डेस्क बॉम्बिंग के बाद ज्यादा ऊर्जावान महसूस करते हैं।

लाउड लीविंग

​​​​​​​ज्यादातर बॉस, बाकी कर्मचारियों से ज्यादा देर तक रुकते हैं और मैनेजमेंट से कहते हैं कि वे कर्मचारियों से काम करवाने रुके हैं। पर मौजूदा ट्रेंड है कि ज्यादातर बॉस इस तरह ऑफिस से निकलते हैं कि सबको पता चले। इसके ज़रिए वे परोक्ष रूप से कहना चाहते हैं कि सही समय पर ऑफिस से निकलना अच्छा है। इसे लाउड लीविंग कहते हैं, जहां आप सबको बताते हैं कि आप घर जा रहे हैं।

चाय ब्रेक

ये हमेशा काम से ब्रेक लेना नहीं होता, कुछ ऑफिस में इसे ब्रेनस्टॉर्मिंग (किसी विषय पर मिलकर सोच-विचार) भी कहते हैं।

फंडा यह है कि ये कॉर्पोरेट जार्गन (खास शब्दों) का दौर है। इन्हें जानना, आपको मौजूदा ऑफिस या कार्यस्थल में और मशहूर बनाएगा।