आप सोच रहे होंगे 26 जनवरी को क्या करें, छुट्टी? आप विभिन्न माध्यमों पर लाइव प्रसारित होने वाली ‘परेड’ को एक साधारण से रजिस्ट्रेशन के बाद फ्री देख सकते हैं या फिर सोनम वांगचुक की तरह अपने शहर का कोई बड़ा मुद्दा उठाने का इरादा कर सकते हैं, वांगचुक फिल्म थ्री-इडियट की प्रेरणा थे और आमिर खान ने उनका किरदार निभाया था। वह 18 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित खार्दुंगला पास, जहां माइनस 40 डिग्री तापमान है, वहां आज 26 जनवरी से पांच दिन का ‘क्लाइमेट फास्ट’ शुरू कर रहे हैं।
एक वीडियो मैसेज में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम अपील की और इस केंद्र शासित इलाके में कॉर्पोरेट विकास को लेकर चिंता जाहिर की, इससे पानी जैसे संसाधनों की पहले से ही गंभीर कमी के और बढ़ने की आशंका है। खनन व मिलती-जुलती गतिविधियों से ग्लेशियर्स पिघल सकते हैं।
वीडियो में वह कहते हैं कि लद्दाख-जो कि दुनिया का थर्ड पोल भी कहलाता है-कई बड़ी चुनौतियों से जूझ रहा है, उन्होंेने छठवीं अनुसूची व उससे जुड़ी चीजों का हवाला दिया। संपूर्ण आर्थिक प्रगति व निर्णय लेने की स्वायत्ता के लिए लद्दाख को छठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग स्थानीय लोग लंबे समय से कर रहे हैं।
ये मामला संसद में भी उठा है। 13 मिनट की क्लिप में वांगचुक ने कहा कि वह चकित हैं कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान क्यों नहीं दे रही। अगर आपके शहर का कोई गंभीर मुद्दा नहीं, तो चिंता न करें। परेड देखने के बाद सड़क पर जाएं, जहां हर शहर की आधी आबादी रहती है, खाती-पीती है, खरीदारी- मनोरंजन करती और छुटपुट काम करती है।
उनकी जीवनशैली पढ़ें, उनकी संघर्षपूर्ण कहानियां सुनें, अगर कुछ सलाह हो तो उन्हें दें कि कैसे वे जीवन बेहतर कर सकते हैं या ज्यादा कमा सकते हैं। या उन्हें सिखाएं कि कैसे वीडियो बनाते-एिडट करते हैं ताकि उनके सामुदायिक जीवन पर गंभीर असर डाल रहे मुद्दे सोशल मीडिया पर वायरल हो सकें।
अगर आप सोच रहे हैं कि कैसे वीडियो एिडटिंग एक समुदाय की समस्याएं सुलझा सकती है तो आपको छत्तीसगढ़ में बस्तर जिले के किलम गांव की कहानी जाननी चाहिए। अब तक वे कई किलोमीटर पैदल चलकर धरती से पानी निकालते थे। एक किसान बृज नाग 300 लोगों के इस गांव में आए और वीडियो बनाकर सोशल साइट पर डाल दिया।
तीन हफ्तों के अंदर उनके गांव में जिला प्रशासन ने पहला बोरवैल-हैंडपंप लगा दिया। इससे उत्साहित बृज नाग ‘वीडियो वॉलेंिटयर्स’ नामक एनजीओ से जुड़े, जो कि सामाजिक मुद्दे उठाता है। एनजीओ में ‘बुलंद बोल’ कार्यक्रम है, जहां लोगों को परेशान करने वाले मुद्दे पर वीडियो बनाना-उन्हें ठीक से एडिट करना सिखाया जाता है, ताकि अपलोड करने के बाद देखने वालों को अपील करें।
प्रशिक्षित लोगों ने अधिकारियों से बात करने, उन मुद्दों पर उनकी प्रतिक्रिया लेने का आत्मविश्वास हासिल किया है, जिसके चलते स्थानीय प्रशासन को समाज के बड़े वर्ग को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर काम करना पड़ रहा है। अंतिम लक्ष्य किसी का अपमान करना नहीं बल्कि दुर्दशा उजागर करना व उस समुदाय की परेशानियों के समाधान हासिल करना है।
उनकी पहल से स्थानीय बच्चों के लिए स्कूलों का निर्माण व संचालन में मदद मिली है, महिलाओं के लिए टॉयलेट बने हैं और सड़कें बनी हैं, जिससे किसान बेहतर कीमत के लिए अपनी उपज जल्दी मंडी ले जा सकते हैं। कई फायदों में से ये चंद उदाहरण हैं।
फंडा यह है कि अगर गणतंत्र दिवस की छुट्टी को राष्ट्र के नाम कर देंगे तो समाज के लिए कुछ हासिल करने का गर्व महसूस होगा।
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