मैंने देखा है कि लोग फौज या पुलिस में भर्ती होने के लिए फिजिकल टेस्ट से पहले वजन बढ़ाने के लिए दो या तीन केले खा लेते हैं। लेकिन मैंने आज तक नहीं सुना कि कोई 1600 मीटर के रनिंग-टेस्ट के लिए चिप बदलता हो और मात्र 3.39:100 मिनटों में यह दूरी पूरी करके रिकॉर्ड बना लेता हो, जो कि विश्व कीर्तिमान से भी बेहतर है!
सामान्यतया पुलिस के लिए होने वाले इस तरह के फिजिकल टेस्ट में हजारों उम्मीदवार शामिल होते हैं। उन्हें गैजेट दिए जाते हैं, जिनमें एक चिप होती है। इसे वे गले में लटका लेते हैं। दौड़ खत्म होने पर ये मशीनें उनसे ले ली जाती हैं और चिप को उम्मीदवार के नाम के साथ तालिका बनाने के लिए भेज दिया जाता है।
पिछले हफ्ते जब महाराष्ट्र पुलिस बल में शामिल होने के इच्छुक हजारों उम्मीदवार रनिंग टेस्ट के लिए आए तो 16 से ज्यादा की चिप ने बताया कि उन्होंने निर्धारित दूरी को विश्व कीर्तिमान से भी कम समय में पूरा कर लिया है। संयोग की बात यह है कि इनमें 8 एक ही शहर अहमदनगर से थे।
रिक्रूटमेंट में शामिल मुम्बई पुलिस को संदेह हुआ कि किसी अकादमी द्वारा इन उम्मीदवारों को धोखाधड़ी के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है, क्योंकि इन सभी उम्मीदवारों ने या तो विश्व कीर्तिमान को दो या तीन सेकंड के अंतर से तोड़ दिया था या वे इतने ही अंतर से उसके करीब पहुंच गए थे। यह साधारण व्यक्तियों के लिए असम्भव है। कुछ महीनों के अभ्यास से कोई तेज दौड़ सकता है, लेकिन इतने भर से कोई विश्व कीर्तिमान तोड़ने की क्षमता नहीं विकसित कर सकता।
अब पुलिस न केवल उन उम्मीदवारों पर केस दर्ज कर रही है, बल्कि यह समझने के लिए अहमदनगर भी जा रही है कि कोई अकादमी इन उम्मीदवारों को किस तरह से धोखाधड़ी की तकनीक सिखाती है। पुलिस का मानना है कि दौड़ते समय या तो किसी के द्वारा उनसे चिप एक्सचेंज की जाती है या चिप उन्हीं के पास होती है और दौड़ते समय वे उसे बदल लेते हैं। लेकिन उन 16 ‘विश्व कीर्तिमानधारी दौड़ाकों’ का कॅरियर तो शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया।
इससे मुझे एक एम्प्लाई के रूप में रिक्रूटमेंट में अपने 40 साल लम्बे कॉर्पोरेट कॅरियर की याद आई, जो अभी चल ही रहा है। एक बार मुझसे रिलायंस बोर्ड के एक अंदरूनी पेनल में बाहरी व्यक्ति के रूप में सम्मिलित होने को कहा गया था। मुझे विभिन्न वर्टिकल्स के लिए सम्भावित सीईओ और वाइस प्रेसिडेंट्स की तलाश करना थी।
मैंने दो दिन में 32 उम्मीदवारों का इंटरव्यू लिया, लेकिन शुभोदोय मुखर्जी नामक उम्मीदवार का इंटरव्यू लेने से इनकार कर दिया, क्योंकि वह मेरा पारिवारिक मित्र था और हम अकसर पार्टियों में बाहर किसी काम से मिलते थे। मैंने पेनल को इस बारे में बताया और उनसे कहा कि मुझे इंटरव्यू पेनल में सम्मिलित न करें।
पेनल ने मेरी साफगोई की सराहना की और अपनी प्रक्रिया का पालन किया। आज मुझे खुशी है कि शुभोदोय उनके समूह के सीईओ में से एक हैं और मेट्रो रेल डिवीजन जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण विभाग के प्रमुख हैं, और उनके इस प्रमोशन के लिए मैं कोई श्रेय नहीं ले सकता।
ऐसा नहीं है कि मैंने जिन कम्पनियों में काम किया है, वहां अपने दोस्तों या सम्बंधियों को काम नहीं दिया है। लेकिन मैं सबसे पहले शीर्ष प्रबंधन को अपने सम्बंध के बारे में सूचित कर देता हूं और इंटरव्यू की प्रक्रिया से खुद को दूर रखता हूं। क्योंकि मैं नहीं चाहता कि उनका कॅरियर झूठ की बुनियाद पर खड़ा हो।
फंडा यह है कि अगर आपके कॅरियर की डगर बेदाग है तो आपको अपने कामकाजी जीवन में कोई अफसोस नहीं होंगे। चयन आपको ही करना है।
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