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एन. रघुरामन का कॉलम:ये असंभ‌व है कि मशीनरी को पता ही न चले और उनकी नाक के नीचे इतने सारे बाल विवाह हो जाएं

2 महीने पहले
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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar
एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

पटना में डाक बंगलो चौराहा के पास फ्रेजर रोड पर ग्रांड प्लाजा मॉल के ठीक बाहर एक छोटी-सी दुकान है। जरूरत का सामान बेचने वाली ये दुकान ‘गुड्‌डू शॉप’ नाम से लोकप्रिय है। गुड्‌डू सिर्फ 22 साल का है और बचपन से घर की इस दुकान पर बैठ रहा है। दसवीं तक पढ़ा गुड्‌डू पूरी दुकान खुद संभालता है क्योंकि उसके बड़े भाई और परिवार के बाकी सदस्य दूसरे छोटे-छोटे बिजनेस में लगे हैं।

कोविड के दिनों से उसे एक अजीब मुश्किल आने लगी। कई अज्ञात कारणों से अक्सर कुछ लोग भूल जाते कि दुकान से क्या उधार लिया था। नियमित ग्राहकों से बहस होने पर पुराने रिश्ते खराब हो रहे थे। ग्राहक सीधा मुकर जाते कि उस दिन उन्होंने कुछ नहीं लिया था, जबकि उसे पता होता था उसने क्या दिया है। तब उसने नायाब तरीका निकाला, जिससे रिश्ते भी खराब न हों और पैसे भी मिल जाएं।

उसने कैश काउंटर पर सीसीटीवी लगवा लिया, जहां ऐसी बातचीत होती थी कि लिख लेना, बाद में देता हूं। जब ग्राहक ऐसा कहता तो वह हां में सिर हिलाकर नाम-तारीख के साथ लेनदेन का सटीक समय लिख लेता। ये रिकॉर्डिंग वह तीन महीने रखता।

जब ग्राहक मुकर जाता तो वह नोटबुक में से टाइम देखकर सीसीटीवी रिकॉर्डिंग दिखा देता और अपनी तस्वीर देख ग्राहक कहते, ‘अरे सॉरी, मेरे दिमाग से निकल गया था।’ इस टेक्नीक के बाद से पैसे चुकाने में बहस करने वाले ग्राहक कम हो गए हैं, लेकिन उसे आज भी दिन में दो बार ये टेक्नीक आजमानी पड़ती है।

एक अन्य घटनाक्रम में मुंबई पुलिस ने इस हफ्ते फिल्मी दृश्य की तरह एक मिशन को अंजाम दिया। पुलिस को जब उपनगर कल्याण में दो चैन स्नैचर्स के होने की सूचना मिली तो 26 से ज्यादा पुलिस वाले, इंफॉर्मर्स, ड्राइवर्स- डॉक्टर्स और वार्ड बॉय बनकर उन्हें दबोचने पहुंच गए। ये लोग एंबुलेंस में गए और दो अपराधियों में से एक को पकड़ने में कामयाब रहे, उन पर महाराष्ट्र, गुजरात, उप्र में लूट के 27 मामले दर्ज हैं।

जब लोगों ने देखा कि कुछ लोग आरोपी को पकड़ रहे हैं, तो उन्होंने एंबुलेंस पर पत्थरबाजी करते हुए ठगों को बचाने की कोशिश की लेकिन वहां अन्य कारों में डॉक्टर्स की ड्रेस में मौजूद पुलिसवालों ने एंबुलेंस को कवर दिया और अपराधी को लेकर निकल आए।

ये सुनकर मुझे ताज्जुब हुआ कि जब गुड्‌डू और पुलिस जैसी संस्थाएं रियल टाइम में जानकारी ले सकती हैं तो कैसे असम सरकार को पता नहीं चला कि उनके राज्य में 19 साल से कम उम्र की 1,04,264 लड़कियों की शादी हो गई और अब वे गर्भवती हैं। पिछले साल राज्य की कुल गर्भवतियों में अकेले इन किशोरी गर्भवतियों की संख्या 16.8% है।

जिलावार डाटा बताता है कि बरपेटा में 28.7% टीनएज प्रेगनेंसी दर रही, इसके बाद धुबरी और साउथ सलमारा दोनों में 27.9%, गोलपारा में 24.1%, बंगाईगांव में 22.3% और कोकराझार में 21.9% दर रही, जबकि ऐसे कई और जिले हैं जहां ये दर 20% से ज्यादा है।

बाल विवाह को लेकर सरकार ने हाल में जो बम फोड़ा, यह दर्शाता है कि सिस्टम में ऐसा कोई था, जिसे इससे पहले जमीनी हालातों से मिले आंकड़ों की कोई फिक्र नहीं थी। ये असंभ‌व है कि मशीनरी को पता ही न चले और उनकी नाक के नीचे इतने सारे बाल विवाह हो जाएं। यह उदासीन रवैया कई किशोरियों की जिंदगी खराब कर सकता है, जो शादी नहीं करना चाहती होंगी-करियर बनाना चाहती होंगी।

फंडा यह है कि ऐसे हाई-टेक दौर में जहां ज्यादातर सूचनाएं रियल-टाइम में मौजूद हैं, वहां ये कहना कि ‘मुझे इसके बारे में नहीं पता’, सिस्टम में भारी कमी को दर्शाता है, अच्छे मैनेजर्स को इस कमी की पूर्ति करना चाहिए।