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एन. रघुरामन का कॉलम:ब्रेक नहीं, इस गर्मी में यात्रा के दौरान सावधानी रखने की जरूरत है!

2 महीने पहले
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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar
एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

इस सोमवार को दैनिक भास्कर द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद मैं सड़क मार्ग से सूरत से मुंबई जा रहा था, यात्रा के दौरान मैंने देखा कि कम से कम 200 किमी के दायरे में 5 टायर फटने की दुर्घटनाएं हुईं, इससे वो वाहन क्षतिग्रस्त हो गए, यह गाड़ी की टक्कर से होने वाले नुकसान से थोड़ा ही कम था।

पर वह खतरनाक था और इसलिए मैंने झपकी भी नहीं ली और ट्रैवल कंपनी के ड्राइवर मोहम्मद अली पर बराबर नजर रखे था। पर जिस तरह से उसने अपनी गाड़ी मेंटेन की थी और संभलकर गाड़ी चला रहा था, उससे मैं प्रभावित हुआ।

पता चला कि ये गाड़ी साल 2019 से वही चला रहा है और दो लाख किमी से ज्यादा चल चुकी है। खुलकर कहूं तो गाड़ी देखकर लग नहीं रहा था कि ये चार साल पुरानी है और उतनी चली है। गाड़ी ऐसे दौड़ रही थी, जैसे ब्रेड पर मक्खन लगा रहा हो- इतनी स्मूथ।

जिस तरह उसने आश्वासन दिया कि वह गड्‌ढे बचाते हुए गाड़ी चलाएगा और मुझे हल्का भी जर्क नहीं लगेगा, इससे भी प्रभावित हुआ। ट्रिप के दौरान मुझे अली से कुछ सीखने मिला, जिसने दूसरी के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी और अपने पिता को देख भी नहीं सका क्योंकि उसके जन्म से ठीक पहले शॉर्ट सर्किट से उनकी मौत हो गई थी!

अच्छे कपड़े पहने व्यवहारकुशल अली ने बताया, ‘मैं एक ही स्थिति में बैठकर छह घंटे गाड़ी चला सकता हूं। पर गाड़ी और टायरों को हर दो घंटे में कूलिंग टाइम चाहिए। यही कारण है कि मैं रुक जाता हूं ताकि स्ट्रेचिंग कर लूं, गाड़ी को आराम मिले और काम में एकरसता भी खत्म हो।

इसके अलावा हमारी कंपनी में लंबी दूरी तय करने वाली सभी गाड़ियों के टायर में नाइट्रोजन भरी होती है, जो सामान्य हवा की तुलना में टायर को ठंडा रखती है।’ इस सदाबहार ड्राइवर की बात मुझे अच्छी लगी। उसने कहना जारी रखा, ‘सर, आपको पता है नागपुर-शिर्डी के बीच हिंदु हृदयसम्राट बालासाहेब ठाकरे महाराष्ट्र समृद्ध महामार्ग पर 900 एक्सीडेंट हुए और 31 मौतें हुई?’

जब मैंने उसे बताया कि रोड 11 दिसंबर 2022 को ही चालू हुई, तो वह बोलता रहा कि ‘इसके खुलने के पहले 100 दिनों में ही 108 एक्सीडेंट टायर फटने से हुए और 124 इस वजह से हुए क्योंकि गाड़ियों का ईंधन खत्म हो गया था।’ उस एक्सप्रेस-वे पर कई यात्रियों ने मुझे बताया कि वहां कार से जुड़ी कोई मदद नहीं है, हालांकि वहां कभी-कभार हाईवे सेफ्टी पुलिस दिखती है।

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे, जो कि आंशिक रूप से खुला है और उससे अलवर तक पिछले महीने के आखिर में मैंने 150 किमी यात्रा की, वहां भी ऐसी ही समस्याएं देखी हैं। भले ही लोगों के इस्तेमाल के लिए एक्सप्रेस वे खोले गए हैं, लेकिन बाकी सुविधाएं अभी पूरी तरह शुरू होना बाकी हैं। इसलिए एक ही रास्ता है कि सतर्क रहें।

ऐसे ही हाल में जारी सरकारी आंकड़ों में सामने आया है कि पूरे देश में कोविड संक्रमण के मामले धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं। केवल दो हफ्तों में 14 राज्यों के जिलों में 3.5 गुना केस मिले हैं, जहां हाई टेस्ट पॉजिटिविटी रेट दिखी है। केंद्र ने राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को नए वैरिएंट का जल्द पता लगाने के लिए जीनोम निगरानी बढ़ाने का रिमाइंडर भेजा है।

कोविड के बढ़ते मामलों के बीच जिम्मेदारी अब हमारे कंधों पर है। वायरस तो वायरस है, उसका काम कई गुना होते हुए फैलना है, पर हमें सावधानी बरतनी होगी। याद रखिए कि इकोनॉमी का पहिया भी चलना जरूरी है इसलिए यात्रा पर रोक नहीं लगा सकते।

फंडा यह है कि इन गर्मियों में ट्रैवलिंग पर ब्रेक या ट्रैवल के दौरान ब्रेक कोई समाधान नहीं है, पर आगे बढ़ने के लिए खुद को सुरक्षित रखना सबसे अच्छा तरीका है।