दैनिक भास्कर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में रविवार को मैं सड़क मार्ग से वडोदरा से सूरत जा रहा था। शनिवार शाम भास्कर के ब्रांड प्रमोशन के एक कर्मचारी ने मुझसे कार में लिफ्ट का आग्रह किया। चूंकि मैं अकेला सफर करने वाला था और वह सेवन सीटर थी, यात्रा भी 150 किमी थी तो मैंने भी सहमति दे दी। मुझे लगा कोई बात करने वाला मिल जाएगा और यहां की ढेर सारी चीजें लेते हुए गुजरात के साथ यहां के लोगों को समझने का मौका मिलेगा।
हमने सुबह 7.30 पर मेरी होटल में मिलने का तय किया और कहा कि ड्राइवर से बात कर ले। सुबह 7.20 पर ड्राइवर का फोन आया कि वह होटल गेट पर इंतजार कर रहा है, तब मैंने हमारे साथ चलने वाले शख्स का पूछा। ड्राइवर ने कहा कि उनका फोन आया था और रास्ते में अमित नगर नाम की जगह से पिक करने के लिए कहा। मेरे दिमाग में तुरंत दो विचार आए।
1. यह व्यक्ति मेरी मदद का फायदा उठा रहा है। 2. वह होटल तक आने का समय बचा रहा है और उसे रास्ते से पिक करने में गलत क्या है? मुझे दूसरा विचार जमा और मेरी छठी इंद्रिय ने काम करना शुरू कर दिया कि मेरे साथ चल रहे व्यक्ति उनमें से नहीं है, जो दूसरों के बारे में सोचे, पर दिमाग में बचत की मानसिकता होगी, फिर चाहे समय हो या पैसा। मेरे अंदर से आवाज आई कि शायद उस शख्स ने नाश्ता नहीं किया होगा। हालांकि मैंने होटल में शानदार नाश्ता किया था, तब भी मैंने होटल मैनेजर से नाश्ते के दो पैकेट पैक करने के लिए कहा। एक ब्रांडिंग वाले शख्स के लिए और दूसरा ड्राइवर के लिए।
अमित नगर से पिक करने के बाद मैंने उससे नाश्ते के बारे में पूछा और उसने कहा कि चूंकि होटल में सुबह 7.30 बजे नाश्ता शुरू होता है और उसी समय पिकअप का समय तय था, इसलिए नाश्ता नहीं किया। तब हम हाईवे पर रुके, जहां मैंने उसे ब्रेकफास्ट ऑफर किया और वह चौंक गया कि मैं इतना सोचता हूं कि न सिर्फ उसके बल्कि ड्राइवर के लिए भी नाश्ता लाया। न सिर्फ नाश्ता बल्कि तीनों के लिए पानी की बोतल और जूस का टेट्रा पैक भी था। उसने माना कि ये छोटी-छोटी बातें ही लोगों को बड़ा और यादगार बनाती हैं।
और तब मैंने पूछा कि वह ब्रांडिंग के बारे में क्या समझता है? उसने बताया कि कोई भी उत्पाद जो लोगों के दिमाग में बना रहता है। हालांकि मैं उसके विचार पर कुछ स्पष्ट नहीं था, अंदर से महसूस हुआ कि ज्यादातर ब्रांड जब अपने उत्पाद बेचने के लिए जोर लगाते हैं और उत्पाद के पहले आकर्षण के बाद लोगों के मन में चमक खो देते हैं।
अच्छे ब्रांड मदद करने के इरादे से ग्राहक खींचते हैं और लगातार मददगार बनते हुए समस्याएं सुलझाते हैं। बड़े ब्रांड्स जैसे मोबाइल कंपनियां न सिर्फ स्टेटस सिंबल हैं बल्कि वे इनके इस्तेमाल के दौरान आने वाली नई समस्याएं सुलझाने के लिए लगातार इनोवेट करती रहती हैं। यही कारण है कि वे नए वैरिएंट लॉन्च करते हैं और बिक्री होती रहती है। लोगों को अगर समस्या का समाधान मिलता है, तो वे भावतोल नहीं करते।
इसलिए लोगों की समस्याएं सुलझाने वाले उत्पाद कीमतें कम नहीं करते, जब तक उन्हें स्टॉक क्लियर नहीं करना हो। और आखिरकार सूरत में जब हम अलग हुए तो उसने कहा कि ‘आज की यात्रा मैं जीवन में कभी नहीं भूलूंगा।’ और मुझे पता है कि वह क्या कह रहा था। यात्रा में उसे जो लाभ हुआ, उससे वह प्रभावित हुआ और इसलिए मैं कम से कम कुछ समय के लिए उसके ज़ेहन में रहूंगा।
फंडा यह है कि अगर आप ब्रांड बनना चाहते हैं, तो उदार रहें, मदद करें, हर ग्राहक के प्रति किसी न किसी रूप में शालीनता दिखाएं और फिर देखें कि कैसे आप और आपका उत्पाद ब्रांड बन जाता है।
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