इस शनिवार की सुबह 5.30 पर जब मैं बड़ौदा के लिए वंदे भारत ट्रेन पकड़ने मुंबई सेंट्रल स्टेशन पहुंचा तो मेरी निगाहें प्रवेश द्वार पर लगे ढेरों डिजिटल विज्ञापन बोर्ड पर खुद-ब-खुद चली गईं। प्लेटफॉर्म तक जाते हुए और रेस्तरां जैसी सार्वजनिक जगहों से गुजरते हुए मैं उन विज्ञापनों की क्वालिटी देख रहा था।
यह पिछले हफ्ते सामने आई उस खबर के कारण हुआ, जिसने पटना स्टेशन पर खड़े सैकड़ों मुसाफिरों को शर्मिंदा कर दिया था, जब पूरे स्टेशन पर लगी टीवी स्क्रीन्स पर तीन मिनट तक पोर्न क्लिप चलती रही, इससे कुछ यात्री शर्मिंदा हुए तो कुछ झेंप गए।
यात्रा में विंडो सीट पर बैठे हुए मेरे दिमाग में चल रहा था कि कैसे यह क्लिप सिस्टम के अंदर आ गई और डिसप्ले भी हो गई? मेरे हिसाब से यह एक ही तरीके से हो सकता है, जब विज्ञापन चलाने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति का फोन ‘कैरेक्टरलेस’ (चरित्रहीन) हो।
मेरे शब्द पर गौर करें। वो दिन दूर नहीं जब ग्राहकों से सीधे जुड़े कर्मचारियों का फोन पहले ‘ग्रीन’ स्कैन होगा (फोन में कुछ ऐसा तो नहीं जिससे कंपनी की ब्रांड इमेज खराब हो) या ऑफिस स्कैनर्स से बिना सर्टिफाइड या बिना साफ किया फोन ले जाने नहीं मिलेगा।
आप सोच रहे होंगे कि ये नया क्या है? बहुत सारी कंपनियां अब आपके फोन की निगरानी के कई तरीके ईजाद रही हैं। अमेरिका में तो यह नियम बन गया है। न्यूयॉर्क की गवर्नर कैथी होचुल ने 8 नवंबर 2021 को उस अध्यादेश पर साइन किए, जिसके तहत सभी निजी नियोक्ता कर्मचारियों को काम के फोन, ईमेल या इंटरनेट उपयोग की निगरानी करने के नियोक्ता के इरादे बताएंगे।
कानून 7 मई 2022 से प्रभावी हो गया। वहां नियोक्ता आपके फोन की गतिविधियां देख सकते हैं। खासकर अगर ये कंपनी का फोन हो और आप उसके नेटवर्क से जुड़े हों। कंपनी का फोन, जिसके डाटा और वॉइस के पैसे कंपनी चुकाती है, शायद इसलिए वे इसके इस्तेमाल पर निगरानी चाहते हैं।
अगर आप कामकाजी समय में हाई-टेक कम्युनिकेशन टूल जैसे कम्प्यूटर या स्मार्टफोन यूज़ करते हैं, तो इनका निजी काम के लिए इस्तेमाल करना आपके लिए आम बात होगी, आप इसमें दूसरी बार नहीं सोचते होंगे। असल में अब से बेहतर है कि आप निजी इस्तेमाल से पहले दो बार सोचें क्योंकि मुमकिन है कि कामकाजी घंटों के दौरान आपकी सारी गतिविधियां, भले निजी हों या ना हों, उन पर निगरानी रखी जा रही हो।
फिर चाहे वह मेल, फोन या वेबसाइट पर आपका रवैया, नियोक्ता बहुत करीब से आप पर नजर रख सकते हैं। कितने करीब? मान लीजिए आपको काम पर गोपनीयता की कोई उम्मीद नहीं। और अगर आप उनमें से हैं जो सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय रहते हैं, तो मानकर चलिए कि नियोक्ता आपकी पोस्ट, पसंद और ट्वीट्स पर 100% ध्यान देगा। आजकल ज्यादा एचआर पेशेवर, कर्मचारियों की काम के दौरान विजिट की गईं वेबसाइट पर निगरानी रख रहे हैं।
जो पहली नौकरी करने जा रहे हैं, उन्हें सलाह है कि फोन यथासंभव साफ रखें। आखों के सुख के लिए फोन पर आपत्तिजनक सामग्री न रखें। अगर आप उसी क्षेत्र में नई नौकरी खोज रहे हैं, जहां वर्तमान में काम कर रहे हैं तो सुनिश्चित करें कि यह सर्च घर के कम्प्यूटर पर करें, जो ब्लूटूथ के जरिए फोन से न जुड़ा हो। अगर आपकी कोई अलग राय है तो इसे किसी से बोलें, पर लिखित रूप में न रखें क्योंकि बाजार में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्होंने राय रखने के लिए नौकरी खो दी है।
फंडा यह है कि वो दिन दूर नहीं जब फोन को कैरेक्टर सर्टिफिकेट की जरूरत होगी कि इसमें कोई आपत्तिजनक दृश्य या ऐसा कंटेंट नहीं है, जो कंपनी की ब्रांड इमेज को खराब करे।
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