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नवनीत गुर्जर का कॉलम:सोने के भाव कितने भी चढ़ जाएं, वो भाव-शून्य ही होता है

4 महीने पहले
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नवनीत गुर्जर - Dainik Bhaskar
नवनीत गुर्जर

सोने के भाव इन दिनों सातवें आसमान पर हैं। 58 हजार रुपए तोला से नीचे खिसक ही नहीं रहा है। लेकिन हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। जैसे सोते वक्त आदमी भाव शून्य हो जाता है, वैसे ही सोने के भाव भी आम आदमी के लिए ज्यादा मायने नहीं रखते। खरीदना हो तो कितना ही महंगा हो, खरीद ही लेता है।... और न खरीदना हो तो कितना भी सस्ता हो, महंगा ही लगता है। भाव यहां भी शून्य। फिर भी सामाजिक प्रतिष्ठा या विवाद की बड़ी जड़ सोना ही होता है।

वैसे सोना खरीदने के लिए हम हिंदुस्तानियों के घरों में बड़े झगड़े होते हैं। हम कर्ज लेते हैं। कभी-कभी जमीन बेचकर भी सोना खरीदने की हिमाकत कर लेते हैं लेकिन एक बार खरीदने के बाद वो लॉकर या किसी अंधी खोह की ही शोभा बढ़ाता रहता है। जरूरत पड़ने पर भी उसे बेचना महापाप समझा जाता है।

बहरहाल, ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ से आज तक सोना बड़ा सोणा है। लेरी कॉलिन्स और डोमिनिक लेपियरे की यह किताब कई वजहों से विवाद में आई। उनमें एक सोना भी था। सोने का सिंहासन। इसमें कहा गया कि उड़ीसा के महाराजा की शैय्या सोने की है और उसकी बनावट ब्रिटिश महारानी के सिंहासन से मिलती-जुलती है। हो गया विवाद।

बहरहाल, जैसे कभी शेयर गिरते-चढ़ते थे, अब सोना चढ़ रहा है। बाजार कांप रहे हैं और घरों में विवाद। बढ़ते भाव देखकर कोई कहता है- घर में रखा सारा सोना आज ही बेच दो। सस्ता होगा तब वापस खरीद लेंगे। कोई कहता है- और बढ़ेगा।

बे-भाव का सोना। घर-घर में भाव। सोने के बिना काम नहीं चलता। जिंदगी भी नहीं। दिनभर की सक्रियता की जड़ और कई तरह की हाई प्रोफाइल बीमारियों का इलाज सोने में है। बीमारियां दूर रखने के लिए भर- नींद सोना जरूरी है। किसी जमाने में गले के दर्द और हाथ की मोंच के लिए सोने का हार या कंगन जरूरी होते थे। यही वजह है कि सोना चढ़ते-चढ़ते भी कई भाव जगा रहा है। कोई सोना चाहता है। कोई उसकी लंका बना लेता है। लेकिन लंका तो हनुमान जला आए थे। फिर राजतिलक में विभीषण को राम ने कौन-सी लंका सौंपी? जली हुई या मरम्मत कराई हुई? जवाब उतना ही आसान- कि ताप पाकर सोना जलता नहीं, उसमें और निखार आता है। जिनकी कुव्वत सोने से मेल नहीं खाती, वे बेचारे, गुलज़ार की तरह कंचे रखकर भी अपनी जेब में आसमान समेट लेते हैं।

इस तरह-
सैकड़ों बार गिने थे मैंने,
जेब में नौ ही कंचे थे,
एक जेब से दूसरी जेब में रखते-रखते
इक कंचा खो बैठा हूं,
न हारा, न गिरा कहीं पर
प्लूटो मेरे आसमान से गायब है।

‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ से आज तक सोना बड़ा सोणा है। कॉलिन्स और लेपियरे की यह किताब कई वजहों से विवाद में आई। उनमें एक सोना भी था। सोने का सिंहासन। इसमें कहा गया कि उड़ीसा के महाराजा की शैय्या सोने की है और उसकी बनावट ब्रिटिश महारानी के सिंहासन से मिलती-जुलती है।