कहां तो हम यूपीआई, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, घर पर लेज़र हेयर रिमूवल, क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल हेल्थकेयर जैसी आधुनिक तकनीकों के अभ्यस्त होने की कोशिश कर ही रहे थे कि अब अचानक एक ऐसी नई तकनीक से हमारा सामना हुआ है, जो हमें एक और इवोल्यूशन की कगार पर ला खड़ा कर सकती है।
यह है ओपन एआई, जिसे सैन फ्रैंसिस्को स्थित एक कम्पनी ने आरम्भ किया है। इसमें कुछ ऐसे फीचर्स हैं, जो हमेशा-हमेशा के लिए हमारे जीवन के कुछ महत्वपूर्ण आयामों को बदलने में सक्षम हैं, जैसे कुछ सीखना, बच्चों को शिक्षा प्रदान करना, लिखना, पढ़ना या विश्लेषित करना आदि।
एलन मस्क द्वारा वित्तपोषित इस फाउंडेशन के ताजातरीन चैटबॉट के कारण प्रोफेसर्स, प्रोग्रामर्स, ग्राफिक डिजाइनर्स और छोटे पत्रकार चंद ही सालों में अपनी नौकरियां गंवा सकते हैं! ओपनएआई के सबसे महत्वपूर्ण फीचर्स में से एक है- चैटजीपीटी।
यह एक साधारण-से इंटरफेस की तरह है, जहां आप कुछ प्रश्न पूछते हैं या कोई कथन कहते हैं, जिसका चैटजीपीटी के द्वारा उत्तर दिया जाता है। वह अपना कंटेंट इंटरनेट से प्राप्त करता है। फिर वह गूगल से अलग कैसे हुआ? अंतर यह है कि जहां गूगल किसी भी क्वेरी का उत्तर देने के लिए असंख्य वेब पेजेस से प्रासंगिक सूचनाएं संकलित करता है, वहीं चैटजीपीटी हमें सूचनाओं के वैसे बड़े टेक्स्ट मुहैया कराता है, जो अत्यंत सटीक हैं और आप जो भी जानना चाहते हैं, उसे आपको समग्रता में प्रदान करने में सक्षम है।
आप चैटजीपीटी से कोई भी सरल-सा प्रश्न पूछें, जैसे ‘क्या म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट करना सही है?’ या ‘क्या आप हरिवंश राय बच्चन की शैली में एक ऐसी कविता लिख सकते हैं, जिससे बच्चों को सोशल मीडिया का कम उपयोग करने के लिए प्रेरित कर सकें?’ इस पर आपको चैटजीपीटी वैसा उत्तर देगा, जो कोई मनुष्य ही दे सकता है। वे समाधान मौलिक और सटीक होते हैं।
चैटजीपीटी गत नवम्बर से ही सर्वसाधारण को नि:शुल्क उपलब्ध है। यह कविताएं लिख सकता है, निबंध लिख सकता है, कहानियां और फिल्मों की पटकथाएं लिख सकता है और वेबसाइट कोड स्निपेट्स भी जनरेट कर सकता है। ओपनएआई पर एक अन्य फीचर का शीर्षक डेले-ई है, जो मौलिक कलाकृतियां रचने में सक्षम है। यह लोगोज़, पेंटिंग्स, ग्राफिक्स सहित विभिन्न शैलियों के चित्र बना सकता है।
अगर आप यह जानकर हतप्रभ हैं तो थोड़ा और सुनें। अभी ओपनएआई आउटपुट्स जनरेट करने के लिए जितनी सूचनाओं का इस्तेमाल कर रहा है, वे हिन्द महासागर जितनी हैं। लेकिन इस साल उसके जो नए संस्करण लॉन्च किए जाने वाले हैं, वे पांचों महासागरों के बराबर सूचनाएं खंगालकर आउटपुट देने में सक्षम होंगे।
ऐसे में हम मनुष्यों का भविष्य क्या होगा? क्या एआई हमारे सबसे बड़े क्रिएटिव जीनियस से भी ज्यादा बुद्धिमान बन जाएगी? शायद, देर-सबेर ही सही, पर हां। आज कम्प्यूटर्स इतनी तेजी से गणनाएं करने में सक्षम हैं, जितनी मनुष्य कभी नहीं कर सके थे।
नई तकनीकें स्कूल, कॉलेज, लॉ फर्मों में मौजूद अटॉर्नी, अकाउंटेंट्स, डाटा विश्लेषण, फैक्ट-चेकिंग, डिजाइन फर्म्स, मार्केटिंग, फैशन आदि की दुनिया को हमेशा के लिए बदल देंगी। लेकिन इसके साथ ही हमें इस बात पर पूरा भरोसा रखना होगा कि हम मनुष्य उनका ठीक से इस्तेमाल करने और उन्हें काबू में रखने में सफल होंगे। क्योंकि मनुष्य सोच सकते हैं, अनुकूलन कर सकते हैं।
हम जब तक अनुकूलन करते रहेंगे, हमारा अस्तित्व बचा रहेगा। स्कूलों में बच्चों को पहले की तरह लिखना सीखना होगा, लेकिन अब उन्हें रट्टेबाजी के बजाय सोचने की क्षमता, व्यक्तिगत सामर्थ्य और तकनीकी कुशलता विकसित करने पर ज्यादा ध्यान देना होगा।
एलेक्सा के जमाने में आप टेप-कैसेट को नहीं बचा सकते। लेकिन जब तक मनुष्यों में सोचने व एडाप्ट करने की क्षमता है, तब तक आशा की जानी चाहिए कि वे अपनी प्रासंगिकता कायम रखने में सफल रहेंगे।
एलन मस्क द्वारा वित्तपोषित ओपनएआई के ताजातरीन चैटबॉट चैटजीपीटी के कारण प्रोफेसर्स, प्रोग्रामर्स, ग्राफिक डिजाइनर्स और छोटे पत्रकार चंद ही सालों में अपनी नौकरियां गंवा सकते हैं!
(ये लेखिका के अपने विचार हैं)
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