क्या दिन दिखाए कुदरत ने। चांद लापता है, सूरज कहीं खो गया-सा लगता है। सुबह वीरान हो गई, शाम सन्नाटे में डूबी हैं। धरती, आसमान, जंगल, नदी, पहाड़, रास्ते सब इशारा कर रहे हैं, पर इंसान है कि सुनने को तैयार ही नहीं है। उनके इशारों में कुछ शब्द हैं। वो कह रहे हैं कि दूसरों को तो सिर्फ फूंक ही देना है, आग तो अपने ही लगा चुके होते हैं। यहां दूसरे का अर्थ है इन दिनों फैला हुआ वायरस, और अपने से मतलब है हम स्वयं। चूंकि हम लोग कहीं न कहीं भटके हुए हैं। इस भटकाव से बाहर निकलना हो तो किसी गुरु का मार्गदर्शन लेना पड़ेगा।
गुर किसे गुरु बनाएं, यदि सामने यह समस्या हो तो याद रखिए इस समय हमारा सबसे बड़ा गुरु है हमारा स्वास्थ्य। किसी फकीर ने कहा है- ‘तत छन परसन होत हीं भजन भाव भरिया।’ जिस क्षण हम गुरु के पास होते हैं, उनसे नेत्र मिलते हैं, उनके दर्शन होते हैं, हमारे भीतर भजन का भाव जाग जाता है। तो गुरु के सान्निध्य से प्राप्त यही भाव हमें स्वस्थ बनएगा, क्योंकि इस समय मानसिक अस्वस्थता सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। यहां एक शब्द आया है ‘तत छन’। इसका मतलब है बिना देर किए। यह तुरंत निर्णय लेने का समय है। यदि सोचेंगे तो वह एक बहाना बन जाएगा, टालने तरीका हो जाएगा। तुरंत निर्णय लीजिए, हर तरह से सावधान रहेंगे, स्वास्थ्य से जुड़े रहेंगे।
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