‘जैसे -जैसे एआई टेक्नोलॉजी का विकास हो रहा है, इस बात को लेकर चिंताएं उठ खड़ी हुई हैं कि जल्द ही ये प्रणालियां मनुष्यों के द्वारा परम्परागत रूप से किए जाने वाले कार्यों की जगह ले लेंगी। ऐसी ही एक टेक्नोलॉजी ने हाल में सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है और वह है चैटजीपीटी।
यह ओपनएआई द्वारा विकसित एक बड़ा लैंग्वेज-मॉडल है। लेकिन क्या सच में ही चैटजीपीटी नौकरियों के लिए एक खतरा साबित हो सकता है?’ अभी-अभी आपने यह जो पैराग्राफ पढ़ा, यह चैटजीपीटी ने लिखा था। क्या आपको पता चला?
चैटजीपीटी गत वर्ष 30 नवम्बर को लॉन्च किया गया था और एक महीने के भीतर इसके यूजर्स दस करोड़ की संख्या को पार कर चुके थे। तो आखिर यह काम कैसे करता है? सामान्यतया, हम इंटरनेट पर डाटा और सूचनाओं की खोज करते हैं। लेकिन चैटजीपीटी एक ऐसी जनरेटिव एआई टेक्नोलॉजी का उपयोग करता है तो फ्रेश कंटेंट मुहैया कराती है।
सरल शब्दों में कहें तो चैटजीपीटी डाटा की खोज नहीं करता, बल्कि वह सूचनाओं को संकलित कर नया डाटा निर्मित करता है। चैटजीपीटी ने ट्यूरिंग टेस्ट को भी सफलतापूर्वक पास कर लिया है, जो किसी मशीन की मनुष्यों-जैसी बातचीत करने की क्षमता की सटीक तरह से और बिना कोई गलतियां किए माप करता है।
नौकरियों पर असर
अतीत में सामान्यतया यह माना जाता था कि रचनात्मक कार्य ऑटोमैशन से अप्रभावित रहेंगे। लेकिन चैटजीपीटी जैसे शक्तिशाली जनरेटिव एआई टूल्स के उदय से तस्वीर बदल रही है। जहां चैटजीपीटी ने कॉपीराइटिंग, मीडिया लेखन, फिक्शन लेखन, स्क्रीन-लेखन आदि में प्रभावी क्षमताओं का परिचय दिया है, वहीं वह रचनात्मक लोगों की विशिष्ट क्षमताओं की जगह लेने में अभी सक्षम नहीं है।
रचनात्मकता के लिए समानुभूति, अंत:प्रेरणा, मानवीय व्यवहार और संस्कृति की गहरी समझ की जरूरत होती है और ये इतनी जटिल चीजें हैं कि मशीन के द्वारा इनका पूरी तरह से अनुसरण नहीं किया जा सकता। ऐसी अनेक भूमिकाएं हैं, जिनमें किसी बिजनेस-विज़न को वास्तविकता में तब्दील करने के लिए मानवीय-बुद्धिमत्ता की जरूरत होती है, जैसे कि प्रोग्राम मैनेजमेंट या एग्रेगेशन। यह एआई नहीं कर सकती। तो चलें, कुछ ऐसे बिजनेस वर्टिकल्स को देखें, जिनमें चैटजीपीटी हमारी मदद कर सकता है :
कस्टमर सर्विस
कम्पनियां चैटजीपीटी का इस्तेमाल सरल के साथ ही जटिल इंक्वायरियों का भी उत्तर देने के लिए कर सकती हैं। हालांकि अंतिम निर्णय लेने के लिए प्रश्नों का उत्तर देने से कहीं अधिक की जरूरत होगी। इसके लिए सक्रिय और तुरंत निर्णय लेने की क्षमता चाहिए, जो केवल मनुष्यों में हो सकती है।
प्रोग्रामिंग
जहां चैटजीपीटी कोडिंग में सहायता कर सकता है, वहीं इस बात की सम्भावना कम ही है कि वह हाई-लेवल डिजाइन के निर्माण में मनुष्यों की जगह ले सकता है। इन कार्यों को करने के लिए मनुष्यों की रचनात्मकता, आलोचनात्मक चिंतन, निर्णय-क्षमता जैसी स्किल्स की जरूरत है।
ऐसे में चैटजीपीटी प्रोग्रामर्स और प्रोडक्ट डिजाइनर्स के लिए मददगार उपकरण ही साबित हो सकता है, वह उनकी जगह नहीं ले सकता। हां, बदलते टेक-लैंडस्केप में प्रासंगिक बने रहने के लिए अब सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को समस्याओं का समाधान करने, डिजाइन थिंकिंग और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट के लिए स्किल्स विकसित करना होंगी।
चैटजीपीटी की सीमाएं और भविष्य के अवसर
अंतत: चैटजीपीटी एक एल्गोरिद्म ही है, जो अपने सिस्टम में भरे गए डाटा पर निर्भर है। अभी इसमें केवल दिसम्बर 2021 तक का डाटा है, उसके बाद के प्रश्नों का सही उत्तर देने के लिए उसके पास न के बराबर डाटा है। सर्ज इंजिनों के विपरीत चैटजीपीटी अपने नॉलेज के स्रोत के बारे में भी नहीं बताता। हो सकता है कि चैटजीपीटी द्वारा उपयोग किए गए ट्रेनिंग डेटा की सीमाओं और उसके पूर्वाग्रहों का मूल्यांकन नहीं कर पाने से जनरेटेड-कंटेंट की गुणवत्ता प्रभावित हो।
आगे की राह
आविष्कार मनुष्यों की मदद के लिए होते हैं और वे नौकरियों के नए अवसर भी सृजित कर सकते हैं। समस्याओं को सुलझाने वाले पेशेवर अगर इस टूल पर महारत हासिल कर लें तो उनके इर्द-गिर्द एक नई इंडस्ट्री भी खड़ी हो सकती है। अंत में, उत्सुकतावश मैंने चैटजीपीटी से पूछा कि इस लेख का शीर्षक क्या होना चाहिए? उसने जवाब दिया : ‘चैटजीपीटी : क्या यह नौकरियां छीन लेगा?’
चैटजीपीटी जैसे टूल्स के कारण जो नया परिवेश निर्मित होने जा रहा है, उसमें काम करने के लिए अब पेशेवरों को भी नई स्किल्स विकसित करना होंगी, ताकि वे अपने कॅरियर में एक कदम आगे बने रह सकें।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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