विलियम जेम्स मायो ने कहा था, ‘दवाइयों के साथ सबसे अच्छी बात यह है कि वे लगातार आगे बढ़ती रहती हैं, उनके बारे में हमेशा कुछ नया जानने को होता है। आज की समस्याएं कल के क्षितिज को धुंधला नहीं करतीं, बल्कि वे हमें और बेहतर प्रयास करने के लिए प्रेरित करती हैं।’
भारत में फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है। अब वह दवाइयों और मेडिकल उपकरणों के लिए ग्लोबल हब बनने की ओर अग्रसर है। उसने वैक्सीन निर्माण में भी बहुत प्रगति की है और वह मिशन-मोड में काम करके पूरे देश में फार्मा मैन्युफेक्चरिंग पार्क्स की स्थापना में जुटी है।
डिकोडिंग जॉब्स इंडिया रिपोर्ट 2023 के मुताबिक भारत की फार्मा इंडस्ट्री में इस साल पिछले साल की तुलना 16% अधिक जॉब्स के अवसर निर्मित हो सकते हैं। वर्तमान के तकनीकी-आधारित माहौल में अपने विकास की सम्भावनाओं को बढ़ाने और भविष्य के लिए तैयारी करने के लिए कम्पनियों को डिजिटली-स्किल्ड प्रतिभाओं की दरकार है।
नौकरियों का परिदृश्य
डॉ. रेड्डीज़ के ग्लोबल हेड के. कुलभूषणन के अनुसार हम फार्मा इंडस्ट्री में ऐसे पेशेवरों की मांग में बढ़ोतरी देखेंगे, जिनके पास केमिकल इंजीनियरिंग, मशीन लर्निंग, एआई आदि की स्किल्स हैं। साथ ही जो प्रोजेक्ट प्रबंधन भी कर सकते हों। वर्तमान में फार्मा सेक्टर में 25 लाख लोग काम कर रहे हैं। इसमें नई भूमिकाओं की मांग बढ़ रही है, जिससे नौकरियों के अनेक अवसर उत्पन्न हो रहे हैं।
नौकरियों के अवसर
इंडस्ट्री में अनेक भूमिकाओं के लिए अवसर हैं, फिर चाहे वह साइबर सिक्योरिटी हो या मेडिसिनल फॉर्मूलेशंस की गोपनीयता कायम रखना, ब्लॉकचेन हो या बेहतर आपूर्ति तंत्र विकसित करना, या अधिक स्मार्ट असेम्बली लाइंस बनाने के लिए रोबोटिक्स व एआई का उपयोग करना। फार्मा इंडस्ट्री में हाई-डिमांड जॉब्स इस प्रकार हैं :
टेक-आधारित भूमिकाएं
फार्मा एग्जीक्यूटिव्ज़ अपने प्रोडक्ट डेवलपमेंट की लागतों और इसमें लगने वाले समय को कम करने में जुटे हैं। इसके लिए कम्पनियों को ऐसी प्रतिभाओं की दरकार है, जो मशीन लर्निंग, एआई, स्टैटिक-डायनैमिक सिम्युलेशन सॉफ्टवेयर में कुशल हों। फार्मा टेक्नोलॉजी की एक स्टडी के मुताबिक पहले ही ड्रग-डेवलपमेंट का 70% कार्य एआई, मशीन लर्निंग और नेचरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग की सहायता से किया जा रहा है।
क्वालिटी एश्योरेंस और मैन्युफेक्चरिंग
यह दवाइयों और मेडिकल उपकरणों के निर्माण में उत्तम मानकों के निर्वाह को सुनिश्चित करता है। इस विभाग में बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट और लीन सिक्स सिग्मा पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों के लिए अनेक नई नौकरियों के अवसर हैं। ये पेशेवर प्रभावी एरर-प्रिवेंशन तकनीकों का विकास कर सकते हैं, नवाचारी प्रबंधन कर सकते हैं और मटैरियल फ्लो को बेहतर बना सकते हैं।
प्रोजेक्ट प्रबंधन
यह एक और महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जिसमें टीमों के बीच प्रभावी सहभागिता सुनिश्चित करने पर फोकस किया जाता है। इससे ऐसे पेशेवरों की मांग में वृद्धि हुई है, जिन्हें एक कुशलतापूर्ण कार्यप्रणाली को लागू करने की समझ हो।
रिसर्च एंड डेवलपमेंट
यह तो फार्मा सेक्टर के केंद्र में है, जिससे शोध-उन्मुख पेशेवरों की मांग हमेशा बनी रहती है। सरकार भी रिसर्च एंड डेवलपमेंट को बढ़ावा दे रही है और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इसके लिए 41.92 करोड़ डॉलर का आवंटन किया है। इससे ऐसे वैज्ञानिक-तकनीशियनों के लिए नौकरियों के अवसर बने हैं, जिन्हें जीनोमिक्स, बायोकेमिस्ट्री, मोलेक्युलर बायोलॉजी, ड्रग डिस्कवरी, टॉक्सीकोलॉजी आदि क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त है।
सेल्स एंड मार्केटिंग
सबसे अंत में अगर हम गैर-तकनीकी पहलू को देखें तो कम्पनियां अनुभवी सेल्स एंड मार्केटिंग पेशेवरों की भी खोज कर रही हैं, ताकि वे ग्राहकों से मजबूत सम्बंध बनाते हुए प्रतिस्पर्धात्मक रूप से लाभ की स्थिति में आ सकें। इससे डिजिटल मार्केटिंग, ब्रांडिंग, सोशल मीडिया प्रबंधन, मार्केटिंग स्ट्रैटेजी प्लानिंग आदि क्षेत्रों में नौकरियों के अवसर निर्मित होते हैं।
कम्पनियों को ऐसे उम्मीदवारों की भी तलाश है, जो स्ट्रैटेजिक थिंकिंग और समस्याएं सुलझाने में सक्षम हों। इसलिए इंडस्ट्री प्रोफेशनल्स के नेटवर्क से जुड़ें, सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हुए उचित व्यक्तियों के सम्पर्क में आएं और अवसर मिलते ही अपनी पसंद की नौकरी हासिल कर लें।
फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री आज एक डिजिटल शिफ्ट के दौर से गुजर रही है, जिससे खुद को अपस्किल और रीस्किल करने के लिए तत्पर पेशेवरों के लिए इसमें नौकरियों के अनेक अवसर निर्मित हो रहे हैं।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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