यूं तो विष के भी अनेक रूप हैं। अब तक का सबसे घातक विष कालकूट नाम का हलाहल माना गया जो समुद्र मंथन से निकला था। उसे शिवजी ने पिया था। वह इतना तीखा था कि उसके कारण उनका कंठ नीला हो गया था। वो तो एक बार नीलकंठ हुए। फिर युग बदले। और आज के दौर में तीन तरह के विष हमें और खासतौर पर बच्चों को परेशान कर रहे हैं।
डिजिटल मीडिया से वासना का जहर, शिक्षा-अशिक्षा से करियर का दबाव और प्रदूषण से स्वास्थ्य पर असर हो रहा है। अब तो डब्ल्यूएचओ ने भी मान लिया है कि प्रदूषण के मामले में भारत खतरनाक स्थिति में जा रहा है। ये एक डरावना आंकड़ा है कि दुनिया में प्रदूषण से जितने भी लोग मरते हैं उसमें 25% योगदान भारत का है।
राजधानी दिल्ली के आसपास प्रदूषण की स्थिति खराब है। इसलिए इन तीन तरह के विष से हमें स्वयं को और बच्चों को बचाना चाहिए। डिजिटल मीडिया के लिए सामाजिक जागृति लाई जाए, प्रदूषण के लिए कानूनी सख्ती हो और शिक्षा के लिए समानता हो। जब इन तीनों का आक्रमण हो तो बच्चों को हम तन, मन और आत्मा का अंतर समझाते हुए मजबूत बनाएं।
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