श्रेष्ठ को पकड़ना और नि:कृष्ट को छोड़ना, इस योग्यता को अब लगातार तराशना पड़ेगा। कल्पना करिए कि सड़क पर गड्ढे हों, कीचड़ भरा हो और किसी वाहन के पहियों से उड़कर वह कीचड़ आप पर लग जाए। ऐसी स्थिति में आप कुछ नहीं कर सकते। समाज में भी ऐसा ही सब चल रहा है। पिछले दिनों चित्रपट के एक ख्यात पुरुष ने अपना ही निर्वस्त्र चित्र ऐसे उछाला जैसे कीचड़।
समाज के नैतिक राजमार्ग पर हमने इतने गड्ढे छोड़ दिए हैं तो ऐसी गाड़ियां कीचड़ तो उछालेंगी। अब हमें तय करना है कि इन दृश्यों का क्या करें। प्रबंधन की दुनिया में ऐसा कहते हैं कि अंग्रेजी भाषा व्यवसाय की रीढ़ है और अश्लीलता समाज का मुखड़ा बना दी गई है। कुछ लोग तो मौका ही तलाश रहे हैं कि कब अपनी अश्लीलता को उजागर कर दें।
हालांकि ऐसा नहीं है कि पूरा समाज ही भ्रष्ट हो गया। यह सब चलता रहेगा। शूर्पणखा का छलावा बंद नहीं होगा, दुशासन के हाथ भी नहीं रुकेंगे, लेकिन हमें सीखना होगा श्रेष्ठ तब भी था, नि:कृष्ट उस समय भी रहा। तो आज श्रेष्ठ को पकड़ें और आसपास जो नि:कृष्ट है, उसे छोड़ दें।
Copyright © 2023-24 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.