जिनकी दुआओं से लोगों की कोठियां खड़ी हो गईं, तिजोरी भर गईं, वो दुआ देने वाले लोग आज भी रोटी, कपड़ा और मकान की तलाश में भटक रहे हैं। मनुष्य जब संसार में रहता है तो उसकी जिंदगी इन तीन बातों के आसपास घूमती है। हम लोग नए साल में प्रवेश कर चुके हैं और नववर्ष हमें गति दे रहा है। रोटी, कपड़ा और मकान की तलाश इस संकल्प के साथ करें कि हम इन तीनों के साथ शांति जरूर ढूंढेेंगे।
यह चौथी बात अब इन तीनों के लिए बहुत आवश्यक हो जाएगी। अभी हम रोटी, कपड़ा और मकान में भोग, सुविधा तलाशते हैं। शांति पता नहीं कहां खो जाती है। हमारा प्रयास हो कि हमारी रोटी यानी अन्न हमें तनाव में न डाले। अन्न से मन बनता है और मन से ही शांति व अशांति का जन्म होता है। हमारे कपड़े ऐसे हों कि हम प्रसन्न रहें। हमारा मकान अपने आप में वैकुण्ठ हो जाए।
इन तीनों के लिए प्रयास भी करना है। पूरा राष्ट्र एक बार फिर तेज गति से चल निकला है। हमारे सरकारी कर्णधार बार-बार कह रहे हैं हरेक के पास रोटी, कपड़ा, मकान होना चाहिए। कई योजनाएं बन गईं लेकिन एक योजना हमें बनाना है कि हम दूसरों के कंधे पर चढ़कर यह हासिल कर भी लें तो भी शांति हमें अपने ही पैरों पर चलकर मिलेगी।
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