माहौल बहुत अधिक भयानक भले ही न हो, लेकिन डरावना होता जा रहा है। ऐसे समय में यदि कमजोर रहेंगे तो रास्ता गलत पकड़ लेंगे। तो या तो इतने समझदार हो जाइए कि सही रास्ता खुद ढूंढ लें, या फिर इतने ताकतवर बन जाएं कि जहां कदम रखें वहीं रास्ता बन जाए। यदि यहां ठीक से काम नहीं किया, चूक कर गए तो इस बदलते माहौल में इतने अकेले हो जाएंगे कि साया भी साथ छोड़ देगा।
इस समय जब बीमारी हर रोज नई करवट लेकर उठ-बैठ रही है, अपना आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए एक प्रयोग करिए कि परमात्मा और आत्मा से अधिक जुड़िए। हम एक बड़ी चूक यह करते हैं कि अपने शरीर को जानते हैं और परमात्मा को मानते हैं। मतलब भगवान को सतही तौर पर स्वीकार करते हैं कि वह है, लेकिन अपने शरीर की पूरी जानकारी रखते हैं, जबकि वह भौतिक वस्तु जैसा है। अब इसका उल्टा करके देखिए।
जिस दिन परमात्मा हमारे लिए जानना हो जाता है, उसी दिन भीतर से भय चला जाता है, भ्रम दूर हो जाता है। ईश्वर तो एक बहुत बड़ा सत्य है। आपके मानने या न मानने से उसे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। हां, हमें बहुत फर्क पड़ता है जब उसको जानने लगते हैं। यहीं से हम भयमुक्त हो जाते हैं। तो इस समय हमारा रास्ता ऐसा होना चाहिए कि ईश्वर को जानकर चलें। फिर जीवन में कितने ही खतरे आएं, भयभीत नहीं होंगे, भ्रमित नहीं रहेंगे।
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