अब समय आ गया है कि हमें प्रतिभा प्रबंधन पर भी गंभीरता से काम करना होगा। प्रतिभा का सु-प्रबंधन हो जाए, तो वह राम बन जाती है, और कु-प्रबंधन हो जाए, तो वही प्रतिभा रावण का रूप ले लेती है। योग्यता का परिष्कृत रूप प्रतिभा है और इसका प्रबंधन यानी सही व्यक्ति को सही जगह पर लगाकर सही काम ले लिया जाए।
यदि ये तीन बातें ठीक से हो जाएं तो परिणाम शत-प्रतिशत मिलेगा। लेकिन आज प्रतिभा को लगता है कि मेरे साथ निष्पक्ष निर्णय नहीं हो रहा है। मेरी योग्यता आरक्षण जैसे हाथी के पैर के नीचे रौंद दी जा रही है। तीन तरह के नाच होते हैं- कठपुतली का, कला नर्तकी का और वेश्या का। लेकिन चौथा नृत्य भी होता है, जिसे तांडव कहते हैं।
अगर प्रतिभा को इसी तरह रौंदा गया, तो ये प्रतिभाएं एक दिन तांडव करेंगी। और खासतौर पर राजनीतिक इरादों को अपने पैर के तले रौंद देगी। और यह किसी भी समाज और देश के हित में नहीं होगा। हम कम से कम इतना कर सकते हैं कि निजी रूप से हमारे जीवन में कोई प्रतिभा आए तो उसका सम्मान करें।
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