कई बार हम लोग व्यावसायिक जीवन की दौड़-भाग में परिवार को भूल जाते हैं। कई संस्थानों ने ऐसी व्यवस्था की है कि वहां काम करने वाले लोग परिवार के साथ समय बिताएं। वर्क-लाइफ बैलेंस आजकल बहुत बड़ी चुनौती बन गया है।
इसमें दो बातें हैं- एक तो लोग समय पर घर पहुंच जाएं और दूसरा पहुंचने के बाद घरवालों के साथ समय बिताएं। इन दो पर कई संस्थान काम कर रहे हैं, लेकिन एक तीसरा काम भी होना चाहिए कि घरवालों के साथ जो समय बीते, वो प्रेमपूर्ण हो। इन तीनों बातों का परिणाम ये होना चाहिए कि एक ऐसी ऊर्जा अंदर उतरे, जो अगले दिन कार्यस्थल पर पूरे उत्साह से काम करने के लिए प्रेरित करे।
इसके लिए एक प्रयोग घरों में किया जाना चाहिए- सामूहिक ध्यान। ध्यान एकांत की प्रक्रिया है, पर परिवार के मामले में इसे सामूहिक बनाना चाहिए। एक-दूसरे के शरीर से निकलने वाली पॉजिटिव एनर्जी पूरे परिवार को उत्साह व प्रसन्नता से भर देगी। इसलिए अब आवश्यक हो गया है कि हर संस्थान में एक ध्यान कक्ष भी बनाया जाए, जहां सिर्फ शून्य हो, बाकी समीकरण दूसरों के कक्ष में चलते रहें।
Copyright © 2023-24 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.