गर्मी ने दस्तक दे दी है। और इस मौसम में जितनी सावधानी रखनी है, उसमें एक बड़ी सावधानी खानपान की रखनी होगी। हमारे यहां शास्त्रों में ऋषि-मुनियों ने कहा है, अन्न से मन बनता है। अन्न यदि दूषित हो गया, अज्ञात हाथों से बना खा लिया, तो सीधा परिणाम स्वास्थ्य पर पड़ेगा।
शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य दोनों आहत होंगे। इसीलिए कहा तो यहां तक गया है कि ‘भांति अनेक भई जेवनारा। सूपसास्त्र जस कछु ब्यवहारा।’ शिव जी की बरात में जब भोजन परोसा गया तो पाक शास्त्र में जैसी रीति है, उसके अनुसार रसोई बनी। हम सबके लिए संकेत है कि भोजन पाक शास्त्र के अनुसार करिए। चार तरह के भोजन हैं- भक्ष्य, भोज्य, चोष्य और लेह्य।
भक्ष्य मतलब लड्डू, बूंदी, पापड़, समोसा, मठरी। भोज्य मतलब दाल, भात, खिचड़ी, खीर, रोटी, पूरी, जलेबी, इमरती, मिठाई। चोष्य मतलब सागभाजी, तरकारी और लेह्य का अर्थ है पीने योग्य। इसलिए अब सावधानी से भोजन करें। इन दिनों वीगन फूड की बड़ी चर्चा है, तो क्यों न हम शाकाहार करें और पूरी समझदारी के साथ करें।
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