• Hindi News
  • Opinion
  • Pt. Vijayshankar Mehta's Column Today, Whether It Is Business Or Job, Women Feel Insecure

पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:आज व्यापार हो या नौकरी, महिलाएं असुरक्षित महसूस करती हैं

3 महीने पहले
  • कॉपी लिंक
पं. विजयशंकर मेहता - Dainik Bhaskar
पं. विजयशंकर मेहता

नीले गगन पर जब चांद की बरात आती है तो अच्छे-अच्छों का मन डोलने लगता है। अर्थ और धर्म की दुनिया में वैभव आसमान में छाया हुआ है और वैभव अपने साथ विलास लेकर आता है। अर्थ की दुनिया यानी प्रोफेशनल लाइफ।

आज व्यापार हो या नौकरी, महिलाएं असुरक्षित महसूस करती हैं। लेकिन सबसे ज्यादा निराशा तब होती है, जब धर्म की दुनिया में भी नारियों को अपनी सुरक्षा ढूंढना पड़ती है। हमारे देश के अनेक महामंडलेश्वर इस बात को लेकर चिंतित हैं, वो एकांत में या दबी जुबान से कहते हैं कि कुछ ऐसे लोगों ने धर्म के संसार में प्रवेश कर लिया है, जिन्हें चरित्र की चिंता नहीं है।

उनके लिए ये भी एक भोग का मार्ग हो गया। वैभव तो यहां है ही। कॉर्पोरेट सेक्टर में तो खुलेआम ये खेल चलता है। दरअसल दोनों ही जगह ऐसा इसलिए हो जाता है, क्योंकि लोग चरित्र को प्रधानता देना बंद कर चुके हैं। चिंता पोप की हो या महामंडलेश्वर की, निदान हम लोगों को निकालना पड़ेगा। इसलिए शास्त्रों में लिखा है कि चरित्र बनता है खुद के प्रयासों से और व्यक्तित्व बनता है दूसरों के योगदान से।