रश्मि बंसल का कॉलम:12 महीने में 12 नई और अच्छी आदतें बनाइए

3 महीने पहले
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रश्मि बंसल, लेखिका और स्पीकर - Dainik Bhaskar
रश्मि बंसल, लेखिका और स्पीकर

नया वर्ष, नई उमंग, नए इरादे। सिर्फ सात दिन हुए, भूल गए हो वादे। वही, जिसे अंग्रेजी में न्यू ईयर रिजॉल्यूशन कहा जाता है। रोज जिम जाएंगे, हेल्दी खाएंगे, समय पर उठेंगे, वर्शन 2.0 बनेंगे। घरवालों की आंखें कह रही हैं, हमें पता था। और आपने भी मान लिया, जो जैसा है वैसा ही रहता है। लेकिन जरा सोचिए, ये रिजॉल्यूशन वाला आइडिया कितना नाटकीय है। क्या एक तारीख बदलने से सब बदल सकता है?

जो चर्बी सालों भुक्खड़पंथी से चढ़ी है, वो क्या सपने में की गई कसरत से कभी घटती है? रिजॉल्यूशन वाला रास्ता है फेल होने की गारंटी। मगर हार न मानें, है एक और तरीका भी।

12 महीने में 12 नई आदतें बनाएं। पहले महीने एक शुरू कीजिए, उस बुनियाद पर और जमाएं।

शुरू करें किसी ऐसी चीज से, जो लगे बिलकुल छोटी-सी। जब उसकी आदत पड़ जाए तो खुशी होगी मोटी-सी। रास्ता तय होता है एक-एक कदम चलने से। गिरते, पड़ते, फिसलने से। आपके साथ शेयर कर रही हूं कुछ सिम्पल आइडियाज़। कोई एक पकड़कर अपना सफर शुरू कीजिए...

1. सुबह की धूप : सुबह उठकर सूर्य देवता की ओर मुख मोड़ें। विटामिन डी के प्राकृतिक स्रोत से अपना तन जोड़ें। पांच-सात मिनट पूरा आनंद लीजिए, फिर अपना रोज का काम कीजिए।
2. हग अ ट्री : हवा में, जल में, सब्जी में, फल में, सबमें प्राण है। एक जीते-जागते पेड़ में तो सबसे अधिक। तो दोस्ती कीजिए, अपनी बांहों में लीजिए। अच्छा लगेगा।
3. मिरर वर्क : आंखों में आंखें डालकर खुद को खुद से मिलाइए। मुरझाए हुए फूल को फिर खिलाइए। अपना नाम लेकर कहिए- आई लव यू, जस्ट द वे यू आर...
4. स्माइल एट अ स्ट्रेंजर : किसी अनजान व्यक्ति की तरफ मुस्कराइए। हो सके तो बतियाइए। दुनिया आजकल ऐसी फितरत से कतराती है। मगर ये एक कला है, जो काम में आती है।
5. फल का सेवन : बैग में एक फ्रूट लेकर ऑफिस जाइए। जब भूख लगे तो नमकीन के बजाय उसे खाइए। मीठे का मन हो तो रखिए खजूर, मिठाई से बेहतर है हुजूर।
6. फोन व्रत : रात दस बजे से सुबह सात बजे तक फोन का इस्तेमाल न करें। प्रियजनों काे कह दें नो वॉट्सएप्प, इमरजेंसी हो तो ही कॉल करें। दिमाग का बोझ कम, फ्रेश उठेंगे हम।
7. जॉय ऑफ गिविंग : तीन सौ रुपए की एक कॉफी कम पीजिए, किसी गरीब बच्चे की फीस दीजिए। बीस रुपए की कॉफी में भी स्वाद है, उस बच्चे का चेहरा जो याद है!
8. वन बुक अ मंथ : एक किताब साथ में रखिए। लंच ब्रेक में कुछ पन्ने पढ़िए। किताब दिमाग के लिए डम्बबेल का काम करती है, मन-मस्तिष्क को चुस्त रखती है।
9. ग्रैटिट्यूड डायरी : सोने से पहले नोटबुक खोलिए। यूनिवर्स को शुक्रिया बोलिए। जिस से भी खुशी या संतुष्टि मिली, उसके लिए कहिए- आई एम ग्रेटफुल फॉर... मुस्कराते हुए सोइए।
10. स्पेंड लेस : हर शादी के लिए नए कपड़े न लीजिए, अपनी बहनों-सखियों के साथ एक्सचेंज कीजिए। उनका भी भला, आपका भी।
11. ईट फ्रेश : रोज एक सब्जी चुनकर लाइए। पांचों इंद्रियों के उपयोग का आनंद पाइए। फ्रिज को खचाखच न भरें। ताजे खाने का सेवन करें।
12. जादू की झप्पी : वॉट्सएप्प पर इमोजी तो सेंड करते हैं, लेकिन असली इमोशन दिखाने से डरते हैं। अपने परिवार में किसी को आज ही, अभी, एक हग दीजिए। स्नेह का सच्चा आनंद लीजिए।

तो ये थे कुछ सिम्पल आइडियाज़, जो आप अपने जीवन में एक-एक करके लागू कर सकते हैं। लेकिन अपनी लिस्ट बनाएंगे तो और भी अच्छा। हां, एक सुझाव ये है कि अपने एक दोस्त को ले लो इस अभियान में साथ। थोड़ी जवाबदारी होगी, थोड़ी मोटिवेशनल बात। अगर आप फिसले तो वो पकड़ ले, न आपको जज करे ना आप पर हंसे। बच्चा जब लेगो का घर बनाता है तो एक शिला के ऊपर एक शिला जमाता है। इसी तरह आदतों का ताज महल बनता है। धीरे-धीरे जीवन संवरता है।

एक-एक कदम से रास्ता
शुरू करें किसी ऐसी चीज से, जो लगे बिल्कुल छोटी-सी। जब उसकी आदत पड़ जाए तो खुशी होगी मोटी-सी। रास्ता तय होता है एक-एक कदम चलने से।

(ये लेखिका के अपने विचार हैं।)