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एन. रघुरामन का कॉलम:स्ट्रॉन्ग यानी मजबूत लोग अपने लिए खड़े होते हैं, जबकि ज्यादा मजबूत यानी स्ट्रॉन्गर लोग दूसरों के लिए खड़े होते है

3 महीने पहले
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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु - Dainik Bhaskar
एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

इस शनिवार को मैं तुर्की के अंतालिया में भीड़-भाड़ भरे पुराने बाजार की गलियों में खरीदारी कर रहा था। यह मशहूर खाऊ गली है, जहां वाहनों का प्रवेश वर्जित है पर वह गली चार मुख्य सड़कों को काटती है। इसलिए वहां एक से दूसरे रेस्तरां में भोजन के लिए जाते लोगों के सुरक्षित चलने के लिए चार पैदल यात्री संकेत लगे हैं।

पूरे तुर्की में कार मालिकों को इन पैदल यात्री संकेतों को सख्ती से मानना होता है और वो इसलिए नहीं कि आप और मुझ जैसे लोग सड़क पार करते हैं, बल्कि ढेर सारे आवारा पशु भी वो सिग्नल्स पार करते हैं। यह देखने वाली जगह है कि पशु हमारे सिग्नल सिस्टम का सम्मान कर रहे हैं।

इन चार जंक्शन में से एक पर मैं खड़ा था और लाल संकेत के हरे होने में 40 सेकंड का वक्त था। अचानक से मेरे पैर के नीचे से कुछ निकला और मुझे बाईं ओर हल्का-सा धक्का दिया ताकि मेरे बगल में खड़ा हो सके। मेरी दाहिनी ओर खड़ा तुर्किश आदमी मुस्कराते हुए थोड़ा और दाएं खिसक गया ताकि उस मोटी स्ट्रे कैट को अतिरिक्त जगह मिल सके।

उसने कहा,‘जैक तुम फिर यहां हो’, मानो वे एक-दूसरे को जानते हों। अपना नाम सुनकर बिल्ली ने सिर उठाया, पर अचानक सिग्नल पर ध्यान लगाया मानो वह उसकी घड़ी पर नंबर पढ़ सकती हो। सिग्नल पर अभी भी 16 सेकंड बाकी थे। पहली कतार में एक और बिल्ली आ गई। वह भी पैदल यात्री सिग्नल के हरे होने का इंतजार करने लगी।

मुझे जिस चीज ने चकित किया वो ये कि दोनों ही पहले सिग्नल पार करना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने लाइन तोड़ दी लेकिन सड़क पर एक इंच भी आगे नहीं बढ़ीं। ज्यों ही सिग्नल हरा हुआ, उन्होंने तभी आगे बढ़ना शुरू किया जब बाकी सभी लोग आगे बढ़ने लगे।

अगर मेरे सामने से किसी ने तस्वीर खींची होती तो दिखता कि सड़क पार कर रही पहली कतार में तीन इंसान और दो बिल्लियां थीं! उन दोनों बिल्लियों ने ये पक्का किया कि वे दो इंसानों के बीच सुरक्षित चलें। जैसे हम हमारे यहां बुजुर्गों या दिव्यांग लोगों की सड़क पार कराने में मदद करते हैं, वैसे ही वहां के स्थानीय रहवासी हमेशा इन पशुओं की मदद करते हैं।

जब मैं यह देखने के लिए पीछे मुड़ा कि कितने और पशु ऐसे जंक्शन से गुजरते हैं, तो रास्ते के एक रेस्तरां मालिक ने मुझे एक कुर्सी देते हुए बैठने के लिए कहा और बोला कि इन मजेदार पशुओं को देखें, जो एक रेस्तरां से दूसरे रेस्तरां जाते रहते हैं क्योंकि यहां के लोकल लोग उन्हें खिलाते रहते हैं और उन्हें उनके खाने का समय भी पता है।

कोई ताज्जुब नहीं कि इस देश के सारे कुत्ते-बिल्ली मोटे हैं, जबकि इंसान फिट हैं क्योंकि इंसानों को ज्यादा पैदल चलना होता है जबकि जानवरों को मुफ्त में खाने मिलता है। स्ट्रे कैट तुर्की में लोगों की प्रिय जानवर हैं जहां वे सड़कों पर आजादी से घूमती हैं। वे हमारी ही तरह ट्रेन में चढ़ती हैं और एक जगह से दूसरी जगह जाती हैं। स्थानीय लोग दिल से उनकी मदद करते हैं और कई जगहों पर बिल्लियां शुभांकर हैं।

उदाहरण के लिए बोजी नाम का स्ट्रे डॉग लोकल ट्राम में आता-जाता है और इस्तांबुल की म्यूनिसिपैलिटी में पे-रोल पर है। ठीक ऐसे ही उइकुकू (स्लीपीहैड) नाम की बिल्ली कराओलु स्कूल में प्राइमरी कक्षा की टेबल पर बैठती है और रुचि से क्लास में जाती है। बस वह अपने साथ स्कूल बैग नहीं लाती और होमवर्क नहीं करती। विद्यार्थी स्लीपीहैड को नियमित तौर पर खिलाते हैं। यह देखभाल ही है जो बच्चों को न केवल मजबूत बनाती है! ताज्जुब कर रहे हैं कैसे? यहां जवाब है।

फंडा यह है कि स्ट्रॉन्ग यानी मजबूत लोग अपने लिए खड़े होते हैं, जबकि ज्यादा मजबूत यानी स्ट्रॉन्गर लोग दूसरों के लिए खड़े होते है। भाई-बहनों की या पशुओं की देखभाल के जरिए बच्चों में यह गुण डालें।