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पंकज बंसल का कॉलम:भारत में ऑटोमोबाइल सेक्टर तूफानी गति से बढ़ा है और वाहनों की मांग बढ़ रही है

2 महीने पहले
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पंकज बंसल Taggd (डिजिटल रिक्रूटमेंट प्लेटफॉर्म) और वर्क यूनिवर्स के सह-संस्थापक - Dainik Bhaskar
पंकज बंसल Taggd (डिजिटल रिक्रूटमेंट प्लेटफॉर्म) और वर्क यूनिवर्स के सह-संस्थापक

बिल फोर्ड ने कहा था कि ऑटोमोटिव इंडस्ट्री एक जीवित प्राणी की तरह है, जिसका निरंतर विकास होता रहता है। यही कारण है कि उसमें काम करने वाले लोगों का लचीला, समावेशी और नवाचारी (इनोवेटिव) होना जरूरी है। भारत में ऑटोमोबाइल सेक्टर तूफानी गति से आगे बढ़ा है।

बीते दो सालों में बाजार के बदलते चलन के बावजूद उसने चुनौतियों का सामना करने की अद्भुत क्षमता दिखाई है। ग्राहकों की रुचि में बदलाव आ रहा है, जिससे टू-व्हीलर, फोर-व्हीलर और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की मांग में इजाफा हो रहा है।

जब भी किसी सेक्टर में ग्रोथ होती है तो उसके साथ ही उसमें नई प्रतिभाओं की मांग भी बढ़ने लगती है। टैग्ड की डिकोडिंग जॉब्स इंडिया 2023 रिपोर्ट के मुताबिक ऑटोमोटिव इंडस्ट्री इस साल टैलेंट-हायरिंग में अग्रणी भूमिका निभाते हुए 30 प्रतिशत नई नियुक्तियां करने जा रही है।

सरकार की पहल

भारत की सरकार ऑटोमोटिव इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए बिजनेस-फ्रेंडली माहौल के निर्माण हेतु सक्रियता से काम कर रही है। इसमें कुशल और अकुशल श्रमिकों को काम के अवसर प्रदान करना भी शामिल है और निवेशकों को आकर्षक इंसेंटिव देना भी। सरकार ने क्लीन टेक्नोलॉजी वाहनों के उत्पादन और निर्यात के लिए 2021 से 2026 के बीच लगभग 3.5 अरब डॉलर के इंसेंटिव देने का प्रस्ताव रखा है।

सरकार कुछ ऑटोमोबाइल कम्पनियों को प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव्स यानी पीएलआई भी प्रदान कर रही है, ताकि स्थानीय स्तर पर वाहन निर्माण को बढ़ावा दे सके और नए निवेशों को प्रोत्साहित कर सके। कंप्रेस्ड नेचरल गैस यानी सीएनजी, इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट्स यानी ईसीयू, एडवांस्ड ड्राइवर असिस्ट सिस्टम्स, बीएसवीआई-कम्लायंट फ्लेक्स-फ्यूल इंजिन्स, ई-क्वाड्रिसाइकल्स जैसी 100 से भी अधिक उन्नत प्रौद्योगिकियों को ऑटोमोबाइल के लिए पीएलआई योजनाओं में सम्मिलित किया गया है।

सरकार के द्वारा इस सेक्टर पर जितना ध्यान दिया जा रहा है, उसके मद्देनजर इसमें नौकरियों के दीर्घकालीन सृजन की स्थिति निर्मित हो गई है। स्किल्स और भूमिकाएं जिनकी मांग है : 2021 से 2025 तक के कालखण्ड को ऑटोमोटिव इंडस्ट्री के लिए महत्वपूर्ण माना गया है।

इसी दौर में मैन्युअल और मैकेनिकल प्रणालियों का ऑटोमैटेड और इलेक्ट्रॉनिक रूप में परिवर्तन हो रहा है। सुविधाजनक सेवाओं की बढ़ती मांग से ऑटोमोटिव इंडस्ट्री की सभी शाखाओं के लिए डिजिटल स्किल्स की जरूरत भी बढ़ी है। इसमें अगर सरकार की पीएलआई योजनाओं को भी जोड़ दें तो इस क्षेत्र में इंजीनियरों, तकनीशियनों और सलाहकारों के लिए बहुत सारी नौकरियों के अवसर निर्मित होते हैं।

वाहनों की बढ़ती मांगों के चलते हाल ही में ग्रैजुएशन, इंटरमीडियट या मिड-लेवल पूरा करने वाले पेशेवरों के लिए भी अनेक अवसर निर्मित हुए हैं। कम्पनियां ऐसे इंजीनियरों को नौकरी पर रखना चाहती हैं, जिन्हें मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और रोबोटिक्स में महारत हासिल हो।

इसके अलावा वे ऐसे पेशेवरों की भी खोज कर रही हैं, जो रिसर्च एंड डेवलपमेंट, टूलिंग, पर्चेस, टेलरिंग, ऑपरेशंस, स्टोर्स, एडमिनिस्ट्रेशन, फाइनेंस और एचआर जैसे विविध क्षेत्रों में कुशल हों। इनके अलावा सिस्टम इंजीनियर्स, प्रोग्राम मैनेजर्स, इलेक्ट्रॉनिक और मेकाट्रॉनिक इंजीनियरों की भी मांग है। फ्यूल सेल्स, ऑटोसार आर्किटेक्चर, बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम, सिस्टम इंटेग्रेशन आदि में कुशलता का आज बड़ा महत्व हो गया है।

रिक्रूटरों की नजर में कैसे आएं

कम्पनियां अपने लिए सही प्रतिभाओं की तलाश कर रही हैं। वे अपनी वर्कफोर्स को मजबूत बनाने के लिए टारगेटेड रिक्रूटमेंट कर रही हैं। ऐसे में ऑटो इंडस्ट्री में प्रवेश करने वालों या इस क्षेत्र का अनुभव रखने वालों को मैं दो सलाह दूंगा।

पहला, इस कम्युनिटी के किसी अनुभवी पेशेवर का रेफरेंस आपकी मदद करेगा। दूसरा, इस सेक्टर की विभिन्न कम्युनिटीज़ और कॅरियर सर्किल्स से जुड़कर भी आप लाभ उठा सकते हैं। अगर आपके प्रयास नियमित हैं तो सही कम्पनी देर-सबेर आपको खोज निकालेगी।

मैरी टी. बार्रा ने उचित ही कहा था कि ऑटोमोटिव इंडस्ट्री हमारे समाज का प्रतिबिम्ब है और इसमें काम करने वाले लोग उतने ही विविधतापूर्ण होते हैं, जितनी कि उनके द्वारा बनाई जानी वाली कारें।

ऑटोमोटिव कम्पनियां ऐसे इंजीनियरों को नौकरी पर रखना चाहती हैं, जिन्हें मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल व रोबोटिक्स में महारत हासिल हो। वे विविध क्षेत्रों में कुशल पेशेवरों की भी खोज कर रही हैं।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)