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बंगाल लगातार चर्चा में है। देश में हुए पहले पूर्ण चुनाव से ही बंगाल का प्रभाव रहा है। 1934 और 1937 में अपेक्षाकृत सीमित मताधिकार वाले चुनाव हुए। सीमित इसलिए कि तब प्रांतीय विधानसभा के सदस्य केंद्रीय विधानसभा (अब संसद) के सदस्यों को चुनकर भेजते थे। वाइसराय लॉर्ड वेवल की घोषणा के अनुसार, पूर्ण मताधिकार वाले पहले चुनाव 1945 (केंद्रीय विधानसभा) में हुए।
प्रांतीय विधानसभा जिन्हें धारा सभा भी कहा जाता था, के पहले पूर्ण चुनाव 1946 में हुए। बात बंगाल की है। 1946 में कांग्रेस ने बंगाल चुनाव की व्यूह रचना पूरी तरह मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को सौंपी। कांग्रेस के लिए ये चुनाव परिणाम निराशाजनक रहे। उसे बंगाल में केवल 87 सामान्य सीटों पर जीत मिली। मुस्लिमों के लिए निर्धारित 119 में से 113 सीटों पर मुस्लिम लीग को विजय मिली। उल्लेखनीय है कि 1945 तक भी देश में सांप्रदायिक रूप से सीटों का कोटा तय था।
कुल मिलाकर बंगाल में शुरू से मुस्लिम मतदाताओं ने निर्णायक भूमिका निभाई है। अभी जो चुनाव हो रहे हैं, उनमें भी यही तथ्य काम कर रहा है। भाजपा को इससे पार पाना है। ममता अपने टूटे हुए पैर की दुहाई देकर मतदाताओं पर गहरा प्रभाव छोड़ने की जुगत में है। कांग्रेस की हालत पतली है। वामपंथ की जड़ें पहले से हिली हुई हैं। ओवैसी अपने वोट कटवा काम में लगे हुए हैं, लेकिन कोई बड़ा हेरफेर कर पाएंगे, ऐसा लगता नहीं। ऐसे में जीत-हार का कोई कयास लगाना बेमानी लग रहा है।
हालांकि बंगाल सहित 5 राज्यों के चुनावों की उत्तर भारत में ज्यादा चर्चा नहीं है, क्योंकि इस इलाके को ताजा हुए एंटीलिया कांड ने जकड़ रखा है। मुकेश अंबानी के घर के पास विस्फोटक रखकर जैसे किसी ने सरकार की नाक पर बम रख दिया हो! देश की तमाम जांच एजेंसियां लगी हुई हैं। कुछ खोदने में। कुछ गढ़ने में। लेकिन यह मामला अंधे के हाथी की तरह हो गया है। कोई सिरा पकड़ में नहीं आ रहा।
वझे कोई खेल खेल रहे थे या परमजीत उन्हें खिलवा रहे थे, कुछ समझ में नहीं आ रहा। मजे की बात यह है कि इस एक मामले से महाराष्ट्र सरकार पर पहाड़ टूट पड़ा है। हो सकता है, इस मामले का पटाक्षेप राष्ट्रपति शासन के रूप में हो! शिवसेना कितनी पक्की है और शरद पवार की राकांपा कितनी कच्ची, यह तो देश देख ही चुका है। अजित पवार की झांकी सबने देखी है।
महाराष्ट्र से याद आता है कोरोना। जैसे कोरोना ने इस प्रदेश को अपना मुख्यालय घोषित कर दिया हो! पूरे देश पर भारी है महाराष्ट्र का कोरोना। आखिर महा-राष्ट्र जो ठहरा। इस बढ़ते कोप के दो ही इलाज हैं- मास्क पहनना और वैक्सीन लगवाना। आज से 45 पार के लोगों के लिए वैक्सीनेशन खुल रहा है। निश्चित ही अब तक की सबसे बड़ी भीड़ वैक्सीनेशन के लिए उमड़ने वाली है।
अब तक के सभी लोगों को मिला लें तो लगभग 50 करोड़ लोग आज से वैक्सीनेशन की पात्रता पा गए हैं। कहते हैं आधी आबादी का वैक्सीनेशन हो गया तो बहुत हद तक कोरोना पर पार पाया जा सकता है। इसलिए यह निर्णायक घड़ी है। वैक्सीनेशन का फैसला तुरंत लेकर उसे अंजाम तक पहुंचाना चाहिए। जो लोग वैक्सीन से डर रहे हैं, उन्हें खुशी से डरने दीजिए। आप तुरंत टीका लगवाइए और जीत जाइए। क्योंकि डर के आगे ही जीत है। बंगाल में कोरोना नहीं है, क्योंकि वहां चुनाव है।
पॉजिटिव- आज आप किसी विशेष प्रयोजन को हासिल करने के लिए प्रयासरत रहेंगे। घर में किसी नवीन वस्तु की खरीदारी भी संभव है। किसी संबंधी की परेशानी में उसकी सहायता करना आपको खुशी प्रदान करेगा। नेगेटिव- नक...
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