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जयप्रकाश चौकसे का कॉलम:ये तेरा घर, ये मेरा घर, ये घर बहुत हसीन है, किसी को देखना हो गर, तो पहले आके मांग ले, तेरी नजर मेरी नजर’

2 वर्ष पहले
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जयप्रकाश चौकसे, फिल्म समीक्षक - Dainik Bhaskar
जयप्रकाश चौकसे, फिल्म समीक्षक

सीमेंट, लोहे और ईंट से बने मकान का भी अपना व्यक्तित्व होता है। कहते हैं कि मकान की दीवारें सुनती भी हैं और बोलती भी हैं। यही नहीं मकान में रहने वालों की विचार प्रक्रिया पर मकान का प्रभाव पड़ता है। प्रकाश आने वाले, हवादार मकान में कुछ सकारात्मकता होती है। मान्यता है कि मकान बनाते समय उसकी नींव में उस समय पैदा हुए शिशु की नाल अर्थात अम्बिलिकल कॉर्ड का छोटा सा अंश डाल देने से मकान पर हमेशा उसके परिवार का हक बना रहता है। गौरतलब है कि खाकसार की अम्बिलिकल कॉर्ड, बुरहानपुर स्थित मकान की नींव में डाली गई थी और आज 80 वर्ष बाद भी मकान में परिवार के सदस्य रहते हैं। इंदौर में बने मकान में भी पोते-पोती की अम्बिलिकल कॉर्ड का हिस्सा डाला गया था।

ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म ‘मुसाफिर’ में मकान में बारी-बारी से तीन किराएदार परिवार रहने आते हैं। इस फिल्म में दिलीप कुमार ने एक गीत भी गुनगुनाया है, जैसे उन्होंने बिमल रॉय की ‘देवदास’ में किया था। एक अन्य फिल्म में तीन दोस्तों को मकान मालिक कहता है कि वह केवल शादीशुदा लोगों को ही किराएदार रखता है, अभिनेता विश्वजीत ने इसमें दमदार महिला किरदार निभाया था। कमल हासन भी फिल्म ‘चाची 420’ में महिला किरदार में थे। यह अंग्रेजी फिल्म ‘मिसेज डाउटफायर’ से प्रेरित थी।

पृथ्वीराज कपूर ताउम्र किराए के मकान में रहे। उनका विचार था कि प्रॉपर्टी को लेकर परिवार में फूट पड़ जाती है। जर, जोरू और जमीन के कारण युद्ध होते हैं। राज कपूर 1946 से चेंबूर स्थित किराए के मकान में रहे। 1982 में पत्नी की जिद पर मकान खरीदा गया। रणधीर कपूर ने मुंबई के हिल रोड पर संगीतकार प्यारेलाल के निवास स्थान के निकट एक मकान बनवाया है। इसमें वे 2 जुलाई से रहने जा रहे हैं। रणबीर कपूर अपने पिता ऋषि कपूर के पाली हिल स्थित मकान की जमीन पर बहुमंजिला बनाने जा रहे हैं, जिसके तलखाने में शूटिंग के लिए एक स्टूडियो बनाया जाएगा।

कुछ लोग सारा जीवन किसी क्लब में बने रेस्ट हाउस में रहते हैं। क्रिकेट का आंखों देखा हाल सुनाने की विधा के पुरोधा ए.एफ.एस तलयार खान सारी उम्र सी.सी.आई क्लब में बने रेस्ट हाउस में रहे। पत्रकार, देवयानी चौबल भी वहीं रहती थीं। पटकथा लेखक सलीम ने ‘दीवार’ की सफलता के बाद बांद्रा में गैलेक्सी इमारत में पहले माले को खरीदा। 100 करोड़ प्रति फिल्म मेहनताना पाने वाले कलाकार सलमान खान उसी इमारत की तल मंजिल पर 500 वर्ग फीट के फ्लैट में रहते हैं, क्योंकि उन्हें माता-पिता के पास ही रहना है।

आमिर खान समुद्र तट के निकट बने बहुमंजिला के एक माले पर रहते हैं और दूसरे माले पर उनका दफ्तर है। राजकुमार राव, आयुष्मान खुराना सभी फ्लैट में रहते हैं। अक्षय कुमार समुद्र तट के निकट बने सात मंजिला भवन के एक माले पर रहते हैं। अजय देवगन, जुहू में बने बंगले में अपने परिवार सहित रहते हैं।

मुंबई के फुटपाथ पर कनात लगाकर अनगिनत लोग पूरी उम्र गुजार देते हैं। फिल्म ‘साथ-साथ’ में जावेद अख्तर का गीत है, ‘ये तेरा घर, ये मेरा घर, किसी को देखना हो गर, तो पहले आके मांग ले, तेरी नजर मेरी नजर’। गोया कि खानाबदोश लोगों का मकान नहीं होता। वे लगातार यात्रा पर रहते हैं। पाकिस्तान की खानाबदोश गायिका रेशमा ने कुछ हिंदुस्तानी फिल्मों में गीत गाए हैं।

सुभाष घई की फिल्म में रेशमा का गीत है, ‘बिछड़े अभी तो हम बस कल परसो, जिऊंगी मैं कैसे, इस हाल में बरसों...’। राज कपूर की ‘हिना’ की नायिका भी एक खानाबदोश है। हिना का गीत, चिट्ठिए दर्द फ़िराक़ वालिए...’। निदा फाजली के इस गीत का आशय है कि जो लोग अक्सर लंबे समय तक अपने घर में नहीं रहते, याद रखें किसी दिन जब वे घर लौटेंगे, तो उनका घर कहीं और चला गया होगा।

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