सीएम अशोक गहलोत चुनावी वर्ष शुरू होने से पहले ब्यूरोक्रेसी की फाइनल टीम बनाने में जुटे हैं, लेकिन कार्मिक विभाग (डीओपी) सीएम की मंशा को ठीक से समझ नहीं पा रहा है। विभाग आईएएस अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग में पर्याप्त होमवर्क नहीं कर रहा है।
यही कारण है कि कुछ अफसरों के पिछले चार साल में पांच बार तबादले हो चुके हैं। दो युवा आईएएस तो ऐसे हैं, जिन्हें डेढ़ वर्ष में तीन बार बदला जा चुका है। यह मामला हाल ही मुख्य सचिव ऊषा शर्मा और सीएमओ तक भी पहुंचा है। इनमें से एक आईएएस के पिता भी राजस्थान काडर में ही वरिष्ठ आईएएस हैं।
अब मुख्यमंत्री गहलोत और सीएमओ में कार्यरत अफसर फिर से एक बड़ी सूची आरएएस काडर की, एक 20-25 आईएएस अफसरों की सूची और एक 25-30 आईपीएस अफसरों की सूची तैयार करने में जुटे हैं। गहलोत ने कार्मिक विभाग को इस विषय में होमवर्क पूरा करने को कहा है।
अब जो ब्यूरोक्रेसी की टीम बन रही है, वो सीएम के राजनीतिक, प्रशासनिक, मंत्रियों-विधायकों के समीकरणों के आधार पर बन रही है, ताकि अगले एक वर्ष में सभी फ्लैगशिप योजनाओं और जिलों के प्रशासन में बेहतरीन काम हो सके।
सूत्रों के अनुसार सीएम गहलोत चुनावों को लेकर वन-मैन आर्मी की तरह तैयारी कर रहे हैं। वे अपनी फ्लैगशिप योजनाओं में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते हैं, लेकिन कार्मिक विभाग द्वारा होमवर्क ठीक से नहीं करने से ऐसी विचित्र स्थितियां बन रही हैं कि फाइनल टीम बन ही नहीं पा रही है।
जब बार-बार तबादले होते हैं तो न केवल अफसरों के मनोबल पर विपरीत असर पड़ता है, बल्कि सरकारी योजनाओं पर कामकाज भी प्रभावित होता है। कामचलाऊ अंदाज में काम होने पर वे योजनाएं ठीक ढंग से रफ्तार नहीं पकड़ पाती हैं।
मुख्यमंत्री गहलोत की मंशा है कि सरकारी योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचे। लेकिन ब्यूरोक्रेसी में लगातार ट्रांसफर-पोस्टिंग के माहौल से किसी भी अफसर के लिए विभाग या योजना पर निरंतर काम होना और मॉनिटरिंग करना बेहद मुश्किल हो जाता है।
कार्मक विभाग में इस तरह हो रही गफलत...
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