राजस्थान की 1.35 करोड़ महिलाएं फ्री स्मार्टफोन और 3 साल के फ्री इंटरनेट कनेक्शन का इंतजार कर रही है। सरकार ने महिलाओं को यह सौगात देने की घोषणा की थी लेकिन अभी तक महिलाओं को स्मार्टफोन नहीं मिला है। मार्च-2022 में पेश किए गए बजट में सीएम गहलोत ने मुख्यमंत्री डिजिटल सेवा योजना (एमडीएसएस) के तहत यह घोषणा की थी।
सोमवार से सरकार का आखरी बजट सत्र विधानसभा में शुरू होना है। सरकार ने अभी तक स्मार्टफोन की खरीद तक नहीं की है। 20- 21 जनवरी को सरकार के सभी मंत्रियों ने अपने प्रभार वाले जिलों का दौरा किया। अब वे सत्र में जाने की तैयारियां कर रहे हैं। मंत्रियों के पास स्मार्टफोन स्कीम के पूरा नहीं होने का जवाब नहीं है।
जिलों के दौरों के दौरान मंत्रियों को कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने यह फीडबैक दिया है कि वे फील्ड में जाते हैं तो हर जगह यही सुनने को मिलता है कि अब तक हमारे घर-परिवार की महिलाओं को स्मार्ट फोन क्यों नहीं मिले।
कार्यकर्ता भी चाहते हैं कि महिलाओं को यह फोन मिलें। इन फोन के जरिए संबंधित विधानसभा क्षेत्र में उनकी पकड़ हर घर तक बन सकती थी, लेकिन नहीं बन पाई है। फोन अब तक महिलाओं को मिल गए होते तो मतदाताओं के बीच सरकार का डायरेक्ट मैसेज जाता, जो नहीं जा पाया है।
कुछ मंत्रियों ने तो आते ही सीएम अशोक गहलोत को इस फीडबैक से अवगत करवा दिया है। बजट सत्र में विपक्षी पार्टी भाजपा के सदस्य भी इस घोषणा के अब तक पूरी नहीं होने पर सरकार को घेरेंगे। भाजपा ने इस मुद्दे पर बोलने के लिए 4-5 विशेषज्ञ विधायकों के नाम भी तय कर लिए हैं।
उद्योग मंत्री बोलीं- बड़ी स्कीम पूरी होने में वक्त लगता है
सीकर जिले की प्रभारी उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने भास्कर को बताया कि यह बहुत बड़ी योजना है। बड़ी योजना को पूरा होने में समय भी ज्यादा लगता है, इसलिए अब तक स्कीम पूरी नहीं हो पाई। सीएम गहलोत तक सारा फीडबैक है, वे जल्द ही इसे पूरा करेंगे। हमारी सरकार ने चिरंजीवी जैसी विशाल आकार की योजना को पूरा किया है, तो इसे भी जल्द ही पूरा करेंगे।
उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी बोले- मोबाइल चिप को लेकर दिक्कत
सिरोही जिले के प्रभारी महेंद्र चौधरी (उप मुख्य सचेतक-विधानसभा) भास्कर को बताया कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं का फीडबैक मिला है। सरकार जल्द ही सभी पात्र महिलाओं को स्मार्ट फोन देगी। मैंने जानकारी की थी कि इस मामले में अभी मोबाइल चिप को लेकर कुछ दिक्कत है, जो जल्द ही दूर कर ली जाएगी। सदन में विपक्ष के हर हमले का जवाब दिया जाएगा। हमारी सरकार की एक भी योजना की आलोचना वे लोग नहीं कर पाएंगे।
राजेंद्र राठौड़ बोले- योजना पर सरकार गोलमाल
उधर सदन में इस योजना के बारे में प्रश्न लगा चुके उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने भास्कर को बताया कि सरकार इस योजना पर पूरी तरह से गोलमाल है। मुफ्त की योजनाओं की मुफ्त में घोषणा करके मुफ्त की वाहवाही लूटी जा रही थी, लेकिन अब सरकार से जवाब देते नहीं बन रहा।
उन्होंने कहा- न तो एक करोड़ 35 लाख महिलाओं को स्मार्टफोन बांटे और फ्री-इंटरनेट कनेक्शन का कुछ हुआ। हालात यह हैं कि इसके लिए एक ऐप राज्य सरकार ने बनवाया था, जिसमें डेढ़ करोड़ रुपए खर्च कर दिए, उस ऐप का भी कोई अता-पता नहीं है।
सूचना व प्रौद्योगिकी विभाग के मंत्री मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही हैं। उनके स्थान पर सदन में शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला को जवाब देना है। डाॅ. कल्ला इससे जुड़े सवाल के जवाब की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन वे इस पर अभी कुछ भी नहीं बता रहे हैं।
करीब 4 महीने पहले 21 सितंबर-2022 को उन्होंने विधानसभा में कहा था कि इस स्कीम के लिए 3500 करोड़ रुपए खर्च होंगे, जिनमें से 1200 करोड़ रुपए मंजूर कर दिए गए हैं।
क्या थी महिलाओं को मुफ्त में स्मार्ट फोन देने की घोषणा
मार्च-2022 में पेश किए गए बजट में सीएम गहलोत ने मुख्यमंत्री डिजिटल सेवा योजना (एमडीएसएस) के तहत यह घोषणा की थी। चिरंजीवी योजना के तहत रजिस्टर्ड प्रत्येक घर की महिला सदस्य (18 वर्ष से ऊपर आयु बीपीएल-गैर बीपीएल सभी) को एक स्मार्टफोन और उसके साथ तीन साल के लिए फ्री-इंटरनेट कनेक्शन दिया जाएगा।
इसके लिए कुल 3500 करोड़ रुपए राज्य सरकार को खर्च करने थे, हालांकि इसमें बजट आवंटन नहीं किया गया था। मुफ्त की यह योजना अभी तक धरातल पर उतरने से बहुत दूर है। न तो सरकार ने स्मार्ट फोन की खरीद की है, न ही किसी मोबाइल कम्पनी से सैट या इंटरनेट कनेक्शन को लेकर कोई करार हुआ है।
अब कांग्रेसी कार्यकर्ता जहां भी जनता के बीच जाते हैं, तो उन्हें चिरंजीवी योजना के बारे में तो अच्छा फीडबैक मिलता है, लेकिन लोग उन से मोबाइल फोन की मांग भी कर रहे हैं।
साढ़े सात करोड़ लोगों के राजस्थान में प्रत्येक परिवार तक पहुंचने का था उद्देश्य
इस योजना के पीछे प्रदेश की कांग्रेस सरकार का मानना था कि इससे महिलाओं को सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में होने वाली क्रांति से जोड़ा जाएगा। सरकार द्वारा एक ऐप भी उन मोबाइल में डाउनलोड किया जाना था, जिसके जरिए प्रत्येक महिला के माध्यम से सरकार की योजनाओं, उन से मिलने वाले लाभ, उन में होने वाली प्रगति, अपडेट्स आदि की परिवारों तक पहुंचाना था।
राजस्थान की जनसंख्या लगभग साढ़े सात करोड़ मानी जाती है। ऐसे में एक करोड़ 35 लाख महिलाओं को सरकार मुफ्त स्मार्ट फोन बांटकर प्रत्येक परिवार तक अपनी पहुंच, पकड़, संदेश का रिश्ता कायम करना चाहती थी।
इन फोन के जरिए आगामी विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस पार्टी अपना प्रचार भी घर-घर तक पहुंचा सकती थी। पार्टी व सरकार के पास एक करोड़ 35 लाख महिलाओं के माध्यम से लगभग हर मतदाता का डाटा होता जो उनके प्रचार के काम आ सकता था। लेकिन फिलहाल यह उद्देश्य बहुत दूर की कौड़ी साबित हो रहा है।
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