सरदारशहर उपचुनाव से पहले रिणवा-डूडी की BJP में वापसी:कमेटी की बैठक-रिपोर्ट के बिना हुआ फैसला; कमबैक के इंतजार में कई नेता

जयपुर6 महीने पहले
  • कॉपी लिंक
विधानसभा चुनाव से पहले बड़ी तादाद में नेता भाजपा में घर वापसी चाहते हैं। सरदारशहर उपचुनाव से पहले राजकुमार रिणवा व जयदीप डूडी की घर वापसी के बाद अब भी कई नेता लौटने की कतार में हैं। - Dainik Bhaskar
विधानसभा चुनाव से पहले बड़ी तादाद में नेता भाजपा में घर वापसी चाहते हैं। सरदारशहर उपचुनाव से पहले राजकुमार रिणवा व जयदीप डूडी की घर वापसी के बाद अब भी कई नेता लौटने की कतार में हैं।

चूरू जिले की सरदारशहर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में लाभ लेने के लिए भाजपा ने पूर्व मंत्री राजकुमार रिणवा और जयदीप डूडी की घर वापसी करवा दी है। इस इलाके में ब्राह्मण वोट बैंक पर रिणवा और जाट वोट बैंक पर डूडी की पकड़ को देखते हुए भाजपा ने यह फैसला किया है।

हालांकि भाजपा ने यह फैसला बिना उस कमेटी की बैठक या रिपोर्ट लिए किया है, जिसका गठन ही पिछले दिनों घर वापसी चाहने वाले नेताओं के मामलों पर विचार करने के लिए किया गया था।

अक्टूबर में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बीकानेर दौरे के वक्त क्षेत्र के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री रहे देवी सिंह भाटी व उनके समर्थकों की भाजपा में वापसी होने की तैयारियां थीं। लेकिन वे तैयारियां उस वक्त धरी रह गईं, जब पार्टी ने उनकी घर वापसी से ठीक पहले एक कमेटी केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी के नेतृत्व में गठित कर दी थी।

पूर्व वन मंत्री राजकुमार रिणवा जिन्हें भाजपा ने फिर से शामिल किया है। रिणवा तीन बार विधायक और एक बार मंत्री (2013-2018) रहे हैं।
पूर्व वन मंत्री राजकुमार रिणवा जिन्हें भाजपा ने फिर से शामिल किया है। रिणवा तीन बार विधायक और एक बार मंत्री (2013-2018) रहे हैं।

भाटी व उनके समर्थकों को उस वक्त निराश होना पड़ा था। तब भाजपा में राजकुमार रिणवा की वापसी की चर्चाएं भी जोरों पर थीं। अब चूंकि सरदारशहर में उप चुनाव हैं और क्षेत्र में जाट व ब्राह्मण मतदाताओं के बीच जबरदस्त टक्कर होने की संभावनाएं हैं, तो भाजपा स्वयं को मजबूत करना चाहती है। दोनों नेताओं को पिछले चुनावों-2018 में बगावत करने के कारण पार्टी से बाहर निकाला गया था।

भाजपा में फिर से शामिल होने के लिए नेताओं की लंबी कतार लगी हुई है और आने वाले दिनों में इस पर भारी तकरार होने की आशंका है। घर वापसी चाहने वाले जो भी नेता पार्टी के जिस भी वरिष्ठ नेता से संबंधित है, उन्हें प्रवेश दिलाने के लिए वरिष्ठ नेताओं के बीच तकरार बढ़ेगी।

पार्टी में प्रवेश चाहने वालों में एक पूर्व केन्द्रीय मंत्री सहित तीन पूर्व राज्य मंत्री सहित व बहुत से लोग शामिल हैं। हालांकि कमेटी गठन के समय भाजपा के राजस्थान प्रभारी अरुण सिंह का कहना था कि चूंकि अगले वर्ष चुनाव है, तो पार्टी में वापस आने के लिए बहुत से नेता प्रयास करेंगे। ऐसे में उनका चयन करने के लिए कमेटी बनाई गई है।

पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी भाजपा में घर वापसी चाहने वाले नेताओं के लिए गठित स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य हैं।
पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी भाजपा में घर वापसी चाहने वाले नेताओं के लिए गठित स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य हैं।

उधर रिणवा और डूडी की भाजपा में वापसी के बारे में प्रो. देवनानी ने भास्कर को बताया कि कमेटी की कोई बैठक या रिपोर्ट तो इस विषय में नहीं हुई, लेकिन हमारी आपस में पर्याप्त चर्चा हो गई। उप चुनाव के कारण फैसला तेजी से करना जरूरी था। आगे अभी बहुत से मामले कमेटी के सामने आने हैं।

धीरे-धीरे पूरा विचार विमर्श करके ही नेताओं को घर वापसी करवाई जाएगी। सबसे बड़ी बात हमें यह देखनी है कि आने वाले का पार्टी के प्रति कमिटमेंट क्या और कैसा है। प्राथमिकता उन्हें दी जाएगी जो बिना किसी शर्त पार्टी में वापसी करेंगे।

जहां जरूरी लगेगा वहां हम लोग कोई प्रकरण विशेष हुआ तो फिर जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक पार्टी पदाधिकारियों से चर्चा करके ही फैसला लेंगे। अंतिम फैसला तो कमेटी के बाद पार्टी स्तर पर ही होना है। फिलहाल यह कह सकता हूं कि रिणवा और डूडी के आने से सरदारशहर उप चुनावों में पार्टी को मजबूती मिलेगी।

ये नेता हैं भाजपा में घर वापसी चाहने वालों की कतार में शामिल

भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के लिए कई नेताओं की लिस्ट पार्टी के पास है। लेकिन कहा गया है कि भाजपा में वापसी बिना शर्त की जाएगी।
भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के लिए कई नेताओं की लिस्ट पार्टी के पास है। लेकिन कहा गया है कि भाजपा में वापसी बिना शर्त की जाएगी।

भाटी और महरिया चाहते हैं लौटना

भाटी छह बार विधायक और तीन बार मंत्री रहे हैं और एक बार 2008 में विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर भी रह चुके हैं। वे दो बार भाजपा छोड़ चुके हैं। उन्होंने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान पार्टी के बीकानेर से अधिकृत प्रत्याशी व केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की उम्मीदवारी का विरोध किया था और उन पर जातिवाद फैलाने का आरोप लगाया था।

इसके बाद उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। सुभाष महरिया सीकर से सांसद रहे हैं और 1999 से 2004 के बीच केन्द्र की भाजपा नीत सरकार में केन्द्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री रहे हैं। वे पार्टी के खिलाफ 2018 का चुनाव लड़ चुके हैं, जिसके बाद से पार्टी से बाहर हैं। अब महरिया भी पार्टी में वापसी चाहते हैं।

बागी और पार्टी विरोधी गतिविधि को कारण हुए बाहर

सुरेन्द्र गोयल चार बार जैतारण (पाली) से विधायक रहे हैं। 2003 से 2008 के बीच भाजपा सरकार में नगरीय विकास मंत्री भी रहे थे। उन्हें 2018 में पार्टी ने टिकट नहीं दिया था तो उन्होंने बागी होकर चुनाव लड़ा था। इसके बाद पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था।

जबकि विजय बंसल पर 2020-21 में भरतपुर नगर निगम के चुनावों में पार्टी विरोधी गतिविधि कर कांग्रेस का बोर्ड बनवाने का आरोप है। बंसल 5 बार भरतपुर शहर से विधायक रहे। वे इस संभाग में भाजपा के सबसे मजबूत राजनेताओं में शामिल रहे हैं। बंसल भी अब घर वापसी चाहते हैं।

डीडी कुमावत एबीवीपी की छात्र राजनीति से भाजपा में पहुंचे कुमावत युवा मोर्चा में काम कर रहे थे। उन्होंने 2013 और 2018 में फुलेरा (जयपुर) से पार्टी का टिकट मांगा था, लेकिन दोनों बार नहीं मिला। 2018 में उन्होंने फुलेरा से बागी होकर चुनाव लड़ा। अब पार्टी में वापसी चाहते हैं।

भाजपा का जयपुर स्थित प्रदेश मुख्यालय।
भाजपा का जयपुर स्थित प्रदेश मुख्यालय।

पिछले तीन वर्षों में इनकी हो चुकी भाजपा में घर वापसी

पूर्व शिक्षा मंत्री घनश्याम तिवाड़ी, पूर्व विधायक जगत सिंह (लक्ष्मणगढ़) ,पूर्व विधायक सुखराम कोली (बसेड़ी), पूर्व वन राज्य मंत्री लक्ष्मीनारायण दवे, पूर्व खाद्य मंत्री हेम सिंह भडाना, पूर्व संसदीय सचिव धन सिंह रावत, पूर्व विधायक जीवाराम चौधरी, पूर्व आयुर्वेद मंत्री राधेश्याम गंगानगर, पूर्व पार्षद अनिल शर्मा (जयपुर), पार्षद विमल अग्रवाल (जयपुर) की भाजपा में घर वापसी हो चुकी है। इनके अलावा भी प्रभुदयाल सारस्वत (बीकानेर), राजेश दिवाल (जयपुर), कुलदीप धनखड़ (विराट नगर), देवी सिंह शेखावत (अलवर), महेन्द्र सिंह भाटी (जोधपुर), अजय सोनी (राजसमंद), प्रहलाद टांक (श्रीगंगानगर), अतर सिंह पगरिया (भरतपुर), रत्ना कुमारी (विराट नगर), देवेन्द्र रावत (अजमेर), विक्रम जाखल (नवलगढ़), अभिषेक रावत (अजमेर) आदि की भी घर वापसी हुई है। इन सभी ने वर्ष 2018 से 2021 के बीच हुए विधानसभा, जिला परिषद, नगर निकाय, पंचायत चुनाव आदि में पार्टी के विरुद्ध चुनाव लड़े। तब उन्हें पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखाया पर सभी की घर वापसी हो चुकी है।

इनमें से घनश्याम तिवाड़ी को पार्टी राज्यसभा का सांसद और जगत सिंह को भरतपुर का जिला प्रमुख बना चुकी है। पूर्व विधायक जीवाराम को गुजरात चुनावों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी हुई है।

यह भी पढ़ें

राहुल की एंट्री से पहले शुरू होगी BJP की यात्रा:रथयात्रा के पोस्टरों को लेकर खींचतान; ऐनवक्त पर वसुंधरा की भी फोटो शामिल

इस निर्णय के अनुसार पोस्टर के डिजाइन भी तैयार करवा लिए गए थे। लेकिन बीजेपी में आंतरिक रूप से इस पर सवाल उठाने के बाद बीजेपी को ऐनवक्त पर अपनी स्ट्रैटजी बदलनी पड़ी। अब बीजेपी ने राजस्थान के तीन नेताओं के चेहरे इसमें शामिल किए हैं। बीजेपी ने प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया की तस्वीरों को भी अपने आधिकारिक पोस्टर और बैनर में शामिल किया है। (पूरी खबर पढ़ें)