सीएम अशोक गहलोत अपनी सरकार रीपीट करने के लिए सबसे बड़ा भरोसा अपनी फ्लैगशिप योजनाओं पर करते हैं। इसीलिए चुनावी वर्ष शुरू होने से ठीक पहले उन्होंने प्रदेश के सभी 33 जिलों में वरिष्ठ IAS अफसरों को फ्लैगशिप योजनाओं की जांच-पड़ताल और हालात देखने भेजा था। आईएएस अफसरों ने 11 से 18 नवंबर के बीच पूरे प्रदेश के हालात देखें हैं, उनके फीडबैक में जो तस्वीर उभर कर आई है, वो सीएम गहलोत की चिंता बढ़ाने वाली साबित होगी।
खासकर इंदिरा रसोई योजना और अस्पतालों की हालत चौंकाने वाली है। सभी आईएएस अफसर 33 जिलों के प्रभारी सचिव हैं। वे अपने दौरों से लौट आए हैं और वे 22 और 23 नवंबर को पहले मुख्य सचिव ऊषा शर्मा को अपना फीडबैक देंगे और बाद में सीएम गहलोत को।
आईएएस अफसरों ने अपनी फील्ड विजिट में जो देखा, जानिए कहां क्या स्थिति........
अस्पतालों की हालत खराब
सीएम गहलोत की सबसे खास फ्लैगशिप योजना चिरंजीवी और मुफ्त दवा योजना है। दोनों योजना सीधे रूप से अस्पतालों से जुड़ी हुई है। हाल ही मुख्यमंत्री गहलोत ने खुद कहा था कि वे जब अपने इलाज के लिए राजस्थान के सबसे बड़े अस्पताल एसएमएस (जयपुर) में भर्ती हुए थे, तो वहां गंदगी देखकर शर्मिन्दा हो गए थे। उनकी बात जिलों के अस्पतालों पर भी फिट बैठ रही है। पाली जिले में प्रभारी सचिव श्रेया गुहा ने अस्पतालों की स्थिति जल्द सुधारने के निर्देश दिए हैं। भीलवाड़ा में प्रभारी सचिव नवीन महाजन को भी चिकित्सा व्यवस्था को लेकर कड़वा अनुभव हुआ।
उदयपुर में प्रभारी सचिव अभय कुमार के समक्ष चिकित्सा महकमे के अफसरों ने स्टाफ की कमी और एंबुलेंस की उपलब्धता बहुत कम होने के मुद्दे उठाए। अस्पतालों में डॉक्टर्स की कमी सबसे बड़ी समस्या है।
प्रदेश के 33 में से आधे जिलों में रात्रि में सरकारी अस्पतालों में प्रसव करवाने की समुचित सुविधा नहीं है, क्योंकि स्त्री रोग विशेषज्ञ और एनेस्थिसिया के विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है। सिरोही, जालोर, पाली, बाड़मेर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, बारां, झालावाड़, जैसलमेर, हनुमानगढ़, धौलपुर, करौली, बूंदी, टोंक आदि के अस्पतालों की हालत बहुत खराब है।
इंदिरा रसोई योजना में सफाई और गुणवत्ता की ज्यादा जरूरत
हाल ही सीएम गहलोत ने अपनी पत्नी सुनीता गहलोत के साथ जयपुर में इंदिरा रसोई योजना में खाना खाया था। वे गरीबों की भोजन सुरक्षा से जुड़ी इस योजना पर इन दिनों विशेष फोकस कर रहे हैं। ऐसे में उन्होंने सभी आईएएस अफसरों को इस रसोई का निरीक्षण करने की खास जिम्मेदारी सौंपी। सभी ने निरीक्षण किया भी हालांकि वहां बैठकर भोजन बहुत कम अफसरों ने ही किया।
अजमेर जिले के निरीक्षण पर गईं प्रभारी सचिव अपर्णा अरोड़ा ने भोजन किया। उनके साथ कलक्टर अर्शदीप भी थे। उन्होंने मौके पर भोजन की गुणवत्ता और सफाई व्यवस्था को और सुधारने के निर्देश दिए। बीकानेर में प्रभारी सचिव आलोक गुप्ता ने रसोई में भोजन कर रहे लोगों से फीडबैक लिया। लोगों ने उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया।
अलवर में जहां बस स्टैंड के पास इंदिरा रसोई योजना संचालित है, वहां उस पर बोर्ड ही नहीं लगा हुआ है। इस पर प्रभारी सचिव शिखर अग्रवाल जब वहां पहुंचे तो उन्होंने नाराजगी व्यक्त की। अग्रवाल ने स्थानीय अफसरों को निर्देश दिए कि जब यहां बोर्ड ही नहीं है, तो लोगों को कैसे पता चलेगा कि योजना कहां चल रही है। क्या और कैसा भोजन मिल रहा है। अग्रवाल ने सात दिनों के भीतर बोर्ड लगाने के निर्देश दिए हैं।
सरकारी दफ्तरों में हजारों पद खाली हैं
सूबे के अधिकांश सरकारी विभागों में कार्मिकों के हजारों पद खाली हैं। खासकर जिला प्रशासन, चिकित्सा, पानी, बिजली और शिक्षा जैसे महकमों में। प्रभारी सचिवों के समक्ष लगभग हर जिले के कलक्टर ने यह समस्या रखी है। ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में विज्ञान, गणित, अंग्रेजी विषय के अध्यापकों और अस्पतालों में डॉक्टर्स व नर्सेज के पद बड़ी संख्या में रिक्त हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्र में लोगों में सरकार के प्रति फीडबैक नेगेटिव होता है।
प्रतापगढ़ के प्रभारी सचिव नवीन जैन ने भास्कर को बताया कि पदों के खाली रहने से विभागीय कामकाज और फ्लैगशिप योजनाएं प्रभावित होती ही हैं। इस विषय में तुरंत राज्य सरकार को अवगत करवाया गया है। कार्मिक विभाग ने इस पर कार्रवाई भी की है।
काम में लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों को समित शर्मा ने थमाए हाथों हाथ नोटिस
सवाईमाधोपुर जिले में प्रभारी सचिव डॉ. समित शर्मा ने आंगनबाड़ी, स्कूल, चिकित्सा, नरेगा, पंचायत राज, जलदाय, इंदिरा रसोई आदि से जुड़े 25 से अधिक दफ्तरों का निरीक्षण किया। उन्होंने सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं में लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों-अधिकारियों को मौके पर ही 17-सीसी के नोटिस थमा दिए। उन सभी से विभागीय स्तर पर जवाब मांगे गए हैं। शर्मा ने एक आरएएस अफसर उपेन्द्र कुमार शर्मा और विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को सभी रिकॉर्ड ठीक से मेन्टेन करने के लिए पुरस्कृत भी किया।
डाॅ. समित शर्मा ने भास्कर को बताया कि सरकारी कार्मिक की ड्यूटी ही जनता की सेवा करना होता है। अगर वो सेवा में लापरवाही ही कर रहा हो, तो नोटिस देने के लिए ही प्रभारी सचिव होते हैं। विस्तृत रिपोर्ट जल्द ही मुख्य सचिव को सौंपी जाएगी।
सीएम गहलोत चाहते थे असली फीडबैक, कहा था - दौरों में केवल रस्म अदायगी ना हो
प्रभारी सचिव आईएएस अफसरों का यह विशेष दौरा करीब 5 महीने बाद हुए हैं। यूं उन्हें महीने में एक बार जाना होता है, लेकिन राजस्थान में लगातार चल रहे राजनीतिक उठा-पटक के माहौल का असर सूबे की नौकरशाही पर भी पड़ा है।
गहलोत अब चुनावी वर्ष की तैयारी में जुटे हैं, ऐसे में वे जिलों का सटीक फीडबैक चाहते हैं। यह फीडबैक जब राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं से मिलता है, तो वो निष्पक्ष आंकलन के रूप में नहीं मिलता है। ऐसे में गहलोत ने जिलों के राजनीतिक-प्रशासनिक तापमान को मापने के लिए ब्यूरोक्रेसी के थर्मामीटर का उपयोग किया है।
गहलोत व मुख्य सचिव ऊषा शर्मा ने सभी प्रभारी सचिवों को केवल ऑफिस में मीटिंग लेकर दौरों को करने की रस्म अदायगी से बचने की सलाह भी दी थी। सचिवों को कहा गया है कि वे मीटिंग तो करें, लेकिन साथ ही जिलों में फील्ड में जाकर भी विभिन्न फ्लैगशिप योजनाओं को देखें और स्थानीय लोगों से सरकार व प्रशासन का फीडबैक भी लें।
इन IAS अफसरों ने किया था जिलों का दौरा
उदयपुर में अभय कुमार, झुन्झुनूं में भानू प्रकाश एटरू, भरतपुर में टी. रविकांत, चुरू में नीरज पवन, झालावाड़ में दीपक नंदी, सीकर में दिनेश कुमार, बीकानेर में आलोक गुप्ता, बाड़मेर में राजेश शर्मा, जालोर में आशुतोष पेडनेकर, श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़, राजसमंद में भास्कर सावंत, दौसा में गायत्री राठौड़, सिरोही में पी. सी. किशन, टोंक में संदीप वर्मा, भीलवाड़ा में नवीन महाजन, बारां में आरुषि मलिक, चित्तौड़गढ़ में जोगाराम, डूंगरपुर में दिनेश कुमार यादव, धौलपुर में कैलाश चंद मीणा, जयपुर में सुधांश पंत, अजमेर में अपर्णा अरोड़ा, अलवर में शिखर अग्रवाल, बांसवाड़ा में राजेन्द्र भट्ट, सवाई माधोपुर में समित शर्मा, जैसलमेर में के. के. पाठक, बूंदी में मुग्धा सिन्हा, कोटा में कुंजीलाल मीणा, करौली में सांवरमल वर्मा, नागौर में वीणा प्रधान, पाली में श्रेया गुहा, जोधपुर में जितेन्द्र उपाध्याय, प्रतापगढ़ में नवीन जैन ने दौरे किए और कलक्टरों सहित स्थानीय प्रशासनिक अफसरों को विभिन्न निर्देश दिए।
बजट, उप चुनाव और राहुल की यात्रा से पहले यह फीडबैक है बहुत जरूरी
राजस्थान में सीएम गहलोत की लीडरशिप में सरकार गठित हुए चार वर्ष लगभग पूरे हो गए हैं। वे फरवरी में बजट पेश करने की तैयारी भी कर रहे हैं। अब करीब 10 महीनों बाद सूबे में चुनाव आचार संहिता लगेगी। इस बीच सरदार शहर (चूरू) में एक उप चुनाव भी होना है और राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा भी तीन दिसंबर को राजस्थान पहुंचेगी। ऐसे में जिलों में चल रही फ्लैगशिप योजनाओं का फीडबैक सीएम के लिए इस समय लेना बहुत जरूरी है। वे इस फीडबैक के आधार पर ही नए बजट और अगले चुनावों की तैयारी करेंगे।
100 फ्लैगशिप योजनाएं
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी सरकार को हर हाल में रीपीट करना चाहते हैं। इसके लिए वे कई बार कह चुके हैं कि उनकी सरकार की मुख्य ताकत उनकी फ्लैगशिप योजनाएं हैं। राजस्थान में 100 से अधिक फ्लैगशिप योजनाएं संचालित हैं, लेकिन 5 ऐसी योजनाएं हैं, जो गहलोत सरकार की सबसे मजबूत आधार हैं और देश भर में लोकप्रिय भी हैं। हाल ही इंदिरा रसोई योजना के संचालन, चिरंजीवी योजना और उड़ान योजना में बहुत सी शिकायतें मिली थीं।
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