राहुल की यात्रा से पहले खाचरियावास जा रहे दिल्ली:खड़गे-वेणुगोपाल से मुलाकात कर किसी एक गुट की कर सकते हैं पैरवी

4 महीने पहले

राजस्थान की कांग्रेस सरकार और पार्टी में चल रही सियासी कुश्ती के बीच अब एक नया चैप्टर खुलने वाला है। यह चैप्टर जयपुर के बजाए दिल्ली में खुलेगा और इस चैप्टर की कहानी इन दिनों अपने बेबाक बयानों से खासे चर्चा में चल रहे खाद्य व रसद मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास लिखेंगे।

खाचरियावास का राजनीतिक ऊंट अब किस करवट बैठेगा यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन फिलहाल वे अगले दो-तीन दिनों में दिल्ली जाने वाले हैं।

कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जहां पद पर बने रहने के लिए एक से बढ़कर एक राजनीतिक दांव चल रहे हैं, वहीं पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट भी हार मानने को तैयार नहीं। वे भी तमाम कोशिशें कर रहे हैं कि वे राजस्थान के मुख्यमंत्री बनें।

राजस्थान में 25 सितंबर को पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के लिए आलाकमान ने एक लाइन का प्रस्ताव बनाकर जयपुर भेजा था। लेकिन पायलट मुख्यमंत्री नहीं बनाए जा सके। कांग्रेस आलाकमान के प्रतिनिधि दो वरिष्ठ पर्यवेक्षकों को खाली हाथ लौटना पड़ा। उस दौरान 92 विधायकों की इस्तीफा पॉलिटिक्स के बाद पायलट ने लगातार चुप्पी बरत रखी थी, लेकिन हाल ही पिछले 7 दिनों में उन्होंने दो बार अपनी चुप्पी तोड़ी है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हाल ही हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिले थे। इस दौरान सचिन पायलट भी हिमाचल प्रदेश में मौजूद थे।

पायलट ने हिमाचल में मीडिया से बातचीत में कहा था कि राजस्थान में पिछले दिनों कांग्रेस विधायक दल की बैठक में अनुशासनहीनता हुई थी। सब ने देखा था। तीन नेताओं को नोटिस भी दिया गया। उन्होंने नोटिस का जवाब भी दिया है। ऐसे में अब कार्रवाई तो होगी ही। मल्लिकार्जुन खड़गे अभी कुछ दिनों पहले ही राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं। जल्द ही वे कार्रवाई करेंगे।

पायलट का यह बयान बेवजह नहीं आया है। पायलट ने इससे चार-पांच दिन पहले ही बयान देकर कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की जो देश का सबसे सीनियर सीएम होने की तारीफ की है, उसे हल्के में (लाइटली) नहीं लेना चाहिए। कुछ महीनों पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की भी संसद में तारीफ की थी। उस तारीफ के बाद क्या हुआ वो सबने देखा है। आजाद नई पार्टी बना चुके हैं।

खाचरियावास क्या करेंगे दिल्ली में

खाचरियावास ने जिस तरह आईएएस अफसरों की एसीआर मंत्रियों द्वारा ही भरने का मुद्दा उठाया है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पॉवर व सत्ता का केन्द्रीकरण स्वयं के पास रखने का आरोप लगाया है। उसके बाद अब वे दिल्ली जाकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राष्ट्रीय महासचिव के. सी. वेणुगोपाल से मुलाकात करेंगे। सूत्रों का कहना है कि वे उन दोनों से राजस्थान में चल रही राजनीतिक अस्थिरता को जल्द ही दूर करने का निर्णय करें। कांग्रेस की वर्तमान स्थिति के विषय में भी वे उनसे बात करेंगे।

खाचरियावास क्या दूत की भूमिका में जाएंगे

चूंकि खाचरियावास मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री या प्रदेशाध्यक्ष जैसे पदों पर नहीं हैं। ना ही वे किसी राज्य के प्रभारी हैं। लेकिन वे मंत्री जरूर हैं। ऐसे में वे सीधे राष्ट्रीय अध्यक्ष से क्यों मिलने जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि वे दो में से एक गुट के दूत बन कर दिल्ली जा रहे हैं। अब इन दिनों वे जो भूमिका निभा रहे हैं। उस हिसाब से किस गुट की बात रखेंगे, इसका अनुमान ही लगाया जा सकता है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री गहलोत के सलाहकार निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने खाचरियावास से उनके निवास पर मुलाकात भी की थी। हाल ही आईएएस अफसरों की एसीआर भरने के मुद्दे पर खाचरियावास को लोढ़ा का समर्थन मिला था। लोढ़ा ने कहा था कि एसीआर भरने का अधिकार मंत्रियों को मिलना ही चाहिए। लोढ़ा भी खाचरियावास की तरह ही अपने बेबाक बयानों के लिए ही जाने जाते हैं।

खाचरियावास से पायलट की मुलाकात के बाद बदल रहा मंजर

25 सितंबर की घटना के बाद एक रात अचानक पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट खाचरियावास के घर पहुंचे थे। दोनों के बीच करीब डेढ़-दो घंटे बातचीत हुई थी। पायलट जब प्रदेशाध्यक्ष थे, तब उनकी टीम में जयपुर के जिलाध्यक्ष प्रताप सिंह खाचरियावास थे। दोनों के बीच अच्छी मित्रता मानी जाती थी, लेकिन जुलाई -2020 में सचिन पायलट द्वारा मानेसर जाने के बाद खाचरियावास को उनसे दूर ही माना जाने लगा था। हाल ही 25 सितंबर को 92 विधायकों का जब इस्तीफा हुआ तब खाचरियावास अकेले ऐसे मंत्री थे, जो सीएम गहलोत के साथ जैसलमेर थे। उन्होंने जयपुर लौट कर पायलट के विरोध में तीखे स्वर में कहा था कि यह लोकतंत्र है यहां संख्या बल जिसके साथ होगा, वही सीएम बनता है। लंबे अर्से तक दोनों के बीच बातचीत भी बंद थी। लेकिन अब एसीआर के मुद्दे पर जो बातें उन्होंने बोलीं हैं, वे सीएम के विरोध के रूप में देखी जा रही हैं। सीएम के विश्वस्त मंत्री महेश जोशी को भी उन्होंने खरी-खोटी सुनाई थी।

कहीं राहुल की यात्रा से पहले ही फिर ना बदल जाए राजस्थान का राजनीतिक माहौल

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 3-4 दिसंबर को राजस्थान में प्रवेश करेगी। इस वक्त कांग्रेस सरकार और पार्टी को एकजुट होकर कार्यकर्ताओं को संदेश देने की जरूरत है, लेकिन यह इतना आसान नहीं लग रहा। पायलट द्वारा लगातार दो बार चुप्पी तोड़ने, सैनिक कल्याण मंत्री राजेन्द्र सिंह गुढ़ा द्वारा लगातार पायलट को सीएम बनाने की बात कहने, पंजाब के प्रभारी हरीश चौधरी और विधायक दिव्या मदेरणा द्वारा सोश्यल मीडिया पर मुख्यमंत्री गहलोत को आंदोलन की चेतावनी देने से यह तो तय ही है कि राजस्थान की राजनीति इस वक्त शांत तो नहीं ही है। ना ही आलाकमान ने अब तक राजस्थान के मसले पर कोई फैसला सुनाया है और ना ही नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल, जलदाय मंत्री महेश जोशी और राजस्थान पर्यटन विकास निगम के चैयरमेन धर्मेन्द्र राठौड़ को दिए नोटिसों के बाद कुछ हुआ है। अब खाचरियावास दिल्ली जाकर अगर खड़गे और वेणुगोपाल से मुलाकात करेंगे तो इस बात की आशंका बनी रहेगी कि राहुल की यात्रा से पहले ही कहीं राजस्थान का राजनीतिक माहौल फिर से ना बदल जाए।

इधर खाचरियावास ने भास्कर को बताया कि वे अगले दो-तीन दिनों में दिल्ली जाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे और राष्ट्रीय संगठन महासचिव वेणुगोपाल से मिलेंगे। खाचरियावास ने इससे ज्यादा मुलाकात से पहले उसके उद्देश्य बताने से मना कर दिया।

आचार्य प्रमोद का आया सीएम बदलने वाला बयान

राजस्थान की राजनीति में अस्थिरता का माहौल स्थिर होने का नाम ही नहीं ले रहा। कांग्रेस नेता और प्रियंका गांधी के करीबी माने जाने वाले आचार्य प्रमोद कृष्णन का ताजा बयान एक बार राजस्थान की राजनीति में हलचल पैदा कर रहा है। आचार्य का कहना है कि राजस्थान में जल्द ही सीएम का बदलाव होने वाला है। वे पहले भी दो-तीन बार यह बात कह चुके हैं। वे अक्सर सचिन पायलट को सीएम बनाने संबंधी संदेश सोश्यल मीडिया पर जारी करते रहते हैं। लेकिन 25 सितंबर को 92 विधायकों की इस्तीफा पॉलिटिक्स के बाद उनका यह बयान अब आया है। ऐसे में खाचरियावास, हरीश चौधरी, दिव्या मदेरणा, संयम लोढ़ा, राजेन्द्र सिंह गुढ़ा आदि का मुख्यमंत्री गहलोत को टारगेट करके बयानबाजी करने का अर्थ कुछ और ही लग रहा है। ऐसे में खाचरियावास का दिल्ली जाना भी कुछ नया ही छौंक राजस्थान की राजनीति में लगाएगा।

कौन हैं खाचरियावास

प्रताप सिंह खाचरियावास 1990-92 के दौरान राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष थे। सीकर जिले के खाचरियावास गांव के रहने वाले हैं और देश के पूर्व उप राष्ट्रपति भैंरोंसिंह शेखावत के परिवार से हैं। वे छात्रसंघ के जमाने से ही अपने बेबाक विचारों और जनता के लिए लड़ने-भिड़ने वाले नेता के रूप में पहचाने जाते हैं। उन्होंने अपना शुरुआती राजनीतिक जीवन भाजपा से शुरू किया था। 2003 में उन्हें भाजपा ने राजाखेड़ा (धौलपुर) से टिकट देने का फैसला किया था, लेकिन उन्होंने नहीं लिया था। तब वे निर्दलीय ही राजस्थान की सबसे बड़ी विधानसभा सीट बनीपार्क से चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए थे। उसके बाद उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ली और 2004 में जयपुर से कांग्रेस ने उन्हें सांसद का टिकट दिया, लेकिन वे फिर चुनाव हार गए। आखिरकार उन्हें कांग्रेस ने 2008 में सिविल लाइंस सीट से विधानसभा का टिकट दिया और वे जीत गए। अपनी खास भाषण शैली, जन मुद्दों पर अच्छी पकड़ और हिन्दी के साथ राजस्थानी भाषा में तर्क पेश करने और कई बार अपनी ही सरकार की आलोचना से विधानसभा में उनकी छवि दबंग राजनेता की बनी। तब भी उन्होंने कई बार तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कई मौकों पर आलोचना भी की थी। उसके बाद वे 2013 में सिविल लाइंस से चुनाव हार गए और 2018 में पुन: जीते। तब से वे गहलोत कैबिनेट में मंत्री हैं। हाल ही 25 सितंबर को 92 विधायकों के इस्तीफे देने और उसके बाद सचिन पायलट द्वारा उनसे मिलने के बाद उनका मुख्यमंत्री से प्रेस के माध्यम से एसीआर भरने का अधिकार मांगना राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है। अब वे दिल्ली जाकर शतरंज का कौन-सा खेल खेलने, जमाने या बिगाड़ने वाले हैं यह वक्त ही बताएगा।

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