देश में अगले एक-डेढ़ वर्ष होने वाले विधानसभा और लोकसभा के चुनावों में रोजगार ही मुख्य मुद्दा बनने वाला है। इसकी तैयारी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपना फोकस रोजगार पर कर के शुरू कर दी है।
शनिवार-रविवार को मोदी और गहलोत दोनों ने युवाओं को सरकारी रोजगार देने को लेकर विशेष घोषणाएं की। गुजरात और हिमाचल प्रदेश में अगले 40-45 दिनों बाद चुनाव होने हैं। दोनों ही राज्यों में भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुख्य टक्कर मानी जा रही है।
यह संयोग ही है कि गुजरात प्रधानमंत्री मोदी का गृह प्रदेश है और गुजरात में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के सीनियर ऑब्जर्वर हैं। पिछली बार गहलोत गुजरात के चुनाव प्रभारी थे। हिमाचल में मोदी ने हाल ही सभा की थी और अब कांग्रेस ने हिमाचल चुनावों के लिए गहलोत को स्टार प्रचारकों की सूची में शीर्ष पांच नेताओं में रखा है। ऐसे में दोनों दिग्गज राजनेताओं द्वारा एक ही वक्त पर रोजगार पर विशेष फोकस करने के खास मायने हैं।
मोदी भी प्रधानमंत्री बनने से पहले तीन बार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे हैं और गहलोत भी राजस्थान के तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। दोनों ही दिग्गत राजनेता हैं और जनता की नब्ज को समझते हैं। इसीलिए मोदी और गहलोत दोनों ने ही अपनी घोषणाओं के लिए दीपावली का त्योहार चुना है, ताकि लाखों युवाओं व उनके परिजनों को यह घोषणाएं एक उपहार की तरह महसूस हों। इससे लाखों मतदाताओं तक उनकी पकड़ बनेगी। जल्द ही गुजरात-हिमाचल के चुनावी मैदान में दोनों के बीच आरोप-प्रत्यारोप और बयानों की टक्कर रोमांचक होती दिखेगी।
क्या किया मोदी ने और क्या दिया संदेश
मोदी ने शनिवार को रोजगार मेला अभियान शुरू किया। पूरे देश के केन्द्रीय विभागों में एक साथ 75 हजार युवाओं को नौकरी प्रदान की है। इस नौकरी के नियुक्ति पत्र 75 हजार युवाओं को एक साथ वितरित किए गए हैं। साथ ही 10 लाख नए सरकारी पदों पर अगले एक वर्ष में भर्ती करने की तैयारियां केन्द्र सरकार के स्तर पर शुरू कर दी गई हैं। भर्ती की प्रक्रिया समय पर पूरी करने और नियमों का सरलीकरण करने जैसी घोषणाएं भी की गईं।
केन्द्र सरकार ने निजी क्षेत्र से भी रोजगार के विभिन्न पदों व अवसरों की जानकारी जुटाना शुरू कर दिया है। मोदी ने 75 हजार युवाओं को रोजगार देने के साथ ही अपने भाषण में एक विशेष संदेश दिया। उन्होंने कहा कि देश के युवाओं मुफ्त में कुछ भी देने से ज्यादा बेहतर है कि उन्हें रोजगार दिया जाए। रोजगार आत्मविश्वास और आर्थिक विकास का परिचायक है, जबकि मुफ्त योजनाएं आलस्य और निर्भरता को बढ़ाती हैं।
गहलोत ने कहा वादा किया था अब निभाया भी
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दो दिन पहले एक ही आदेश से 31 हजार युवा संविदाकर्मियों को नियमित किया था। शनिवार की शाम को गहलोत ने लगभग 1 लाख 10 हजार संविदाकर्मियों को और नियमित करने की घोषणा कर दी। गहलोत सरकार अगले एक वर्ष 45 हजार शिक्षकों की नियमित भर्ती, एक लाख से अधिक गेस्ट फैकल्टी के शिक्षकों और 50 हजार पदों पर विभिन्न विभागों में भी भर्ती की कवायद इन दिनों कर रही है।
हाल ही राजस्थान में सम्पन्न हुई इन्वेस्टमेन्ट समिट के बाद उद्योग व श्रम विभाग को प्राइवेट कम्पनियों में आने वाले रोजगार के अवसरों पर आंकड़े तैयार करने को कहा है। हाल ही गहलोत ने राजस्थान में शहरी रोजगार गारंटी योजना भी लागू कर दी है। यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में नरेगा की तर्ज पर लागू की गई है। इसमें शहरों में भी गारंटीड रोजगार मिलेगा।
राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने 2018 के चुनावों से पहले अपने घोषणा पत्र में वादा किया था, कि वो सत्ता में आने पर संविदाकर्मियों को नियमित करेगी। सरकार ने 31 हजार संविदाकर्मियों को नियमित कर अब एक लाख 10 हजार संविदाकर्मियों को नियमित करने की घोषणा भी कर दी है। इस संबंध में गहलोत ने कहा है कि हमने जो वादा किया वो निभाया है। आगे भी जो वादा करेंगे उसे निभाएंगे।
अगले डेढ़ वर्ष में हैं चुनावों का फाइनल और सेमीफाइनल
अगले एक-डेढ़ वर्ष में गुजरात, हिमाचल, राजस्थान, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, छ्त्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें से गुजरात व हिमाचल में दिसंबर-2022 में, कर्नाटक में मई-2023 में और राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में दिसंबर 2023 में चुनाव होंगे। यह सभी चुनाव एक वर्ष में सम्पन्न हो जाएंगे। फिर उसके करीब चार-पांच महीने बाद अप्रेल-मई 2024 में लोकसभा के चुनाव होंगे।
ऐसे में गुजरात, हिमाचल, राजस्थान, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनावों से पहले सेमीफाइनल की तरह होंगे। इन राज्यों में लोकसभा की करीब 125 सीटें हैं। ऐसे में रोजगार का मुद्दा राजनीतिक रूप से बेहद गर्म होना तय है। कोरोना के दो वर्षों में लोगों की आय बहुत कम हो गई थी। लाखों लोगों को अपने रोजगार, धंधों, नौकरी से हाथ धोना पड़ा था। ऐसे में अब लाखों लोग ऐसे हैं, जिन्हें रोजगार के बेहतर अवसर देकर दोनों राजनीतिक पार्टियां अपनी ओर आकर्षित करना चाहती हैं।
राजस्थान में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा
सेन्टर ऑफ मॉनिटरिंग फॉर इंडियन इकॉनोमी (केन्द्र सरकार द्वारा संचालित) एक संस्था है, जिसकी रिपोर्ट हर छह महीने में जारी होती है। इसकी पिछली दो रिपोर्ट्स में देश में सर्वाधिक बेरोजगारी के मामले में राजस्थान को दूसरा स्थान मिला है। राजस्थान से नीचे केवल एक राज्य हरियाणा है। ऐसे में राजस्थान के चुनावों में संभवत: कांग्रेस सरकार की सबसे बड़ी चुनौती खुद को रोजगार प्रदान करने वाली सरकार दिखाना ही होगा।
भाजपा लगातार इस मुद्दे पर सरकार को घेरते आई है। हाल ही भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने मुख्यमंत्री गहलोत को पत्र लिखकर संविदाकर्मियों के मुद्दे पर चेताया था। भाजपा ने गत सत्र में विधानसभा के बाहर प्रदर्शन भी किया था। ऐसे में गहलोत ने संविदाकर्मियों को नियमित कर और नई भर्तियों पर फोकस कर भाजपा के हमलों की धार भौंतरी कर दी है। अब गहलोत इस मुद्दे पर जल्द ही भाजपा को घेरते दिखाई दे सकते हैं।
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