नागौर से सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) के मुखिया हनुमान बेनीवाल ने कहा है कि सचिन पायलट को अपनी अलग पार्टी बनानी चाहिए। उन्हें हिम्मत दिखानी चाहिए थी। नहीं दिखा पाए। वे अब भी हिम्मत दिखाएं तो मुख्यमंत्री बन सकते हैं।
राजस्थान में लोग उन लोगों को पसंद नहीं करते जो एक बार कदम आगे बढ़ाने के बाद पीछे हट जाएं। पायलट को यह बात समझनी चाहिए। बेनीवाल का कहना है कि अगले विधानसभा चुनावों में रालोपा पहले या दूसरे नंबर की सबसे बड़ी पार्टी होगी।
बेनीवाल रालोपा के संस्थापक हैं। रालोपा भाजपा-कांग्रेस के बाद राजस्थान की एक मात्र पार्टी है जो राज्य स्तर पर मान्यता प्राप्त है। शनिवार को बेनीवाल की पार्टी की स्थापना को चार वर्ष पूरे हो गए हैं। शनिवार को बेनीवाल ने अपने चिर-परिचित बेबाक अंदाज में राजस्थान की राजनीति से जुड़े बहुत से मुद्दों पर भास्कर से जयपुर में अपने निवास पर विशेष बातचीत की। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश.....
सवाल : रालोपा अपनी स्थापना के चार वर्ष पूरे करके पांचवे वर्ष में प्रवेश कर रही है, पार्टी खुद को कहां देखती है?
बेनीवाल : हम आज के समय में राजस्थान की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है। हमारे तीन विधायक और एक सांसद है। हमारी पार्टी के बहुत से जिला परिषद, पंचायत समिति सदस्य भी निर्वाचित हैं। अगले विधानसभा-लोकसभा चुनावों में हम राजस्थान की पहले या दूसरे नंबर की सबसे बड़ी पार्टी होंगे। कांग्रेस या भाजपा से कोई एक जरूर तीसरे नंबर पर रहेगी।
सवाल : तीसरे नम्बर पर कौनसी पार्टी रहेगी?
बेनीवाल : मेरे हिसाब से कांग्रेस तीसरे नम्बर पर रहेगी। 2013 में भी कांग्रेस सत्ता में होते हुए 20-21 सीटों पर सिमट गई थी। पहले व दूसरे नम्बर पर रालोपा और भाजपा के बीच मुकाबला होगा।
सवाल : कांग्रेस की वर्तमान सरकार के बारे में आपका क्या कहना है?
बेनीवाल : कांग्रेस दो फाड़ हो चुकी है। एक फाड़ मुख्यमंत्री गहलोत का है और दूसरा फाड़ सचिन पायलट का है। यह पार्टी खत्म हो चुकी। साथ ही राजस्थान से वामपंथी, बसपा, बीटीपी का भी या तो सफाया हो गया है या फिर दो फाड़ हो गए हैं।
सवाल : आप अक्सर गहलोत व पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर खुले आरोप लगाते हैं ?
बेनीवाल : दोनों की मिलीभगत है आपस में। गहलोत अपने पुत्र की हार के बाद बौखला गए हैं, वहीं वसुंधरा का अब भाजपा में कोई वजूद नहीं है।
सवाल : आप स्वयं के अलावा राजस्थान में किसे भविष्य में संभावनाओं वाला राजनेता मानते हैं?
बेनीवाल : मुझे तो कोई नजर नहीं आता मेरे अलावा। सचिन पायलट जरूर एक नाम मुझे दिखाई देता है। एक समय था 2018 में जब मैंने खुलेआम समर्थन दिया था कि अगर कांंग्रेस सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाए तो हम उसके साथ हैं, लेकिन पार्टी ने गहलोत को सीएम बना दिया।
उसके बाद भी जब जुलाई 2020 में पायलट ने अपने कदम आगे बढ़ाए तो उनकी हिम्मत दिखी। हिम्मत की कीमत होती है, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं दिखाई। उन्हें हिम्मत दिखानी चाहिए। मेरा मानना है कि उनकी जाति, युवा और समाज के विभिन्न वर्गों में उनका प्रभाव है। उन्हें अपनी अलग पार्टी बनानी चाहिए।
सवाल : 2008 में आप भाजपा से विधायक रहे। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने आपसे गठबंधन किया। अब आपने गठबंधन क्यों तोड़ दिया?
बेनीवाल : किसान कानूनों को जब केन्द्र की भाजपा सरकार लाई तो मैंने विरोध किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मैंने कानून वापस लेने का आग्रह किया। उन्होंने बात नहीं मानी तो मुझे गठबंधन खत्म करना ही था। मेरे अलावा अकाली दल ने भी गठबंधन खत्म किया था, लेकिन वे मेरी तरह दिल्ली की सड़कों पर 70 दिनों तक धरने पर नहीं बैठे।
सवाल : आगामी चुनावों में रालोपा के मुख्य मुद्दे क्या रहेंगे?
बेनीवाल : युवाओं को रोजगार मिले, बेरोजगार भत्ता दिया जाए,अग्निवीर जैसी योजनाएं बंद हों और स्थाई भर्तियां खुलें। टोल फ्री राजस्थान बने। खनिजों के लिए किसानों को जिप्सम बजरी आदि के लिए छोटे पट्टे दिए जाने चाहिए। गांवों से पलायन रोकना चाहिए। भाजपा और कांग्रेस का विरोध करने वाली ताकतों का विरोध किया जाना चाहिए। राजस्थान के फैसले दिल्ली से होते रहना कतई ठीक नहीं।
सवाल : कांग्रेस सरकार नए जिले बनाने की कवायद कर रही है। आपका का क्या मानना है? क्या किसी शहर के लिए आपकी भी मांग है ?
बेनीवाल : मेरा मानना है कि राजस्थान में नए जिले बनाने चाहिए। मेरी तो किसी शहर के लिए मांग नहीं है, लेकिन इतना जरूर है कि जिले बनने का मापदंड स्पष्ट हो और राजनीतिक आधार पर जिले ना बनाए जाएं। जो शहर वास्तव में जिले लायक हो, उसे ही जिला बनाया जाए।
सवाल : कांग्रेस में हाल ही जो इस्तीफा पॉलिटिक्स हुई, उसके बारे में आपका क्या कहना है ?
बेनीवाल : मुझे इस मामले में ज्यादा जानकारी नहीं है। अगर इस्तीफों के प्रति आप गंभीर हैं, तो आपको व्यक्तिगत हाजिर होकर विधानसभा अध्यक्ष से मिलकर इस्तीफा देना चाहिए। जो भी नियम हैं, उनका पालन करना चाहिए। वरना यह शगुफाबाजी-ड्रामेबाजी है।
यूं रहा हनुमान बेनीवाल और उनकी पार्टी रालोपा का सफर.....
बेनीवाल ने 2003 में विधानसभा का चुनाव निर्दलीय लड़ा था, लेकिन हार गए। खींवसर से विधानसभा का अगला चुनाव 2008 में भाजपा के टिकट पर लड़ा और जीत गए। उसके बाद 2013 में फिर निर्दलीय लड़ा और जीते। फिर 2018 में खुद की पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा और जीते।
उनके साथ उनकी पार्टी के टिकट पर तीन विधायक और जीते। फिर बेनीवाल की पार्टी से 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने गठबंधन किया और नागौर से वे सांसद का चुनाव जीते। इस बीच राजस्थान में हुए आठ सीटों के उप चुनावों सहित पंचायत राज संस्थाओं के चुनावों में भी रालोपा के उम्मीदवारों ने दूसरे और तीसरे स्थान पर वोट हासिल किए।
गहलोत और वसुंधरा के धुर विरोधी माने जाते हैं हनुमान
हनुमान बेनीवाल मुख्यमंत्री गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा के धुर विरोधी माने जाते हैं। वे अक्सर कहते हैं कि दोनों के बीच मिलीभगत है और वे एक-दूसरे को सत्ता का हस्तांतरण करते रहते हैं। वे अक्सर दोनों नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं और राजस्थान को दोनों की राजनीति से मुक्त करवाने का आह्वान सभाओं और रैलियों में करते रहे हैं।
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