सभी अस्पताल दें टीबी के मरीजों की सूचना : सिविल सर्जन
सिविल सर्जन दफ्तर में सिविल सर्जन डाॅ. गुरिंदर कौर चावला की अध्यक्षता में तपेदिक (टीबी) की बीमारी को खत्म करने...
Bhaskar News Network | Last Modified - Apr 02, 2018, 02:45 AM IST
सिविल सर्जन दफ्तर में सिविल सर्जन डाॅ. गुरिंदर कौर चावला की अध्यक्षता में तपेदिक (टीबी) की बीमारी को खत्म करने संबंधी मीटिंग हुई, जिसमें जिले के प्राइवेट अस्पतालों के डाक्टर और प्रतिनिधि शामिल हुए। सीएस ने बताया कि बीमारी की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने 2012 में इस बीमारी को नोटीफाइएबल डिजीज घोषित किया है। जिसके अधीन सभी प्राइवेट डाक्टरों, लेबोरेट्रियों और केमिस्टों के पास आने वाले टीबी के मरीजों की सूचना सेहत विभाग को देनी जरूरी है। इस संबंधित सरकार ने सख्त कानून बनाया है, जिसके तहत टीबी के मरीज की सूचना न देने पर संबंधित डाक्टर, लेबोरेटरी टेक्नीशियन या केमिस्ट को 6 महीने से 2 साल तक की सजा या जुर्माने हो सकता है या सजा और जुर्माना दोनों हो सकते हैं।
मीटिंग के दौरान सिविल सर्जन ने कहा कि टीबी की बीमारी एक गंभीर सेहत समस्या है, जिससे भारत में हर साल लगभग दो लाख बीस हजार मौतें हो जाती हैं। उन्होंने बताया कि विश्व सेहत संस्था ने 2035 तक दुनिया में से इस बीमारी को खत्म करने का लक्ष्य माना गया है। प्रधानमंत्री द्वारा देश से इस बीमारी को 2025 तक खत्म करने का लक्ष्य रखा है। जिला टीबी अफसर डाॅ. राजेश कुमार ने कहा कि टीबी के आधे से अधिक मरीज प्राइवेट अस्पतालों में जाते हैं, इसलिए बीमारी की गंभीरता को देखते हुए टीबी के हर मरीज की सूचना सेहत विभाग को भेजनी यकीनी बनाई जाए ताकि मरीज को समय पर उचित इलाज दिया जा सके जिससे वह स्वस्थ हो सके। उन्होेने कहा कि टीबी का समय पर इलाज होने से यह बिल्कुल ठीक हो जाती है लेिकन इसके लिए मरीज को पूरा कोर्स करना चाहिए और बीच में ही दवा को नहीं छोड़ना चाहिए। उन्होेने कहा कि यदि किसी को लंबे समय से खांसी है और वह ठीक नहीं हो रही तो तुरंत नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाकर अपनी जांच करवाए और बीमारी का इलाज करवाएं। टीबी संक्रामक रोग है और यह अधिकतर फेफड़ों को ही प्रभावित करता है। उन्होंने प्राइवेट अस्पतालों द्वारा सूचना भेजने के लिए हर महीने भर कर भेजे जाने वाले प्रोफॉर्म बारे भी जानकारी दी। मीटिंग में मौजूद डाक्टरों ने इस बीमारी को खत्म करने के लिए सेहत विभाग को पूरा सहयोग देने का भरोसा दिया। जिला टीकाकरण अफसर डाॅ. दविंदर ढांडा ने सेहत विभाग द्वारा अप्रैल महीने में चलाई जाने वाली मीजल रुबेला टीकाकरन मुहिम बारे भी जानकारी दी। इस मौके पर जगत राम, सुखजीत सिंह, डाॅ. केएस पाहवा, डाॅ. जगमोहन पुरी, डाॅ. जेएस संधू, डाॅ. बख्शीश सिंह डाॅ. अमरीक सिंह और अन्य अस्पतालों के डाक्टर मौजूद थे।
प्रधानमंत्री ने इस बीमारी को 2025 तक खत्म करने का लक्ष्य रखा है
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प्रधानमंत्री ने इस बीमारी को 2025 तक खत्म करने का लक्ष्य रखा है
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