वागड़ में डेढ़ फीट के पौधे पर आ जाती है देशी भिंडी
वागड़ की जमीन नकदी फसलों के लिहाज से बेहद उपयोगी है। गरीबी और निरक्षरता दूर कर लोग अब भिंडी की फसल से आमदनी बढ़ाने...
Bhaskar News Network | Last Modified - Apr 17, 2018, 02:40 AM IST
वागड़ की जमीन नकदी फसलों के लिहाज से बेहद उपयोगी है। गरीबी और निरक्षरता दूर कर लोग अब भिंडी की फसल से आमदनी बढ़ाने में लगे हैं। इसकी शुरुआत छोटी-छोटी जमीनों पर खेती से हो रही है। देशी भिंडी के नाम से इसकी अच्छी बिक्री और पैदावार अन्य किसानों को भी प्रोत्साहित कर रही है। भिंडी की फसल वागड़ की आबोहवा में किसी भी मौसम में हो जाती है। वहीं पेशेवर रूप से होने वाली खेती सर्दियों में ही होती है। खास बात यह है कि इसका पौधा सामान्य रूप से 4 फीट का होने के बाद फल देता है, लेकिन यहां डेढ़ फीट के पौधों पर भिंडी लगना शुरू हो जाती है। हर तीसरे दिन फल की तुड़ाई हो जाती है। ज्यादातर महिला किसान थैले में 30-40 किलो भिंडी भरकर लाती हैं। बाजार में 40 रुपए किलो के भाव से बेचकर करीब 1500 रुपए कमा ले जाती हैं। फिर तीसरे दिन आकर इतनी ही कमाई करते हैं। भिंडी बच जाने कड़क हो जाती है या दूसरे दिन तक उसमें कीड़ा लग जाता है।
डूंगरपुर के एक खेत में उगाई गई देशी मीठी भिंडी।
रेडी मार्केट : टिफिन सेंटर और रेस्टोरेंट में सबसे ज्यादा डिमांड
भिंडी की सब्जी को लगभग सभी आयु वर्ग के लोग पसंद करते हैं। रेस्टारेंट संचालक और टिफिन सेंटर्स को सर्दियों में कई तरह की सब्जियां मिल जाती हैं, लेकिन इसके बाद और पहले ताजा सब्जी के रूप में केवल भिंडी ही मिलती है। इसलिए रेस्टोरेंट संचालक व टिफिन सेंटर्स से भिंडी की डिमांड ज्यादा होती है।
टुकड़ों में जमीन होने से पेशेवर खेती नहीं : यहां की जमीन भिंडी की खेती के अनुकूल है, पर यहां के किसानों के पास ज्यादा जमीन नहीं है। जमीन एकचक के बजाय टुकड़ों में है। इससे पेशेवर खेती के बारे में ये लोग सोच नहीं पाते।
गोबर की खाद लेते हैं काम : डूंगरपुर में भिंडी रतलाम, अहमदाबाद और कुछ मात्रा में उदयपुर की मंडियों से आती है। स्थानीय स्तर पर कुछ माह से इस फसल के प्रति गरीब आदिवासी व पटेल समाज के लोगों ने रूख शुरु किया है। यहां के किसान परंपरागत गोबर की खाद काम में लेते है, ऐसे में फसल की मिठास बाहर से आने वाली भिंडी से काफी ज्यादा है। थोक व्यापारी सलीम शेख, युनूस, जाहिदा बानो ने बताया कि बाहर की भिंडी केवल नाममात्र की सब्जी है।
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रेडी मार्केट : टिफिन सेंटर और रेस्टोरेंट में सबसे ज्यादा डिमांड
भिंडी की सब्जी को लगभग सभी आयु वर्ग के लोग पसंद करते हैं। रेस्टारेंट संचालक और टिफिन सेंटर्स को सर्दियों में कई तरह की सब्जियां मिल जाती हैं, लेकिन इसके बाद और पहले ताजा सब्जी के रूप में केवल भिंडी ही मिलती है। इसलिए रेस्टोरेंट संचालक व टिफिन सेंटर्स से भिंडी की डिमांड ज्यादा होती है।
टुकड़ों में जमीन होने से पेशेवर खेती नहीं : यहां की जमीन भिंडी की खेती के अनुकूल है, पर यहां के किसानों के पास ज्यादा जमीन नहीं है। जमीन एकचक के बजाय टुकड़ों में है। इससे पेशेवर खेती के बारे में ये लोग सोच नहीं पाते।
गोबर की खाद लेते हैं काम : डूंगरपुर में भिंडी रतलाम, अहमदाबाद और कुछ मात्रा में उदयपुर की मंडियों से आती है। स्थानीय स्तर पर कुछ माह से इस फसल के प्रति गरीब आदिवासी व पटेल समाज के लोगों ने रूख शुरु किया है। यहां के किसान परंपरागत गोबर की खाद काम में लेते है, ऐसे में फसल की मिठास बाहर से आने वाली भिंडी से काफी ज्यादा है। थोक व्यापारी सलीम शेख, युनूस, जाहिदा बानो ने बताया कि बाहर की भिंडी केवल नाममात्र की सब्जी है।
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