बहरोड़. पहलू खां मॉब लिंचिंग मामले में मुख्यमंत्री के आदेश पर गठित स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम ने बुधवार को जांच शुरु कर दी। एसओजी के डीआईजी नितिनदीप ब्लगगन के नेतृत्व में जयपुर से पहुंची टीम ने करीब छह घंटे बहरोड़ थाने और विभिन्न घटनास्थलों की जांच की। बहरोड़ संघर्ष समिति के लोग भी टीम से मिले।
उन्होंने पहलू खां की मौत हार्ट अटैक से होना बताते हुए तत्कालीन थानाधिकारी पर निर्दोष लोगों को फंसाने और उन्हें धमकाकर अवैध वसूली करने का आरोप लगाया। टीम ने समिति के लोगों को निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया। टीम ने बहरोड़ पुलिस थाने में पहलू खां केस की फाइलों को बारीकी से पढ़ा। तथ्यों व साक्ष्यों की जानकारी ली। इसके बाद हाइवे पर जागुवास चौक व औद्योगिक क्षेत्र क्रॉसिंग पर घटनास्थल का मुआयना किया। डीआईजी ब्लगगन, एसपी समीर सिंह, भिवाड़ी एसपी अमनदीप सिंह कपूर, नीमराना एएसपी डा. तेजपाल सिंह, समीर कुमार, डीएसपी रामजीलाल चौधरी, बहरोड़ थाना अधिकारी सुगन सिंह आदि मौजूद रहे।
संघर्ष समिति का प्रतिनिधिमंडल बहरोड़ थाने पर एसआईटी अधिकारियों से मिला। उनका कहना था कि पहलू खां की मौत पिटाई के कई दिन बाद हार्ट अटैक से हुई थी। घटना के संबंध में थाना अधिकारी रमेश सिनसिनवार ने 6 आरोपी नामजद किए और 200 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया।
मुख्यमंत्री के फैसले का समिति ने किया विरोध
पहलू खां केस में पुलिस ने 31 मई 2017 को आरोपी विपिन यादव, रविन्द्र यादव, कालूराम यादव, दयानंद यादव, योगेश खाती, भीम राठी को गिरफ्तार कर कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी। तीन आरोपियों को नाबालिग मानते हुए उनके खिलाफ बाल न्यायालय में चालान पेश हुआ। पहलू के परिजनों की मांग पर केस बहरोड़ से एडीजे कोर्ट अलवर नम्बर 1 में ट्रांसफर किया गया। इसमें 44 गवाहों के बयान हुए और 14 अगस्त 2019 को कोर्ट ने फैसला जारी किया। इसमें आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
इस फैसले के आते ही सियासी नूराकुश्ती शुरु हो गई। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तफ्तीश में खामियों की गुंजाइश मानते हुए एसआईटी गठित कर दी। भाजपा नेताओं ने जांच में गड़बड़ी को खारिज कर दिया। इधर, बहरोड़ में नागरिकों की संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री के फैसले का विरोध शुरु कर दिया।
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