लेबर रूम्स के खिलाफ यह स्टिंग इसलिए... : 7 जनवरी को जैसलमेर में डिलीवरी करा रहे कंपाउंडर ने बच्चे को इस बेरहमी से खींचा कि शिशु के दो टुकड़े हो गए। घटना के बाद भास्कर के दो रिपोर्टरों ने महिला सहयोगियों के साथ 28 दिन तक 13 जिलों के 92 अस्पतालों के लेबर रूम्स का सच जाना। भास्कर अब ऐसे ही टैबू यानी जिन मुद्दों पर कभी बात नहीं होती...उनके खिलाफ लगातार खबरों के जरिए हमले करेगा।
जयपुर (आनंद चौधरी/अनुराग बासिड़ा). भारतीय संस्कृति में बच्चे का जन्म उत्सव की तरह मनाया जाता है। उसके आने की खुशी में मंगल गीत गाए जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है लेबर रूम में जब जीवन अवतार ले रहा होता है तो उसका स्वागत गालियों से होता है। ऐसी अभद्र भाषा...ऐसा तिरस्कार झेलती हैं महिलाएं जिसकी कल्पना पुरुष कर भी नहीं सकते। भास्कर अगेंस्ट टैबू की इस कड़ी में पढ़िए- वो भाषा...जो हमारी महिलाएं लेबर रूम में सुनने को मजबूर होती हैं। जिस समय उन्हें अपनेपन की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, उस समय वे गालियां सुन रही होती हैं...जैसे मां बनना जीवन की सबसे बड़ी गलती हो। भास्कर टीम ने 28 दिन तक 13 जिलों के 98 लेबर रूम्स की पड़ताल की। टीम ने देखा- लेबर रूम्स में जब-जब प्रसूताओं की चीख निकलती है तब-तब उस प्रसूता को नर्सों-डॉक्टर की गालियां सुनने को मिलती हैं। इतना ही नहीं, महिलाओं की चीख को दबाने के लिए नर्से उनके बाल खींचती हैं। चांटे तक मारती हैं...।
लेबर रूम में पेट पर चढ़कर डिलीवरी करा रहीं नर्सें...
22 जनवरी का दिन, वक्त रात साढ़े 8 बजे।
जगह- भीलवाड़ा का राजकीय चिकित्सालय।
लेबर रूम के अंदर दर्द से चीख रही प्रसूता की डिलीवरी के लिए एक नर्स उसके पेट पर चढ़ी हुई है। ताकि दबाव बनाकर प्रसव करा सके। यही तस्वीर सबूत है कि यह नर्स प्रशिक्षित नहीं है। इस संबंध में भास्कर ने जब स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नीलम बाफना से बात की तो उन्होंने कहा- कई बार बच्चा फंस जाने पर अनट्रेंड स्टाफ पेट पर जोर लगाकर डिलीवरी की कोशिश करता है जो सही नहीं है। बहुत ज्यादा जोर लगाने से बच्चेदानी फट सकती है या नीचे आ सकती है। आमतौर पर इस तरह की कोशिश वहीं ज्यादा होती है जहां ट्रेंड स्टाफ या उपकरण मौजूद नहीं होते।
स्थान : महाराणा भूपाल अस्पताल, उदयपुर
समय : रात 11.05 मिनट, 24 जनवरी
पड़ी रहने दो इसे, रात 1 बजे अपने आप फट जाएगी सा*
लेबर रूम से अचानक रोना-चीखना बढ गया। तो जवाब में नर्स चिल्लाई : मुझे गुस्सा मत दिलाओ, गुस्सा आ गया तो मार डालूंगी...सा* को। प्रसूता दोनों हाथों से मुंह बंद कर लेती है। पर आंखों से निकल रहे आंसू दर्द नहीं रोक पाते। अब दूसरी टेबल पर प्रसूता चीख रही है। नर्स कहती है - मर जा कहीं जाकर। साथ आई परिजन को डांटते हुए बोली- इसको यहीं पड़े रहने दो, रात एक बजे अपने आप फट जाएगी सा*।
स्थान : महात्मा गांधी अस्पताल, भीलवाड़ा
समय : रात 8:30..। 22 जनवरी
खुद जोर नहीं लगा सकती तो अपने पति को बुला ले
एक नर्स प्रसूता के साथ उसके पेट पर दोनों हाथों से जोर-जोर से धक्का लगा रही थी। हमारी सहयोगी तारा ने जब उसे समझाना चाहा तो बोली - डिलीवरी कैसे करानी है, मुझे मत सिखाओ। 23 जनवरी को हम फिर यहां पहुंचे। एक प्रसूता चीख रही थी तो नर्स बोली - जितना जोर चीखने में लगा रही है उतना बच्चे को धकेलने में लगा। खुद जोर नहीं लगा सकती तो अपने पति को बुला ले, वह आकर जोर लगा देगा।
स्थान : रा. चिकित्सालय, विजयनगर
समय : दोपहर 3 बजे। 27 जनवरी
हर साल आ जाती है 1400 रु. लेने, शर्म तो तुझे आती नहीं
यहां महिला वाॅर्ड में एक नंबर बैड पर लेटी प्रसूता ने बताया- मैं लेबर टेबल पर रो रही थी, नर्स ने डांटते हुए कहा- क्योंं पूरे अस्पताल को सिर पर उठा रखा है, तू अकेली तो बच्चा पैदा कर नहीं रही, चुप हो जा नहीं तो धक्के मारकर निकाल दूंगी। प्रसूता ने बताया- दूसरी टेबल पर लेटी महिला से तो और भी बुरा बर्ताव हुआ। नर्स ने कहा-हर साल 1400 रु लेने आ जाती है। शर्म तो तुझे आती नहीं। अब क्यों चीख रही है।
भास्कर स्टिंग को हाईकोर्ट ने लिया रिकॉर्ड पर
जोधपुर. सफाईकर्मियों द्वारा डिलीवरी का भास्कर स्टिंग हाईकोर्ट के संज्ञान में लाया गया। न्यायमित्र राजवेंद्र सारस्वत ने कोर्ट से आग्रह किया, कि इस मामले को बांसवाड़ा में शिशुओं की मौत को लेकर विचाराधीन सॉ मोटो पिटीशन के साथ सुना जाए। कोर्ट ने समाचार को रिकॉर्ड पर ले लिया।
13 जिलों में स्टिंग : जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, राजसमंद, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, दौसा, करौली, सवाईमाधोपुर और टोंक।
डिस्क्लेमर: मुद्दा महिलाओं की निजता से जुड़ा है। भास्कर इसका सम्मान करता है। इसलिए इस खबर के लिए भास्कर का कोई भी पुरुष रिपोर्टर लेबर रूम्स के अंदर नहीं गया। (स्टिंग में बाल व महिला चेतना समिति भीलवाड़ा की अध्यक्ष, तारा अहलुवालिया, अनिता कुमावत ने भास्कर के लिए लेबर रूम्स की तस्वीरें खुफिया कैमरों में कैद कीं।)