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श्रीकृष्ण-सुदामा के प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सच्ची मित्रता में कभी धन-दौलत आड़े नहीं आती : हरिशरण

5 वर्ष पहले
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कस्बे के लुहारूका गेस्ट हाउस में सुनीलकुमार शर्मा परिवार की अाेर से आयोजित भगवत कथा के 7वें दिन श्रीकृष्ण भक्त एवं बाल सखा सुदामा के चरित्र का वर्णन किया गया। कथावाचक हरिशरण महाराज ने श्रीकृष्ण-सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनाया। सुदामा के आने की खबर पाकर किस प्रकार श्रीकृष्ण दौड़ते हुए दरवाजे तक गए थे। श्रीकृष्ण ने जल से नहीं अपने नेत्र जल से बालसखा के पैर धोए... पानी परात को हाथ छूवो नाही, नैनन के जल से पग धोये...। योगेश्वर श्रीकृष्ण अपने बाल सखा सुदामा जी की आवभगत में इतने विभोर हो गए कि द्वारका के नाथ हाथ जोड़कर और अंग लिपटाकर जल भरे नेत्रों से सुदामाजी का हाल-चाल पूछने लगे। उन्होंने बताया कि इस प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मित्रता में धन-दौलत आड़े नहीं आती। सुदामा चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि मनुष्य स्वयं को भगवान बनाने के बजाय प्रभु का दास बनने का प्रयास करे, क्योंकि भक्ति भाव देखकर जब प्रभु में वात्सल्य जागता है तो वे सब-कुछ छोड़ कर अपनी भक्तरूपी संतान के पास दौड़े चले आते हैं। गृहस्थ जीवन में मनुष्य तनाव में जीता है, जबकि संत सदभाव में जीते हैं। यदि संत नहीं बन सकते तो संतोषी बन जाओ। संतोष सबसे बड़ा धन है। सप्ताह भर की कथा का सारांश में प्रवचन करते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग बाकी दिन की कथा नहीं सुन पाए हैं, उन्हें इस कथा का श्रवण करने से पूरी कथा सुनने का पुण्य लाभ प्राप्त हो सकता है। उन्होंने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि प्रतिदिन माता-पिता का आदर करें, सूर्य को अर्ध्य अर्पण करें, भगवान को भोग लगाएं, गाय को रोटी दें और अपने आत्मविश्वास को हमेशा कायम रखें। अपनी संपत्ति का कुछ हिस्सा अच्छे कार्यों के लिए अवश्य निकालें। कथा के अंत में फूलों की होली खेली गई तथा शुकदेव विदाई का आयोजन किया गया। इस मौके पर सुनीलकुमार शर्मा, अाेमप्रकाश, टीकूराम साेनी, बंटी लुहारूका, नवल लुहारूका, मनीष केडिया, अखिल लुहारूका, माेतीलाल जांगिड़, सुरेश प्रजापत आदि माैजूद थे।

मलसीसर में चल रही भागवत कथा में कथावाचक ने श्रीकृष्ण भक्त एवं बाल सखा सुदामा के चरित्र का प्रसंग सुनाया
मलसीसर. सजाइ गई झांकी।

भक्ति के लिए कामनाओं को वश में करना जरूरी: शास्त्री
चिड़ावा. भागवत कथा शुभारंभ पर कलश यात्रा निकालते श्रद्धालु।

चिड़ावा. टिल्लीवाले मंदिर में भागवत कथा का श्रीगणेश कलश यात्रा के साथ हुआ। यजमान मोहनलाल-गीतादेवी बसावतिया ने कल्याणरायजी मंदिर में कथा ग्रंथ की पूजा की। श्यामर|-सुनीता, अरुण-हितैषी, उर्मिला, सरला, बबीता, जीया, जवाहरमल गुप्ता, रवि शर्मा, जगदीशप्रसाद शर्मा, महेंद्र शर्मा मौजूद थे। वृंदावन के कथावाचक पं. बृजभूषण शास्त्री ने भागवत कथा का महात्म्य बताया। उन्होंने कहा कि सांसारिक मोह-माया छोड़कर और कामनाओं को वश में करके ही भगवान की भक्ति की जा सकती है।

विपदा में साथ देने वाला ही सच्चा साथी माना जाता है : गुरुकृपा
खिरोड़ | खाकोली गांव की जयगिरनारी गोशाला में गोसेवार्थ आयोजित श्रीमद भागवत कथा ज्ञानयज्ञ महोत्सव का समापन हवन, पूजा-अर्चना के साथ हुआ। कथावाचक पं. परमेश्वरलाल गुरुकृपा ने कहा कि विपदा में काम आनेवाला ही सच्चा सखा माना जाता है। भागवत के श्रीकृष्ण- सुदामा प्रसंग को विस्तार से समझाते हुए उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण अपने परम मित्र सुदामा के लिए सुख-विपदा की घड़ी में उनके साथी खड़े रहते थे। भागवत कथा महोत्सव के दौरान श्रद्धालुओं ने गोशाला में काफी आर्थिक सहयोग किया। रामकंवर प|ी उगमसिंह शेखावत के सौजन्य से हुए इस महोत्सव के समापन अंतिम दिन काफी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ रही।

खिरोड़. खाकोली गांव में चल रही कथा में उपस्थित महिलाएं।

मन ही बंधन व मोक्ष का कारण है : पं. दिनकर

रामलालपुरा (बड़ागांव). रामलालपुरा गांव के शिव मंदिर में चल रही भागवत कथा के पांचवें दिन कथावाचक पं. दिनकर महाराज ने कहा कि मन ही मनुष्यों के बंधन और मोक्ष का भी कारण है। मन को वश में रखो तो मोक्ष है। उन्होंने कहा कि भागवत कथा जीवन संदेश है। उन्होंने राम अवतार व कृष्ण अवतार की भी व्याख्या की। कथा में कृष्ण जन्मोत्सव-नंदोत्सव धूमधाम से मनाया गया। पांडाल में नंदोत्सव पर सजावट की गई। मनरूपसिंह दंपत्ति ने व्यासपीठ की पूजा-अर्चना की।