काम में किसी से कम नहीं है, फिर भी दाम बेहद कम मिल रहा है। उस पर भी उनका भविष्य सुरक्षित नहीं है। ये हाल है ठेका प्रणाली के तहत कार्य करने वाले कार्मिकों का। यानी प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से सरकारी विभागों में कार्य करने वाले कार्मिक। जो मेडिकल, शिक्षा, पंचायती राज सहित कई विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। कई विभाग तो उनके भरोसे ही चलते नजर भी आते हैं। लेकिन उनको 3 हजार से 10 हजार तक मानदेय दिया जा रहा है। नरेगा आदि में लगे इंजीनियर को करीब 18 हजार रुपए मिल रहे हैं। लेकिन सरकार इनको अपना कर्मचारी नहीं मानती है। जिसके कारण ये अन्य संविदा कार्मिकों की तरह अपना भविष्य भी सुरक्षित नहीं समझ पा रहे हैं। उन पर बिना किसी कारण हटाए जाने की भी तलवार लटकी रहती है। जबकि वो सरकारी विभागों में पूरे समय, पूर्ण निष्ठा के साथ कार्य कर रहे हैं। नारौली डांग केजीबीवी तृतीय में गुड्डी मीना, उगन्ति, मुकेशी, सीता, ईदया खां प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से सरकारी विभागों में लगे हुए हैं। लेकिन उनको बेहद कम वेतन मिल रहा है। उसमें से भी कई का आरोप है कि ठेकेदार भी मानदेय में कमीशन की राशि काट लेते हैं। उसके बावजूद जुलाई से नवंबर माह तक का मानदेय भुगतान नहीं किया जा रहा है।
भुगतान हो जाएगा