इटावा के टोड़ी खेड़ली गांव के रहने वाले सोहनलाल हादसे में घायल होकर 23 नवंबर से एमबीएस में भर्ती हैं। पहले न्यूरो सर्जरी विभाग में इलाज चला, फिर हाथ व पैर के फ्रैक्चर की वजह से 28 नवंबर को अस्थि रोग विभाग में शिफ्ट कर दिया गया। मंगलवार को रेजीडेंट डॉक्टरों की हड़ताल के चलते उनका ऑपरेशन नहीं हो पाया। अब शुक्रवार को सर्जरी हो पाएगी। उनके बेटे निर्मल ने बताया कि वे जल्दी डिस्चार्ज होकर घर जाना चाहते हैं, लेकिन अब कई दिन और अस्पताल में रहना पड़ेगा।
यह समस्या संभाग के सरकारी अस्पतालों के सैकड़ों मरीजों की हैं। अपनी मांगों को लेकर कोटा मेडिकल कॉलेज के 300 से ज्यादा रेजीडेंट डॉक्टर्स ने मंगलवार से बेमियादी हड़ताल शुरू कर दी। अस्पताल अधीक्षकों ने वैकल्पिक व्यवस्थाओं का दावा किया, लेकिन सारे इंतजाम इमरजेंसी तक सिमटकर रह गए। आउटडोर में डॉक्टरों की कमी से मरीजों की लंबी कतारें लगी तो वार्डों में समय पर डॉक्टरों के राउंड नहीं हो पाए। आउटडोर में कतारों में मरीजों में धक्कामुक्की जैसे हालात पैदा हो गए।
भास्कर लाइव : इमरजेंसी में ही लगे रहे डाॅक्टर, कतारों में घंटों कराहते रहे मरीज
आगे क्या
निश्चेतना विभाग के एचओडी डॉ. चेतन शुक्ला ने बताया कि मंगलवार काे तीनों अस्पतालों में 62 ऑपरेशन हुए, इतनी ही लिस्ट हमारे पास आई थी। चार केस जरूर टालने पड़े, इनमें अलग-अलग कारण रहे। हड़ताल से पहले दिन ओटी पर असर नहीं आया, लेकिन बुधवार से दिक्कत हाेगी। हमें इमरजेंसी ओटी में डॉक्टर रखने होते हैं, इसलिए रूटीन सर्जरी में दिक्कत आएगी।
रेजीडेंट्स बोले-मंत्री आश्वासन देते हैं, अधिकारी कुछ नहीं करते
अपनी मांगों को लेकर रेजीडेंट डॉक्टरों ने ओपीडी के बाहर प्रदर्शन किया। आरडीए अध्यक्ष डॉ. कुलदीप सोनी ने बताया कि चिकित्सा शिक्षा में बेतहाशा फीस वृद्धि वापस लेने, एसआरशिप नियमों में सुधार करने जैसे मुद्दों पर एक पखवाड़े पहले खुद चिकित्सा मंत्री ने हमारे प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया था। हमारे प्रतिनिधि सचिव से मिले, लेकिन कोई हल नहीं हुआ।
इटावा के सोहनलाल 23 नवंबर से एमबीएस में भर्ती हैं। मंगलवार को उनका ऑपरेशन होना था, लेकिन हड़ताल की वजह से टल गया।
एमबीएस में इस साल कब-कब हड़ताल
कर्मचारियों ने 2 घंटे का कार्य
बहिष्कार किया और इसी वजह से
एक मरीज की जान चली गई।
आपातकालीन सेवाओं का मजाक
कभी रेजीडेंट डॉक्टर हड़ताल पर तो कभी संविदा कर्मचारी... कोटा के अस्पतालों में आए दिन हो रही हड़ताल के मद्देनजर इमरजेंसी सेवाएं मजाक बनकर रह गई हैं। सर्वाधिक समस्या एमबीएस में है, जहां बार-बार संविदा कर्मचारी हड़ताल करते हैं। अदालतें कई बार सख्ती जता चुकी, इसके बावजूद सरकार लाचार नजर आती है। अधिकारी बचाव की मुद्रा में नजर आते हैं और इसका खामियाजा मरीज भुगतते हैं।