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धर्म किसी जाति, पंथ, मजहब का नाम नहीं, जो इंसान को सही मायने में इंसान समझे, वही धर्म होता है: संत हरिदास
स्थानीय आदर्श विद्या मंदिर उमावि की वंदना सभा में संत हरिदास महाराज ने बताया कि भगवान ने हमें इंसान बनाया है, यह हमारे पुण्य कर्मों का फल है। भारत प्राचीन काल से ही अध्यात्म शक्ति का केंद्र रहा है। यहां की संस्कृति आध्यात्म आधारित रहकर विश्व को शांति एवं कल्याण का संदेश देती है। ऋषि-मुनियों ने यहां परमात्मा की सता को ही सर्वोपरी माना है। उन्होंने कहा कि ध्यान से मन ऊर्जावान बनता है, शक्तिशाली बनता है और व्यक्ति परम वैभव को प्राप्त करता हैं। मन एवं भावना की शुद्धि ही इंसानियत है। धर्म किसी जाति, पंथ, मजहब का नाम नहीं होता है, बल्कि जो इंसान को सही मायनों में इंसान समझे वहीं धर्म होता है। व्यक्ति को सदैव अपने भीतर जैसी आत्मा है, वैसी ही सृष्टि के प्रत्येक जीव में समझना चाहिए। आत्मवत् सर्व भूतेषु का भाव मन में धारण करना होता है। इस अवसर पर संत हरिओम ने बालकों को स्मरण शक्ति को बढ़ाने के छोटे-छोटे योग व ध्यान के प्रयोग भी बताए। इस अवसर पर प्रबंध समिति अध्यक्ष शांतिलाल बैद, विहिप जिला महामंत्री अधिवक्ता नरेंद्र भोजक, प्रधानाचार्य राजू राम पारीक ने संतजनों का स्मृति चिह्न और शॉल से सम्मान किया। अतिथियों का परिचय एवं कार्यक्रम का संचालन बालिका प्रधानाचार्य सरिता ने किया।
लाडनूं. कार्यक्रम में मौजूद विद्यार्थी ।
भास्कर संवाददाता| लाडनूं
स्थानीय आदर्श विद्या मंदिर उमावि की वंदना सभा में संत हरिदास महाराज ने बताया कि भगवान ने हमें इंसान बनाया है, यह हमारे पुण्य कर्मों का फल है। भारत प्राचीन काल से ही अध्यात्म शक्ति का केंद्र रहा है। यहां की संस्कृति आध्यात्म आधारित रहकर विश्व को शांति एवं कल्याण का संदेश देती है। ऋषि-मुनियों ने यहां परमात्मा की सता को ही सर्वोपरी माना है। उन्होंने कहा कि ध्यान से मन ऊर्जावान बनता है, शक्तिशाली बनता है और व्यक्ति परम वैभव को प्राप्त करता हैं। मन एवं भावना की शुद्धि ही इंसानियत है। धर्म किसी जाति, पंथ, मजहब का नाम नहीं होता है, बल्कि जो इंसान को सही मायनों में इंसान समझे वहीं धर्म होता है। व्यक्ति को सदैव अपने भीतर जैसी आत्मा है, वैसी ही सृष्टि के प्रत्येक जीव में समझना चाहिए। आत्मवत् सर्व भूतेषु का भाव मन में धारण करना होता है। इस अवसर पर संत हरिओम ने बालकों को स्मरण शक्ति को बढ़ाने के छोटे-छोटे योग व ध्यान के प्रयोग भी बताए। इस अवसर पर प्रबंध समिति अध्यक्ष शांतिलाल बैद, विहिप जिला महामंत्री अधिवक्ता नरेंद्र भोजक, प्रधानाचार्य राजू राम पारीक ने संतजनों का स्मृति चिह्न और शॉल से सम्मान किया। अतिथियों का परिचय एवं कार्यक्रम का संचालन बालिका प्रधानाचार्य सरिता ने किया।
लाडनूं के आदर्श विद्या मंदिर में कार्यक्रम के दौरान मौजूद संत व अन्य।