अमूमन आंत्रप्रेन्योरशिप शुरू करने के लिए भांति-भांति के आइडिया पर काम करते हैं, लेकिन अमेरिका के मैसाचुसेट्स में रहने वाली गीतिका श्रीवास्तव को प्रेरणा मिली एक दुखद घटना से। परिवार के सदस्य को कैंसर डायग्नोस हुआ तो उन्हें इलाज के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। यह परेशानियां दूसरों को न हो इसके लिए गीतिका ने अपने साथियों की मदद से नव्या केयर स्टार्टअप शुरू कर दिया। टाटा मेमोरियल सेंटर और नेशनल कैंसर ग्रिड की सहायता से क्लिनिकल डाटा एनालिसिस और पेशेंट एडवोकेसी के लिए वर्ष 2015 में शुरू हुई नव्या केयर अब तक 68 देशों के 36 हजार कैंसर पेशेंट को सलाह दे चुकी है। ढाई लाख रुपए तक की सालाना आय वालों के लिए इसकी सेवाएं मुफ्त हैं जबकि इससे ज्यादा की आय वालों के लिए महज 8,500 रुपए की फीस है। बायोटेक्नोलॉजी और हेल्थकेयर वाली यह कंपनी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग का उपयोग करती है। गीतिका के मुताबिक मरीज को सबसे पहले कंपनी की वेबसाइट पर खुद को रजिस्टर करना होगा। फिर अस्पताल के प्रतिनिधि मरीज से बात करके उन्हें अपनी रिपोर्ट अपलोड करने या मेल से भेजने के लिए कहेंगे। मरीज अपनी रिपोर्ट व्हाट्सएप से भी भेज सकते हैं। यह रिपोर्ट कंपनी के सॉफ्टवेयर में फिल्टर होती है और तीन विशेषज्ञों के पास पहुंच जाती है। यहां से विशेषज्ञ अपनी सलाह अपलोड करते हैं। फिर कंपनी ऐसा अल्गोरिदम अप्लाई करती है जिससे मरीज किस तरह का इलाज कराएं और यह इलाज किस अस्पताल में संभव है या किस जगह इसकी सुविधा है आदि की जानकारी मरीजों को देते हैं।
गीतिका बताती हैं कि शुरूआत में परिवार व दोस्तों की मदद से कंपनी शुरू की। अब होंडा, महिंद्रा व टाटा जैसी कई कंपनियां अपने सीएसआर फंड से मदद करती हैं। विभिन्न एनजीओ, इंश्यारेंस पार्टनर, हॉस्पिटल और संगठनों की मदद से कंपनी कैंसर पेशेंट तक खुद भी पहुंचती है। उनके ही साथ हॉवर्ड में पढ़े डॉ. नरेश रामराजन को फाउंडर हैं। हॉवर्ड मेडिकल स्कूल, यूसीएलए, एम्स, मैक्स हॉस्पिटल, बोस्टन कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट आदि नव्या से जुड़े हैं।
मशीन लर्निंग और एआई से क्लिनिकल डाटा एनालिसिस और पेंशेंट एडवोकेसी पर किया काम
दुनिया की बेस्ट तकनीक और दवाओं की भी जानकारी मिलती है
अमेरिका में टीम के सदस्यों के साथ गीतिका
महज 23 साल की उम्र में शुरू किया था स्टार्टअप, मुनाफे में बेचा
हालांकि, नव्या पर्सनल लाइफ के बारे में बताने से संकोच करती हैं। लेकिन उनकी पर्सनल जिंदगी भी कम प्रेरक नहीं है। वे दुनिया की छठी और भारत की सबसे लंबी महिला हैं। उनकी ऊंचाई 6 फीट 11 इंच है। उनके पिता भी नामी बॉस्केटबॉल प्लेयर थे और गीतिका भी। हॉवर्ड यूनिवर्सिटी से कम्प्यूटर इंजीनियरिंग और एमआईटी से एमबीए की पढ़ाई की है। इस सबके बाद भी वे एक सामान्य जिंदगी जीती हैं। गीतिका ने महज 23 साल की उम्र में स्टार्टअप स्काईरिश नेटवर्क शुरू कर दिया था। बाद में इसे बेच भी दिया। वेंचर कैपिटल में गीतिका की रुचि है।
कैंसर पीड़ितों के समय, ट्रेवल और पैसा तीनों को ही बचत करती है कंपनी
गीतिका बताती है कि कैंसर पीड़ित की रिपोर्ट में काफी समय, यात्राएं और पैसे खर्च होते हैं। कंपनी अपने सॉल्यूशन में इन तीनों चीजों की कटौती करती है। अमेरिका के नामी कैंसर रिसर्चर, हॉस्पिटल भी कंपनी से जुड़े हैं। गीतिका बताती हैं कि उनका एल्गोरिथम दूसरी बीमारियों के लिए भी अप्लाई हो सकता है। इसलिए फोकस कैंसर पर है। बेंगलुरू में उनकी कंपनी का दफ्तर है लेकिन मुंबई और अमेरिका में काम होता है।