भास्कर संवाददाता| श्रीगंगानगर
जिले का सबसे बड़ा अस्पताल कर्मचारियाें की कमी से जूझ रहा है। इस वजह से स्टाफ के साथ ही मरीजाें व उनके परिजनाें काे परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहां सीनियर टेक्निकल असिस्टेंट, सीनियर टेक्नीशियन के 11 पद हैं लेकिन कार्यरत एक भी नहीं है। सरकार ने जिला अस्पताल में ब्लड बैंक/पैथाेलाेजी लैब में एमएनजेवाई याेजना वर्ष 2013 में लागू की। याेजना के तहत कुल 8 लैब टेक्नीशियन संविदा, 3 लैब टेक्नीशियन अन्य याेजना के तहत लगाए। लेकिन वर्तमान में ब्लड बैंक/ पैथाेलाेजी लैब में संविदा पर 2 ही लैब टेक्नीशियन कार्य कर रहे हैं। 5 लंबे समय से मानदेय नहीं मिलने की वजह से सेवाएं छाेड़ चुके हैं। यह बात अखिल राजस्थान राज्य लेबाेरेटरी टेक्नीशियन कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष रामबिहारी शर्मा ने शहर अाए प्रभारी मंत्री गाेविंद सिंह डाेटासरा से कही।
संघ के पदाधिकारियाें ने प्रभारी मंत्री काे चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री के नाम का ज्ञापन देते हुए बताया कि दिनाें दिन ब्लड बैंक व पैथाेलाेजी लैब में कार्यभार बढ़ता जा रहा है, लेकिन कर्मचारियाें की कमी की वजह से जांच कार्य में गुणवत्ता काे बनाए रखना एवं तत्परता से कार्य संपादन करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। संघ के पदाधिकारियाें ने कलेक्टर, विधायक, सीएमएचअाे व पीएमअाे काे भी ज्ञापन देकर जल्द समस्या के निराकरण की मांग की है। इस माैके पर संघ के महामंत्री हरनेक सिंह, बीरबल राम, संजय सिंह, रामकुमार भी माैजूद रहे।
: जिलेभर में पीएचसी व सीएचसी पर भी 70 प्रतिशत पद खाली
रामबिहारी शर्मा ने बताया कि जिले में भी यही स्थिति बनी हुई है। सभी पीएचसी व सीएचसी पर 70 प्रतिशत पद खाली पड़ी हैं। जिला अस्पताल की बात करें ताे यहां सीनियर टेक्निकल असिस्टेंट के स्वीकृत 3 पद हैं, सभी खाली हैं। इसी तरह टेक्निकल असिस्टेंट के 4 में से 2 रिक्त, सीनियर टेक्नीशियन के 8 में से 8 रिक्त, लैब टेक्नीशियन के 7 पद सभी खाली, प्रयाेगशाला सहायक ने 9 पद स्वीकृत हैं, 8 कार्यरत हैं। लंबे समय से रिक्त पड़े पदाें की वजह से कर्मचारियाें में अाक्राेश व्याप्त है।
मटका चाैक बालिका स्कूल खेल मैदान में पार्किंग आदेश निरस्त करवाने काे शिक्षा राज्यमंत्री से मिले लाेग, मिला अाश्वासन
श्रीगंगानगर| मटका चाैक स्थित राजकीय कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय के खेल मैदान पर प्रस्तावित पार्किंग स्थल के लिए जगह देने के विराेध में नागरिकाें ने मंगलवार काे शिक्षा मंत्री गाेविंद डाेटासरा काे ज्ञापन साैंपा। उन्हाेंने इस मुद्दे पर जानकारी लेकर जनहित में निर्णय लेने का भराेसा दिलाया। सामाजिक कार्यकर्ता अनिल गोदारा और डॉ. बालकृष्ण पंवार के नेतृत्व में शिष्टमंडल शिक्षा मंत्री डोटासरा से कांग्रेस जिला कार्यालय में मिला। उन्हाेंने शिक्षा मंत्री काे ज्ञापन सौंपकर मांग की कि राजकीय बालिका सीनियर सैकंडरी स्कूल मटका चौक के खेल मैदान में माध्यमिक शिक्षा निदेशक बीकानेर द्वारा वाहन पार्किंग स्थल बनाने के अादेश दिए हैं। इस आदेश को विद्यालय की छात्राओं और इस शहर के नागरिकों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए निरस्त करवाएं। उन्हाेंने मांग रखी कि मामले की जांच कर संबंधित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। शिक्षा मंत्री ने शिष्टमंडल को आश्वस्त किया कि हम जनता की भावना के साथ हैं। जल्द ही कार्रवाई भी करेंगे।
कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने भी शिक्षा मंत्री काे प्रकरण से अवगत करवाया,पार्किंग काे बताया अव्यवहारिक : इससे पूर्व कांग्रेस जिलाध्यक्ष संतोष सहारण सहित कांग्रेस के अनेक वरिष्ठ पदाधिकारियों ने खेल मैदान में वाहन पार्किंग को लेकर जनता में बढ़ रहे आक्रोश से शिक्षा मंत्री को अवगत करवाया। शिष्टमंडल को कांग्रेस नेताओं ने आश्वस्त किया कि खेल मैदान में वाहन पार्किंग नहीं बनेगी। शिष्टमंडल में सरमेज सिंह,संयुक्त व्यापार मंडल के पूर्व अध्यक्ष हरीश कपूर, तेजपाल नायक,भजन सिंह घारू, मोहनलाल गुप्ता, प्रवीण नोखवाल, शंकर सुथार, प्रदीप दायमा, बलबीर सोनी, महेंद्रपाल भाटिया आदि नागरिक शामिल थे।
स्कूल संचालकों ने स्थान परिवर्तन स्वीकृति की जारी मान्यताओं में भू-रूपांतरण में छूट की मांग काे लेकर शिक्षा मंत्री काे साैंपा ज्ञापन
श्रीगंगानगर| स्वयंसेवी शिक्षण संघ का शिष्टमण्डल जिलाध्यक्ष बलवीर सिहाग के नेतृत्व में जिले के प्रभारी एवं शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा से मिला। इस दाैरान सत्र 2018-19 में स्थान परिवर्तन स्वीकृति की जारी मान्यताओं में भू-रूपांतरण में छूट देने की मांग का ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में अवगत करवाया गया कि जिले में अधिकतर विद्यालय किराए के भवन में संचालित हैं। भवन स्वामी भू-रूपांतरण करवाने के इच्छुक नहीं हैं तथा न ही श्रीगंगानगर में भू-रूपांतरण की कार्यवाही हो रही है। बलवीर सिहाग ने बताया कि स्थान परिवर्तन की मान्यता प्राप्त करने वाले विद्यालयों की मान्यता पूर्व की है एवं वर्षों से संचालित हो रहे हैं। पुराना विद्यालय भवन शिक्षण के लिए उपयुक्त न रह पाने, छात्र संख्या बढ़ने के कारण स्थान परिवर्तन की मान्यता ली गई है।