श्रीगंगानगर| बेटियां अाजकल अपने जज्बे व हिम्मत से हर क्षेत्र में अागे अा रही हैं। उनके लिए काेई क्षेत्र अछूता नहीं है। जिले के अनूपगढ़ क्षेत्र की निवासी रेणु शर्मा भी हिम्मती बेटियाें में शामिल है। वह बाइक राइडिंग की दीवानी है। यह अाम ताैर पर पुरुषाें का शाैक माना जाता है। रेणु बाइक पर पूरे नियमों के साथ यूं फर्राटेदार तरीके से चलती हैं कि लाेग देखते रह जाते हैं। वह पिछले 5 वर्षाें से शाैकिया ताैर पर बाइक राइडिंग कर रही हैं। वे बताती हैं कि वह अभी तक जयपुर, चंडीगढ़, जैसलमेर, रुणेचा, मंडावा अादि जगहाें तक बाइक राइडिंग कर चुकी हैं। इसके चलते रेणु काे 5 जून काे जयपुर में राजस्थान में हार्ले डेविसन बाइक की महिला राइडर का भी खिताब मिल चुका है। रेणु के पास वर्तमान समय में हार्ले डेविसन माॅडल 48 है। इसमें 1200 सीसी का इंजन है। यह बाइक 220 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से सड़क पर दौड़ती है। रेणु बीएससी हाेम साइंस, बीएड व कंप्यूटर में डिप्लाेमा पूरा कर चुकी हैं। वह अभी अनूपगढ़ में ही रहकर वेब डिजाइनिंग का काम कर रही हैं। पिता कृष्णलाल का कहना है कि रेणु काे बाइक राइडिंग का शाैक बचपन से ही था। शादी के बाद ससुर लीलाधर अाेझा ने ही उसे बाइक राइडिंग करना सिखाया। पीहर हनुमानगढ़ जंक्शन में है। रेणु बताती हैं कि उनकी शादी 2009 में अनूपगढ़ निवासी सुमित अाेझा से हुई। पति इंटरनेशनल वेब डिजाइनिंग का काम करते हैं। बाइक राइडिंग काे लेकर ससुराल पक्ष का पूरा सहयाेग रहा। पति काे भी बाइक राइडिंग का शाैक है, इनके पास भी हार्ले डेविसन बाइक का माॅडल-750 है। इस बाइक में 750 सीसी का इंजन है। रेणु ने पहले सामान्य बाइक चलाना सीखा। इसके बाद पति की बाइक से राइडिंग करनी शुरू की।
रेणु बताती हैं कि लड़कियों का बाइक चलाना हमारे समाज में अाज भी सामान्य नहीं है। इसे अलग नजरिए से देखा जाता है। शुरुअात में काफी दिक्कतें हुईं। जब भी बाइक लेकर घर से निकलती ताे सड़क पर लड़के मेरी बाइक काे देखकर मेरे साथ रेस लगाने की कोशिश करते थे। इस दाैरान कभी-कभी लड़के मुझे अाेवर टेक करने के बाद मुड़कर देखते थे। लेकिन मुझे इस दाैरान बहुत डर लगता था कि कहीं इनके साथ किसी भी तरह की घटना घटित न हाे जाए। क्योंकि यह लड़के बाइक राइडिंग के समय हेलमेट अादि नहीं लगाते थे। इसके चलते मुझे अपनी बाइक की स्पीड काे कम करना पड़ता था।
शिक्षा व नारी सशक्तिकरण का देती हैं संदेश: रेणु बाइक राइडिंग के दाैरान शिक्षा व नारी सशक्तिकरण का संदेश देती है। रेणु का कहना है कि हमारी बेटियां किसी से कम नहीं हैं। हर क्षेत्र में वाे सफलता के नए मुकाम पा रही हैं। जरूरत है बस उनका हाैसला बढ़ाने की अाैर अागे बढ़ने के अवसर देने की। बेटे ताे एक कुल का नाम राेशन करते है। लेकिन महिलाएं ताे दाे घराें का नाम राेशन करती हैं। चाहे शादी हाे जाए फिर भी उनकी पहचान सास-ससुर से अधिक माता-पिता के नाम से हाेती है। एेसे में बेटियाें काे पराया मानने की मानसिकता त्यागनी हाेगी।