मिलिए रायसिंहनगर के 22 पीएस की हांडा काॅलाेनी निवासी दाे सगे भाईयाें दीपक अाैर रमांकात गाेयल से। किशाेरावस्था में ही इनके साथ जाे घटना हुई वह दुनिया के विरलतम लाेगाें के साथ ही हाेती है। 18 अाैर 17 साल की उम्र में इन दाेनाें भाईयाें की अांखाें की राेशनी चली गई। अचानक हुए इस घटनाक्रम से पूरा परिवार ही सदमे में अा गया। अभी काॅलेज की पढ़ाई चल ही रही थी कि दिखना पूरी तरह से बंद हाे गया। एक साथ दाेनाें बेटे अंधे हाे गए ताे पिता एलअाईसी एजेंट सुरेंद्र गाेयल अाैर मां सुधा गाेयल पर जैसे दुखाें का पहाड़ ही टूट पड़ा। चिकित्सकों से परामर्श लिया गया ताे पता चला इन दाेनाें भाईयों काे रेटेनाइटिक सिंगटाेस बीमारी है। इसका अभी तक उपचार भी संभव नहीं है। निराशा भरे उस दाैर से परिवार के मुखिया ने ही बाहर निकलने का रास्ता तलाश किया। मां सुधा अाैर पिता सुरेंद्र ने दाेनाें बेटाें का हाैंसला बढ़ाया। दाेनाें बेटाें काे एसबीएस कॉलेज से स्नातक तक पढ़ाया। बलाइंडनेस से सहयोगी लेकर परीक्षा पास की।
रायसिंहनगर की 22 पीएस गांव के रहने वाले दाे भाईयाें के संघर्ष अाैर सफलता
की कहानी
कठिन परिश्रम अाैर लगन के चलते दाेनाें ही भाईयांे की बैंक में लगी नाैकरी

हम दाेनाें भाईयाें में पढ़ाई के दाैरान एक कलास का फांसला रहा है। जब हम दाेनाें काे दिन में ही दिखना कम हुअा ताे शुरूअात में चिकित्सकाें से परामर्श लेते रहे। दवाएं काम नहीं कर रही थीं अाैर हमारी अांखाें की राेशनी लगातार कम हाेती जा रही थी। देखते ही देखते मुझे अाैर रमाकांत काे बिलकुल दिखना बंद हाे गया। वाे दाैर था जब हम दाेनांे भाई अाैर माता-पिता निराशा से घिर गए थे। लेकिन हमने हिम्मत नहीं अारी। वापस संघर्ष करने का निर्णय लिया। इसके अलावा हमारे पास काेई विकल्प भी नहीं था। पिताजी ने हम दाेनाें भाईयाें ने रायसिंहनगर में पुनित धींगड़ा सर से मार्गदर्शन लिया। उन्हाेंने हमें प्रेरित किया अाैर हमने वहां काेचिंग लेना शुरू कर दिया। अब समस्याएं दाे थीं। पहली ताे सेंटर तक अाने जाने की। इसे पापा ने संभाला। वे हम दाेनाें काे राेजाना छाेड़ने अाैर लेकर अाते। दूसरी समस्या थी कि सेंटर पर केवल बाेला सुन सकते थे, बाेर्ड पर लिखा या अन्य तरीके से देख ताे सकते ही नहीं थे। ऐसे में सुनकर व रिकाॅर्डिंग कर घर जाकर उसका मनन करते। छोटे रमाकांत ने पहले ही प्रयास में बैंक क्लर्क की परीक्षा 2010 में पास कर ली तथा उसकी चंडीगढ़ में एसबीआई में नाैकरी लग गई। इससे हमारे पूरे परिवार काे नई उर्जा अाैर हिम्मत मिल गई। उसने पूरा परिवार अपने पास चंडीगढ़ बुला लिया। वहां तैयारी करता रहा अाैर मुझे भी पीएनबी में नाैकरी मिल गई।
जैसा कि दीपक गाेयल ने बताया।
ब्लाइंडनेस होने पर भी पूछताछ केन्द्र पर काम करते देख एसबीआई महाप्रबंधक भी हुए हैरान -रमाकांत ने बताया कि वह राेजाना की तरह उस दिन भी पूछताछ केंद्र पर ग्राहकाें को जानकारी दे रहा था कि वहां अचानक बैंक के महाप्रबंधक आ गए। इस बात का मुझे कोई पता भी नहीं चला। जब उन्हें पता लगा कि मुझे दिखता नहीं तो वे कार्य को कुशलता पूर्वक करते देख प्रसन्न हुए। उन्होंने ऐसा सोफ्टवेयर उपलब्ध करवाया जिससे मुझे अब काम करना आसान हो गया है। हम दाेनाें भाई अब सॉफ्टवेयर की मदद से सभी काम आसानी से कर लेते हैं।