प्रदेश में भ्रूण लिंग जांच गिरोह का खुलासा होने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। दैनिक भास्कर की एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) ने प्रिंट मीडिया का अब तक का सबसे बड़ा डिकॉय ऑपरेशन करके भ्रूण लिंग जांच करवाने वाले दलालों का पर्दाफाश किया है। रविवार को पीसीपीएनडीटी सेल के अफसर दिनभर भास्कर से दलालों की लोकेशन पूछते रहे। सबसे बड़ा सवाल यह है कि बीटेक, एमबीए, नर्सिंग स्टूडेंट्स भ्रूण जांच गिरोह से कैसे जुड़ गए। दैनिक भास्कर ने पड़ताल की तो कई जानकारी सामने आई। पीसीपीएनडीटी एक्ट को सख्ती से लागू करवाने के लिए अफसर खुद ही गंभीर नहीं है। दैनिक भास्कर ने एनआरएचएम के मिशन निदेशक हेमंत कुमार गेरा से सवाल पूछा-प्रदेश में भ्रूण लिंग जांच का गिरोह कैसे पनप गया, आरोपी क्यों नहीं पकड़े जा रहे? गेरा ने कहा कि अभी उनके पास पीसीपीएनडीटी सेल का चार्ज नहीं है। स्टेट अथॉरिटी की ओर से चार्ज के लिए नोटिफिकेशन नहीं निकाला गया है। डॉ. समित शर्मा का तबादला जरूर हो गया है, लेकिन इस सेल का चार्ज अभी उनके पास ही है। आप एसीएस रोहित कुमार से बात कीजिए। भास्कर ने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी रोहित कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा इस प्रकार के मामलों को रोकने के लिए एनएचएम जिम्मेदार है। दैनिक भास्कर ने जो स्टिंग किया है। हम उसकी मैपिंग करवाएंगे। सरकार गिरोह से जुड़े लोगों का पता लगाएगी। इसके बाद आरोपियों पर कार्रवाई करेंगे। भास्कर के स्टिंग में सामने आया एक भी दलाल छोड़ा नहीं जाएगा। इनकी तलाश की जा रही है। रही बात गेरा के चार्ज की तो डॉ. समित शर्मा स्पेशनल सेक्रेटरी थे। अब एनएचएम के मिशन निदेशक हेमंत कुमार गेरा को चार्ज देने के लिए एक नोटिफिकेशन निकालेंगे। हालांकि गेरा का यह कहना गलत है कि वे इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं। आज नहीं तो कल उन्हीं को चार्ज संभालना है।
भ्रूण लिंग जांच गिरोह के खुलासे के बाद अधिकारी भास्कर से पूछते रहे दलालों की लोकेशन, कई अंडरग्राउंड हो गए, एसीएस राेहित कुमार सिंह ने कहा-दैनिक भास्कर के स्टिंग में सामने आए एक भी आरोपी को नहीं छोड़ेंगे
दिल्ली व चीन से ला रहे पोर्टेबल सोनोग्राफी मशीनें, प्रदेश में 200 से ज्यादा मशीनें चल रही : भास्कर की एक महीने की पड़ताल में सामने आया कि ज्यादातर दलाल सोनोग्राफी के लिए पोर्टेबल मशीनें इस्तेमाल कर रहे हैं। इन मशीनों को खेतों, होटल और एंबुलेंस में ले जाकर आसानी से सोनोग्राफी की जा सकती है। यह सभी मशीनें दिल्ली व नेपाल से लाई गई हैं। दलाल व सूत्रों ने खुलासा कि प्रदेश में 200 से ज्यादा पोर्टेबल सोनोग्राफी मशीनें संचालित हो रही है। इनमें से स्वास्थ्य विभाग 5 से 10 मशीनें ही अभी तक पकड़ पाया है। यह मशीनें 50 हजार से दो लाख रुपए तक में मिल जाती है। बिना कागजों के यह मशीनें चीन, नेपाल, बांग्लादेश और दिल्ली में मिल जाती है। इनका रजिस्ट्रेशन भी नहीं होता।
भास्कर संवाददाता | सीकर
प्रदेश में भ्रूण लिंग जांच गिरोह का खुलासा होने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। दैनिक भास्कर की एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) ने प्रिंट मीडिया का अब तक का सबसे बड़ा डिकॉय ऑपरेशन करके भ्रूण लिंग जांच करवाने वाले दलालों का पर्दाफाश किया है। रविवार को पीसीपीएनडीटी सेल के अफसर दिनभर भास्कर से दलालों की लोकेशन पूछते रहे। सबसे बड़ा सवाल यह है कि बीटेक, एमबीए, नर्सिंग स्टूडेंट्स भ्रूण जांच गिरोह से कैसे जुड़ गए। दैनिक भास्कर ने पड़ताल की तो कई जानकारी सामने आई। पीसीपीएनडीटी एक्ट को सख्ती से लागू करवाने के लिए अफसर खुद ही गंभीर नहीं है। दैनिक भास्कर ने एनआरएचएम के मिशन निदेशक हेमंत कुमार गेरा से सवाल पूछा-प्रदेश में भ्रूण लिंग जांच का गिरोह कैसे पनप गया, आरोपी क्यों नहीं पकड़े जा रहे? गेरा ने कहा कि अभी उनके पास पीसीपीएनडीटी सेल का चार्ज नहीं है। स्टेट अथॉरिटी की ओर से चार्ज के लिए नोटिफिकेशन नहीं निकाला गया है। डॉ. समित शर्मा का तबादला जरूर हो गया है, लेकिन इस सेल का चार्ज अभी उनके पास ही है। आप एसीएस रोहित कुमार से बात कीजिए। भास्कर ने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी रोहित कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा इस प्रकार के मामलों को रोकने के लिए एनएचएम जिम्मेदार है। दैनिक भास्कर ने जो स्टिंग किया है। हम उसकी मैपिंग करवाएंगे। सरकार गिरोह से जुड़े लोगों का पता लगाएगी। इसके बाद आरोपियों पर कार्रवाई करेंगे। भास्कर के स्टिंग में सामने आया एक भी दलाल छोड़ा नहीं जाएगा। इनकी तलाश की जा रही है। रही बात गेरा के चार्ज की तो डॉ. समित शर्मा स्पेशनल सेक्रेटरी थे। अब एनएचएम के मिशन निदेशक हेमंत कुमार गेरा को चार्ज देने के लिए एक नोटिफिकेशन निकालेंगे। हालांकि गेरा का यह कहना गलत है कि वे इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं। आज नहीं तो कल उन्हीं को चार्ज संभालना है।
भास्कर ने किया था भ्रूण लिंग जांच पर डिकॉय ऑपरेशन।
95 फीसदी भ्रूण जांच पोर्टेबल मशीनों से हो रही है
पोर्टेबल सोनोग्राफी मशीन में जीपीएस सिस्टम और ट्रेकिंग सिस्टम नहीं होने के कारण पकड़ से दूर हैं। यही कारण है कि इस धंधे से जुड़े लोग चाइनीज मशीनें से बेखौफ होकर भ्रूण जांच के लिए सोनोग्राफी करते हैं। जानकार मानते हैं कि पुलिस की अन्य एजेंसियों की तरह संदिग्धों के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर रखकर ऐसे लोगों की ट्रेकिंग की जा सकती है। पीसीपीएनडीटी एक्ट के उल्लंघन के मामलों में पकड़े गए आरोपियों व संदिग्धों के मोबाइल नंबर निगरानी पर रखे जाए तो भ्रूण हत्या से जुड़े लोगों को पकड़ा जा सकता है।