Jul 09, 2019, 08:14 PM IST
जीवन मंत्र डेस्क. महत्वाकांक्षा को उपलब्धि और सफलता के लिए सबसे महत्वपूर्ण मान लेना गलत है। महत्वकांक्षी होने से कोई भी इंसान सीमित हो जाता है। क्योंकि महत्वकांक्षा से ही लक्ष्य बनता है। फिर मनुष्य अपने लक्ष्य को ही ध्यान में रखकर मेहनत करता है। इससे उपर उठकर कुछ सोच भी नहीं पता, जबकी उस इंसान में इससे ज्यादा योग्यता हो सकती है। लेकिन वो खुद को ही सीमित कर लेता है। सदगुरु जग्गी वासुदेव का कहना है कि हमें खुशहाल और भागीदारी की भावना के साथ हर काम करना चाहिए। जिससे हम लोगों को अपनी प्रतिभा दिखा सकते हैं।
इस तरह समझ सकते हैं सफलता, लक्ष्य और महत्वकांक्षा को
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एक विचार है महत्वाकांक्षा
- महत्वाकांक्षा वह एक विचार है जिसे आप एक खास महत्व देने का फैसला करते हैं। यह धीरे-धीरे जीवन के लक्ष्य में बदल जाता है।
- आप इस विचार में इतनी जीवन ऊर्जा डाल देते हैं कि वह आपके अस्तित्व पर हावी हो जाता है। फिर आप भूल जाते हैं कि आपने ही इसे बनाया है। इस तरह विचार सृजनकर्ता से ज्यादा विशाल हो जाता है।
- महत्वाकांक्षी होना सही है या गलत? यह दोनों ही नहीं है। बस यह बहुत सीमित है क्योंकि आप जो पहले से जानते हैं, यह उसका बड़ा रूप है।
- ज्यादातर इंसान के साथ ऐसा है कि वे दूसरों से थोड़ा बेहतर करते हैं और समझते हैं कि वे बहुत बढ़िया कर रहे हैं।
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जरूरी है खुशहाल और भागीदारी वाली दुनिया
- अधिकांश लोग महत्वाकांक्षा चुनते हैं क्योंकि उन्हें जीने का कोई दूसरा तरीका नहीं पता होता है।
- लक्ष्य तय किए बिना खुद को सफलता के लिए प्रेरित करना मुश्किल होता है लेकिन योगिक प्रणाली इसी का समाधान बताती है। जिसके अनुसार बिना इरादे के भागीदारी की भावना को प्रबल करना चाहिए।
- इसी वजह से हर आध्यात्मिक परंपरा में भक्ति पर जोर दिया जाता है। भक्ति की आग हर हिसाब-किताब जला देती है। भक्ति में किसी उम्मीद या गणना के बिना सिर्फ प्रक्रिया पर पूरी तरह निष्पक्ष फोकस होता है।
- अगर आप चाहते हैं कि आपके जीवन में नई संभावनाएं बनें और आप अपनी प्रतिभा को सामने लाना चाहते हैं, तो जरूरी है कि महत्वाकांक्षी नहीं, बल्कि खुशहाल और भागीदारी वाली दुनिया बनाएं।
- सदगुरु का कहना है कि सिकंदर महान जिसे सबसे महत्वाकांक्षी इंसान माना जाता है, मेरे ख्याल से बहुत सीमित महत्वाकांक्षा रखता था। वह बस एक धरती को जीतना चाहता था जो विशाल ब्रह्मांड में सिर्फ एक कण है। उसके लिए वह इच्छा बड़ी थी, जिसके लिए वह मार-काट करता है, मर जाता है। कितनी बड़ी विडंबना है!
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बिना लक्ष्य के रहना होगा सक्रिय
- आपने जो सोचा है, अगर सिर्फ वही होता है, तो कितना दरिद्र जीवन होगा।
- अगर आप बिना लक्ष्य के हर समय पूरी तरह सक्रिय होते हैं, तो हो सकता है आप ऐसी जगह पहुंच जाएं, जो सपने में भी संभव नहीं हो
- इसलिए किसी तय महत्वाकांक्षा से खुद को सीमित न करें क्योंकि इंसान होना एक असीमित संभावना है, एक अंतहीन और अनंत खोज है। आपका जीवन उसी असीमितता को खोजने के लिए है।