चैंपियन CSK कैसे हुई प्लेऑफ की होड़ से बाहर:पूरी आजादी के साथ कप्तानी नहीं कर पाए जडेजा, एक्सप्रेस बॉलर की खली कमी

मुंबईएक वर्ष पहलेलेखक: कुमार ऋत्विज
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चेन्नई सुपर किंग्स IPL इतिहास में सबसे ज्यादा 9 बार फाइनल खेलने वाली टीम है। कभी कहा जाता था कि बाकी टीमें IPL इसलिए खेलती हैं ताकि फाइनल में चेन्नई से मुकाबला कर सकें। IPL 2022 इस चैंपियन टीम के लिए किसी बुरे सपने की तरह रहा है।

10 मुकाबले खेल चुकी CSK केवल 3 में जीत दर्ज कर सकी है और टूर्नामेंट से बाहर हो गई है। महेंद्र सिंह धोनी का सीजन की शुरुआत से 1 दिन पहले कप्तानी छोड़ना, सुरेश रैना को टीम में शामिल नहीं करना, धोनी के बाद सही कप्तान नहीं चुन पाना और एक्सप्रेस स्पीड बॉलर की कमी जैसी कुछ वजह सामने आ रही हैं।

आइए, समझने की कोशिश करते हैं कि सितारों से सजी इस टीम के शर्मनाक प्रदर्शन के पीछे कौन से प्रमुख कारण रहे? आगे बढ़ने से पहले इस पोल में हिस्सा ले सकते हैं।

चिन्ना थाला के साथ किया गया बर्ताव
सुरेश रैना को चेन्नई में चिन्ना थाला कहा जाता है। उन्होंने चेन्नई को अपने दम पर कई मुकाबले जिताए। ऐसे में ऑक्शन के दौरान रैना को ना खरीदना CSK के लिए नुकसानदायक रहा। नीलामी के बाद भी कम कीमत पर रैना बिक सकते थे, लेकिन तब भी चेन्नई ने उन्हें टीम के साथ जोड़ना जरूरी नहीं समझा। नतीजा यह हुआ कि चेन्नई सीजन की शुरुआत से पहले ही गलत कारणों से चर्चा में आ गई।

CSK मैनेजमेंट को लगातार सफाई देनी पड़ी कि टीम कॉन्बिनेशन में रैना फिट नहीं बैठ रहे थे। कहीं ना कहीं टीम के बाकी खिलाड़ियों पर भी रैना के साथ हुए बर्ताव का असर पड़ा। प्लेयर्स का ध्यान दूसरी तरफ चला गया और टीम पूरी तैयारी के साथ IPL में नहीं उतर सकी। रैना की कमी टीम को काफी खली क्योंकि मिडिल ऑर्डर में उनकी तरह कोई दूसरा बल्लेबाज टीम नहीं तलाश सकी।

एक्सप्रेस स्पीड बॉलर्स की कमी
टॉप 4 में चल रही सभी टीमों के पास एक्सप्रेस स्पीड गेंदबाज मौजूद हैं। ऐसे गेंदबाज जो अपनी गति से बल्लेबाज को धमका कर उनके विकेट निकाल सकें। गुजरात के पास लॉकी फर्ग्यूसन, राजस्थान के पास ट्रेंट बोल्ट, लखनऊ के पास आवेश खान और सनराइजर्स के पास जम्मू एक्सप्रेस उमरान मलिक उपलब्ध हैं। CSK की बात करें तो उसके स्ट्राइक बॉलर क्रिस जॉर्डन रहे। उनकी कम स्पीड का फायदा राशिद खान जैसे बल्लेबाजों ने भी उठाया और एक ओवर में 25 रन जड़कर चेन्नई से मुकाबला छीन लिया।

145 kmph से ऊपर की गेंदें फेंकने वाला बॉलर ना होना CSK को भारी पड़ा। इस वजह से किसी पार्टनरशिप को तोड़ने के लिए चेन्नई के कप्तान को बहुत मुश्किल पेश आती थी। विकेट टेकिंग बॉलर के ऑप्शन की कमी ने आखिरकार चेन्नई को टूर्नामेंट से बाहर का रास्ता दिखा दिया।

महेंद्र सिंह धोनी का अजीब फैसला
कहा जाता है कि धोनी जो भी करते हैं, उसकी कानों- कान किसी को खबर नहीं होती। जिस तरीके से धोनी ने ऑस्ट्रेलिया में सीरीज के बीच में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास का ऐलान किया था, उसे क्रिकेट इतिहास के सबसे शॉकिंग फैसलों में एक माना जाता है। उसी तर्ज पर IPL सीजन की शुरूआत से एक दिन पहले खबर आती है कि महेंद्र सिंह धोनी ने कप्तानी छोड़ दी है और रवींद्र जडेजा टीम के नए कप्तान होंगे। इस खबर ने खूब सुर्खियां बटोरीं।

अचानक हुए ऐलान ने टीम के अन्य खिलाड़ियों पर नकारात्मक असर डाला। डेवॉन कॉन्वे जैसे खिलाड़ी धोनी से पूछने लगे कि क्या मैं आपकी कप्तानी में नहीं खेल पाऊंगा? जवाब में माही ने कहा कि मैं कप्तानी तो नहीं करूंगा, लेकिन आसपास ही रहूंगा। अगर यह फैसला कुछ महीनों पहले ले लिया गया होता तो शायद टीम में अफरा-तफरी का माहौल नहीं होता और खिलाड़ी तैयारी पर अधिक ध्यान दे पाते।

धोनी पिछले कई सीजन की तरह इस साल भी बल्ले से बुरी तरह फ्लॉप रहे हैं। RCB के खिलाफ उम्मीद थी कि धोनी मैच फिनिश करेंगे, लेकिन वे सिर्फ 2 रन बनाकर पवेलियन लौट गए।

जडेजा नहीं कर सके अपने हिसाब से कप्तानी
रवींद्र जडेजा के साथ सबसे बड़ी समस्या यह रही कि वे अपने हिसाब से टीम नहीं चला सके। मैदान पर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कप्तान की मौजूदगी जडेजा को फैसले लेने से रोकती रही। कई बार ऐसा लगा कि जड्डू सिर्फ टॉस करने के लिए हैं और टीम का असली बॉस कोई और है। इसी मानसिक दबाव में रवींद्र जडेजा का अपना प्रदर्शन भी निराशाजनक रहा।

माही ने बताया कि शुरुआती दो मुकाबलों में तो उन्होंने जडेजा की पूरी मदद की, लेकिन इसके बाद उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया। जडेजा के पास कप्तानी का कोई अनुभव नहीं था और ऐसे में उन्होंने हड़बड़ी में कई गलत फैसले लिए, जो बाद में टीम पर भारी पड़े।

ऋतुराज गायकवाड़ को दी जा सकती थी जिम्मेदारी
लास्ट ईयर के ऑरेंज कैप विनर ऋतुराज युवा हैं और उन्होंने दोनों नई टीमों के भारी-भरकम रकम के ऑफर को ठुकरा कर चेन्नई के साथ रहना स्वीकार किया था।

ऐसे में रवींद्र जडेजा पर कप्तानी का बोझ डालने की बजाय ऋतुराज गायकवाड़ को यह जिम्मेदारी दी जा सकती थी। CSK के लिए ओपनिंग करने वाले 25 वर्षीय ऋतुराज लंबे वक्त तक टीम की कमान संभाल सकते थे। इस मामले में मैनेजमेंट से बड़ी चूक हुई, जिसका खामियाजा चेन्नई को टूर्नामेंट से बाहर होकर भुगतना पड़ा।

धोनी के इस फैसले से हारी चेन्नई
10वें मुकाबले में RCB के खिलाफ महेंद्र सिंह धोनी के एक फैसले से CSK को हार का सामना करना पड़ा। दरअसल धोनी ने इस मैच में भी टीम के सबसे भरोसेमंद खिलाड़ियों में से एक ड्वेन ब्रावो को मौका नहीं दिया। इस मैच से पहले ब्रावो सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ भी बाहर ही थे। तब ये बात सामने आई थी कि ब्रावो को एक छोटी सी चोट है। टीम उस मैच को जीत गई तो धोनी ने इस मुकाबले में भी ब्रावो को प्लेइंग 11 में जगह देना ठीक नहीं समझा। ब्रावो एक ऐसे खिलाड़ी हैं जो गेंद के साथ-साथ बल्ले से भी CSK को सालों से मजबूती देते आ रहे हैं।

ब्रावो का IPL 2022 में भी प्रदर्शन कमाल का रहा है। वो CSK की ओर से इस सीजन में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज रहे हैं। इस खिलाड़ी ने सिर्फ 8 मैचों में 14 विकेट अपने नाम किए हैं। ब्रावो का टीम में ना होना चेन्नई की हार का एक बड़ा कारण था क्योंकि वो अंत में निचले क्रम में आकर मैच को बल्ले से भी खत्म कर सकते थे। नतीजा ये हुआ कि CSK का मिडिल ऑर्डर रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के खिलाफ पूरी तरह फ्लॉप रहा और टीम 13 रनों से मैच गंवा बैठी।