जसप्रीत बुमराह को मौजूदा समय में टीम इंडिया का सबसे बड़ा मैच विनिंग गेंदबाज माना जाता है। इस IPL सीजन के शुरुआती मुकाबलों में उनका प्रदर्शन उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहा। 10 मुकाबलों में वह 5 विकेट ही हासिल कर सके। परिणाम हुआ कि 5 बार की IPL टाइटल विनर MI टूर्नामेंट से बाहर हो गई। सवालों से घिरे इस होनहार खिलाड़ी ने जवाब जुबान से नहीं, प्रदर्शन से दिया।
IPL 15 के 56वें मुकाबले में बुमराह ने कोलकाता के खिलाफ सिर्फ 10 रन देकर 5 विकेट चटकाए। यह उनके टी-20 करियर का बेस्ट परफॉर्मेंस है। छोटी उम्र में सिर से पिता का साया उठने के बाद बुमराह ने जिंदगी की तमाम मुश्किलों को हरा कर हर बार मजबूत वापसी की है।
एक जोड़ी जूते और टी-शर्ट में शुरु हुआ सफर
जब जसप्रीत 5 साल के थे, तब उनके पिता का निधन हो गया। जसप्रीत बताते हैं कि पिता को खोने के बाद वह कुछ भी जुटाने के काबिल नहीं थे। उनके पास एक जोड़ी जूते और एक जोड़ी टी-शर्ट थे। वह हर दिन इन्हें धोते थे और बार-बार इस्तेमाल करते थे। संघर्ष कठिन था लेकिन बुमराह ने हार नहीं मानी। 14 साल की उम्र में ही बुमराह ने क्रिकेट में अपना करियर बनाने का फैसला कर लिया था।
फ्लोर स्कर्टिंग पर बॉलिंग करके सीखी यॉर्कर
बुमराह को हमेशा से तेज गेंदें फेंकने का शौक था। स्कूल के साथियों से लेकर पड़ोस के बच्चों तक, वह हर किसी के खिलाफ मैच में फास्ट बॉलिंग किया करते थे। लगातार होने वाले शोर के कारण बुमराह की मां ने उन्हें मोहल्ले में क्रिकेट खेलने से मना किया। वह जसप्रीत के करियर को लेकर पशोपेश में थीं। ऐसे में बुमराह ने फ्लोर स्कर्टिंग पर गेंदबाजी करने का निश्चय किया।
फ्लोर स्कर्टिंग पर बॉलिंग करते-करते बुमराह ने यॉर्कर डालने की कला में महारथ हासिल कर ली। मां ने अब बेटे का हुनर पहचान लिया था और उन्हें यकीन हो गया कि आगे चलकर बेटा इस फील्ड में बहुत नाम कमाएगा। उनकी मां प्राइमरी स्कूल में टीचर थीं। प्रैक्टिस सेशन में शामिल होने के लिए बुमराह सुबह-सुबह घर से निकलते थे। उसके बाद स्कूल जाते और फिर शाम को ट्रेनिंग करते थे।
MRF पेस फाउंडेशन में मिली अपने नेचुरल एक्शन से बॉलिंग की छूट
देखते-देखते गली क्रिकेट का एक गेंदबाज गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के कैंप के लिए चुन लिया गया। अब वह कामयाबी की नई इबारत लिखने के लिए तैयार हो चुके थे। जल्दी ही उनका सिलेक्शन MRF पेस फाउंडेशन में हो गया। वहां पर उन्होंने गेंदबाजी की बारीकियां सीखीं। खास बात यह रही कि अपने एक्शन को लेकर चर्चाओं में रहने वाले जसप्रीत बुमराह को MRF पेस फाउंडेशन में किसी ने नहीं रोका-टोका।
वह जैसी गेंदबाजी करना चाह रहे थे, उनको उसकी छूट दी गई। अब तक वे गुजरात अंडर-19 टीम की ओर से सौराष्ट्र के खिलाफ खेलने के लिए वह चुन लिए गए थे। इस मुकाबले में बल्लेबाजी के लिए अनुकूल पिच पर बुमराह ने 7 विकेट अपने नाम किए। मुंबई इंडियंस के लिए खिलाड़ियों की तलाश जोर-शोर से चल रही थी। भारतीय टीम को 2003 वर्ल्ड कप के फाइनल तक पहुंचाने वाले कोच जॉन राइट ने बुमराह के 7 विकेट लेने के बाद उनको MI में शामिल किया था। यहीं से बुमराह की जिंदगी पूरी तरह बदल गई।
2013 में मुंबई इंडियंस से जुड़े बुमराह
साल 2013 में जसप्रीत बुमराह मुंबई इंडियंस से जुड़ गए। यह उनके करियर का टर्निंग पॉइंट था। वहां पर उनको विदेशी गेंदबाजों के बीच में बॉलिंग के गुर सीखने को मिले। साथ ही सचिन तेंदुलकर जैसे महान खिलाड़ी का मार्गदर्शन नसीब हुआ। बेंगलुरु के खिलाफ उन्हें मैच में मौका मिला तो प्रदर्शन भी बढ़िया किया।
बुमराह की मां ने घर चलाने के लिए काफी संघर्ष किया। जब उन्होंने पहली बार अपने बेटे को IPL खेलते हुए देखा, तो उनकी आंखों से आंसू बह निकले थे। अपने IPL डेब्यू पर बुमराह ने विराट कोहली को आउट कर दिया था। इस मैच में उन्होंने 2 विकेट चटकाए। अपने साइड आर्म एक्शन के लिए बुमराह को अलग पहचान मिली। तारीफों के पुल बंधने शुरू हुए तो अमिताभ बच्चन तक ने ट्वीट करके तारीफ की।
इसके बाद आने वाले मैच में बल्लेबाजों ने उनकी जमकर धुनाई की। इसके बाद लसिथ मलिंगा ने बुमराह को अपनी गेंदबाजी में वेरिएशन लाने को कहा। मलिंगा की तकनीक को बुमराह ने अपने एक्शन में ढाला। उसके बाद देखते-देखते बुमराह मुंबई के सबसे जरूरी गेंदबाज बनते चले गए।
KKR के खिलाफ 18वां ओवर लंबे अरसे तक नहीं भूलेंगे फैंस
बुमराह ने पारी का 18वां ओवर बेहद शानदार अंदाज में डाला, जिसे क्रिकेट फैंस लंबे समय तक याद रखेंगे। तेज गेंदबाज ने इस ओवर में तीन विकेट लिए और एक भी रन खर्च नहीं किया। यह विकेट मेडन ओवर रहा। बुमराह ने ओवर की पहली गेंद पर शेल्डन जैक्सन (5) को डीप स्क्वायर लेग पर डेनियल सेम्स के हाथों कैच आउट कराया।
फिर ओवर की तीसरी गेंद पर बुमराह ने पैट कमिंस को मिडविकेट पर तिलक वर्मा के हाथों में कैच देने के लिए मजबूर किया। अगली ही गेंद पर बुमराह ने सुनील नरेन का कैच खुद पकड़ा। इस मैच में जसप्रीत ने अपने टी-20 करियर का बेस्ट परफॉर्मेंस करते हुए सिर्फ 10 रन देकर 5 विकेट निकाले।
2016 में मिला देश के लिए खेलने का मौका
जनवरी 2016 में ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर भारत वनडे सीरीज हार चुका था। क्लीन स्वीप से बचने के लिए टीम इंडिया मैदान पर उतरी थी। इसी मैच में बुमराह को वनडे डेब्यू का मौका मिला। पहले विकेट के तौर पर उन्होंने स्टीव स्मिथ को आउट किया। भारत ने मैच 6 विकेट से जीत लिया और बुमराह के खाते में 2 विकेट आए। इसके 3 दिन बाद बुमराह ने अपना पहला टी-20 इंटरनेशनल मैच खेला।
इस बार जसप्रीत ने 3 विकेट चटकाते हुए इंडिया को शानदार जीत दिला दी। 2017 में साउथ अफ्रीकी दौरे पर बुमराह ने टेस्ट डेब्यू किया। इसी साल वह टी-20 इंटरनेशनल में नंबर वन बॉलर बने। अब बुमराह टीम इंडिया के सबसे बड़े मैच विनर बनने के सफर पर निकल चुके थे। देखते-देखते बुमराह टीम इडिया का जरूरी हिस्सा बन गए। आने वाले टी-20 वर्ल्ड कप में फैंस को उनसे यादगार प्रदर्शन की उम्मीद है।
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