भारत और साउथ अफ्रीका के बीच खेली गई 3 मैचों की टेस्ट सीरीज अफ्रीकी टीम ने 2-1 से जीत ली है। केपटाउन में खेले गए तीसरे और निर्णायक टेस्ट मैच में अफ्रीका के सामने 212 रनों का टारगेट था, जिसे टीम ने बहुत ही आसानी से 3 विकेट खोकर अपने नाम कर लिया। भारत को सीरीज जीतने के लिए फेवरेट आंका जा रहा था, लेकिन टीम ने निराश किया।
आइए नजर डालते हैं, उन अहम फैक्टर्स पर, जिनके कारण भारतीय टीम सीरीज पर कब्जा नहीं जमा सकी...
1. सीरीज से पहले कप्तानी विवाद
भारत-साउथ अफ्रीका सीरीज शुरू होने से पहले BCCI और विराट कोहली के बीच कप्तानी को लेकर बड़ा विवाद सामने आया। पहले विराट को वनडे की कप्तानी से हटा दिया गया। इसके बाद BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली ने कहा कि विराट को टी-20 की कप्तानी से इस्तीफा देने से मना किया गया था। विराट को वनडे की कप्तानी से हटाने का फैसला चयनकर्ताओं और BCCI ने मिलकर लिया, क्योंकि व्हाइट बॉल क्रिकेट यानी वनडे और टी-20 में हम टीम का कप्तान एक ही रखना चाहते थे।
ऐसे में विराट को हटाकर रोहित शर्मा को वनडे की कप्तानी सौंपी गई। इस पर कोहली ने जवाब दिया और साउथ अफ्रीका दौरे पर रवाना होने से पहले टीम इंडिया के कप्तान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि टी-20 की कप्तानी छोड़ने की जब उन्होंने घोषणा की थी, तब उन्हें BCCI के किसी भी अधिकारी ने मना नहीं किया था।
सभी ने उनके कदम को उचित बताया था। वहीं, उन्हें वनडे टीम की कप्तानी से हटाए जाने की जानकारी टेस्ट टीम की घोषणा से महज डेढ़ घंटे पहले ही चयनकर्ताओं ने दी थी। खबरें ये भी आईं कि विराट कोहली वनडे सीरीज नहीं खेलेंगे। रोहित और विराट को लेकर अनबन की खबरें भी सामने आईं और इससे सीरीज शुरू होने से पहले ही पूरा माहौल खराब हो गया।
2. दूसरे टेस्ट से पहले विराट का चोटिल होना
साउथ अफ्रीका के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच से पहले विराट कोहली पीठ में अकड़न की वजह से टीम से बाहर हो गए। टॉस से कुछ ही मिनट पहले विराट के बाहर होने की खबर आई थी। उनकी जगह केएल राहुल को कप्तान बनाया गया। पूरे मैच में राहुल की कप्तानी अच्छी नहीं रही और कोहली की कमी बहुत खली। पहली पारी में जब दोनों सलामी बल्लेबाज आउट हो गए, तब पुजारा और रहाणे भी जल्दी चलते बने। इसके बाद सिर्फ अश्विन के बल्ले से रन निकले थे। अगर कोहली होते तो वह एक बड़ी पारी खेल सकते थे या फिर वह विकेट बचाकर रखते। टीम इंडिया पहली पारी में सिर्फ 202 रन पर ऑलआउट हो गई। यहीं टीम इंडिया मैच में पीछे हुई और हम हार गए।
3. पहले मिडिल ऑर्डर और फिर ओपनर्स का फेल होना
पूरी सीरीज में टीम इंडिया का मिडिल ऑर्डर पूरी तरह से फ्लॉप रहा। अनुभवी बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे ने टीम इंडिया को निराश किया। रहाणे ने तीन टेस्ट मैच में सिर्फ 136 रन बनाए। इस दौरान उनका औसत सिर्फ 22.67 का था। वहीं, पुजारा ने तीन टेस्ट में सिर्फ 124 रन बनाए। पुजारा का औसत सिर्फ 20.67 का था। दोनों खिलाड़ी फ्लॉप होते गए, लेकिन फिर भी उन्हें टीम से बाहर नहीं निकाला गया। न्यूजीलैंड के खिलाफ अपने डेब्यू टेस्ट में शतक जड़ने वाले श्रेयस अय्यर भी तीनों टेस्ट से बाहर रहे। वहीं, दूसरे टेस्ट में बल्ले से अच्छा प्रदर्शन करने वाले हनुमा विहारी को तीसरे टेस्ट से बाहर कर दिया गया।
सलामी बल्लेबाज केएल राहुल और मयंक अग्रवाल ने शुरू की कुछ पारियों में तो कमाल की बल्लेबाजी की, लेकिन फिर वो आखिरी दोनों टेस्ट में बड़ी पारी नहीं खेल पाए। सलामी बल्लेबाजों के फेल होने से टीम को काफी नुकसान उठाना पड़ा। तीसरे टेस्ट की दूसरी पारी में जब उन्हें अच्छी शुरुआत देनी थी तो दोनों 24 रन के अंदर ही आउट हो गए। पहली पारी में भी बल्ले से उन्होंने कोई खास योगदान नहीं दिया।
4. हमारे गेंदबाज ज्यादा बाउंस नहीं दिला पाए
साउथ अफ्रीका की पेस बॉलिंग यूनिट में कगिसो रबाडा, लुंगी एनगिडी, मार्को जेन्सन और डेन ओलिवियर शामिल थे। इनकी औसत हाइट 6 फीट 4 इंच है। दूसरी ओर से भारत की ओर से जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, मोहम्मद सिराज और शार्दूल ठाकुर खेले। इनकी औसत हाइट 5 फीट 9 इंच है। यानी, साउथ अफ्रीकी पेस बॉलिंग यूनिट की हाइट भारतीय पेस बॉलिंग यूनिट से 7 इंच (17.78 सेंटीमीटर) ज्यादा थी। इसका नतीजा यह हुआ कि अफ्रीकी गेंदबाजों ने हमारे गेंदबाजों की तुलना में औसतन 15-20 सेंटीमीटर ज्यादा उछाल हासिल की। वांडरर्स की पिच हो या फिर केपटाउन, यह अंतर निर्णायक साबित हुआ।
5. साउथ अफ्रीका को कमतर आंका
साउथ अफ्रीका की टीम का प्रदर्शन पिछले कुछ सालों से अच्छा नहीं रहा है। सीरीज शुरू होने से पहले कागजों पर हम साउथ अफ्रीका से बेहतर नजर आ रहे थे, लेकिन डीन एल्गर की टीम ने कमाल का खेल दिखाया। खुद एल्गर ने पूरी सीरीज में शानदार बल्लेबाजी की और दिखाया कि भले ही उनके पास अनुभव की कमी है, लेकिन वे वर्ल्ड की सबसे बेहतरीन टीम को मात दे सकते हैं। टीम में मार्को जेन्सन और डेन ओलिवियर के आने से अफ्रीकी पेस अटैक को मजबूती मिली। वहीं, किगन पिटरसन ने तीनों टेस्ट मैच में बल्ले से कमाल का प्रदर्शन किया। पिटरसन और जेन्सन को लेकर शायद टीम इंडिया ने अच्छी तैयारी नहीं की थी और इसका पूरा फायदा उन्हें मिला।
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