टी-20 वर्ल्ड कप (WC) शुरू होने में सिर्फ 27 दिन बचे हैं। टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया में होने जा रहे इस टूर्नामेंट की तैयारियां शुरू कर दी हैं, लेकिन अपने घर में ही। वर्ल्ड कप के लिए रवाना होने से पहले इंडिया घर में 9 मैच खेलेगी। इनमें ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका के खिलाफ 6 टी-20 भी शामिल हैं।
अब सवाल ये है कि क्या घर में तैयारियों का फायदा ऑस्ट्रेलियाई कंडीशन में मिलेगा? इसका जवाब जानने के लिए भास्कर ने भारत में हुए 111 टी-20 इंटरनेशनल और ऑस्ट्रेलिया में हुए 54 टी-20 मैचों यानी टोटल 165 मैचों का एनालिसिस किया। 4 फैक्टर्स के आधार पर जानिए इसका रिजल्ट...
1. रनरेट: ऑस्ट्रेलिया में रनरेट भारत की तुलना में सिर्फ 3% कम
2. बैटिंग: ऑस्ट्रेलिया में बल्लेबाजों के 50+ स्कोर 16% कम बनते हैं
3. बॉलिंग: ऑस्ट्रेलिया में प्रति मैच विकेट गिरने का रेट 5% पॉइंट ज्यादा
4. ग्राउंड और पिच कंडीशन: ऑस्ट्रेलिया में दूसरी पारी में गेंदबाजी-फील्डिंग आसान
भारत में होने वाले मैचों में ओस का किरदार बहुत अहम होता है। रात में ओस गिरने के कारण गेंद गीली हो जाती है और उसे ग्रिप करना मुश्किल होता है। ऐसे में ज्यादातर टीमें बाद में बैटिंग करना पसंद करती हैं। इस स्थिति में टॉस अहम हो जाता है।
एनालिसिस का रिजल्ट: कंडीशन में ज्यादा फर्क नहीं, इंडियान मैनेजमेंट इसिलए बेफिक्र
स्टैट्स से जाहिर है कि भारतीय कंडीशंस ज्यादा बैटिंग फ्रेंडली होती हैं। ऑस्ट्रेलिया में गेंदबाजों के लिए ज्यादा मदद होती है, लेकिन ये अंतर किसी भी फैक्टर में 1 पॉइंट से भी नीचे का है। यानी बहुत ज्यादा नहीं है। भारतीय मैनेजमेंट को इस बात से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है कि वर्ल्ड कप से पहले मैच प्रैक्टिस भारत में मिल रही है या ऑस्ट्रेलिया में।
अब बात इंडिया की, जिसके पास ऑस्ट्रेलिया में 3 एडवॉन्टेज
1. इंडिया को बाउंस से अब डर नहीं लगता
वर्ल्ड कप की प्रैक्टिस के लिए बाउंसी कंडीशन के पीछ न भागने की तीसरी वजह यह है कि पिछले कुछ सालों में भारतीय बल्लेबाजों ने उछाल का बेहतर सामना करना सीख लिया है। टी-20 में शामिल किए गए रोहित शर्मा, विराट कोहली, केएल राहुल और मिडिल ऑर्डर में हार्दिक जैसे बैट्समैन शॉर्ट पिच को हैंडल करने में पहले से बेहतर नजर आ रहे हैं।
2. ICC के टी-20 मैचों में पिचें बैटिंग फ्रेंडली
वर्ल्ड कप की प्रैक्टिस भारत में मैच खेलकर करने के पीछे दूसरी वजह यह है कि टी-20 क्रिकेट कहीं भी हो पिच बल्लेबाजी के अनुकूल ही होती है।
ऑस्ट्रेलिया में बाउंस ज्यादा जरूर होगा लेकिन स्थिति ऐसी भी नहीं होगी कि एशियाई बल्लेबाज ठीक से खेल ही न पाएं।
वैसे भी वर्ल्ड कप के दौरान पिच कैसी हो यह मेजबान देश नहीं, बल्कि ICC को तय करना होता है। ऑस्ट्रेलिया चाहकर भी ऐसी पिचें नहीं बना सकता जहां भारत सहित एशिया के तमाम देशों के बल्लेबाजों को परेशानी हो।
अब जान लीजिए टीम इंडिया की सबसे बड़ी परेशानी, जो है टीम कॉम्बिनेशन
भारतीय टीम की नजरें इस समय कंडीशन से ज्यादा टीम कॉम्बिनेशन पर हैं। एशिया कप में भारतीय टीम फाइनल में भी नहीं पहुंच सकी। इसकी सबसे बड़ी वजह यह सामने आई कि टीम के थिंक टैंक को अब तक यह पता नहीं चल सका है कि बेस्ट कॉम्बिनेशन क्या हो। किससे ओपनिंग कराई जाए और मिडिल ऑर्डर में किसे किस नंबर पर भेजा जाए।
रोहित शर्मा की कप्तानी वाली टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका के खिलाफ सीरीज के जरिए अपना बेस्ट टीम कॉम्बिनेशन जानना चाहती है। यह वजह है कि भारत ने इन दोनों सीरीज के लिए लगभग वही टीम सिलेक्ट की है जो वर्ल्ड कप खेलने ऑस्ट्रेलिया जाएगी।
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